मशरूम को क्षेत्रीय भाषा में खुंब,गर्जना और धरती के फूल आदि नाम से जानते है।इसके कई पोषक तत्व पाए जाते है।मशरूम सेहत के लिए बेहद लाभदायक होता है।मशरूम की खेती अलग अलग तरह से की जाती है।मशरूम की खेती मटके में की जाती है।इस खास विधि में 35-40 दिनों का समय लगता है उपज मिलने में।
मटके में ऐसे करे मशरूम कीखेती
मशरूम उत्पादन के लिए मटको के छिद्रो में से रुई और मुँह पर लगी पॉलीथिन हटा दी जाती है।दिन में दो से तीन बार मटको पर पानी का छिड़काव किया जाता है जिससे नमी बने रहे।कवक जाल फैलने के 7 से 10 दिनों बाद मटको पर किये गए छोटे छोटे छेदो में से मशरूम की कालिया निकलनी शुरू हो जाती है।ढींगरी मशरूम की कलियों को बनने और विकास के लिए प्रकाश की जरूरत होती है।परतीदं 4 से 5 घंटे ट्यूब लाइट या बल्ब का प्रकाश देना चाहिए। कमरे में नमी भी लगभग 75 -80 प्रतिशत होनी चाहिए।
मशरूम तोड़ने समय इन बातो का रखे ख्याल
पानी छिड़कते समय इस बात का ध्यान रखे की अगर मशरूम तोड़ने लायक हो रही है तो मशरूम पर पानी का जमाव नहीं रहे।पानी का छिड़काव हमेशा मशरूम तोड़ने के बाद करना चाहिए।कमरे की खिड़किया और दरवाजे हर दिन दो घंटे खुले रहने चाहिए जिससे कार्बनडाइऑक्साइड बाहर निकल जाए और ऑक्सीजन की सही मात्रा कमरे में बनी रहे।
35 -40 दिनों में मिलने लगेगी उपज
ढींगरी मशरूम की पैदावार 35 से 40 दिनों तक आती रहती है और एक की ग्रा सूखे भूसे से लगभग 500 से 900 ग्राम तक मशरूम प्राप्त हो सकता है।पहली फसल के कुछ दिन बाद दूसरी फसल आती है।पैदावार भुसेकि गुणवत्ता और ढींगरी की प्रजाति पर निर्भर करती है।तुड़ाई के बाद डंठल के साथ लगी घास को काटकर हटा दिया जाता है।कुछ घंटो बाद छिद्रित्र पॉलीथिन में पैक कर बाजार में भेजना चाहिए।इस मशरूम को सुखाया भी जा सकता है।मशरूम की सब्जी और सुप बनाया जाता है।