Property Rules : पिता की संपत्ति में बेटा और बेटियों का अधिकार एक समान होता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि कई मामले ऐसे भी देखे जाते हैं, जिनमे बेटियों को पिता की संपत्ति में अधिकार नहीं मिलता है। अब हाल ही में आए एक मामले के तहत कोर्ट ने पिता की संपत्ति में बेटियों के अधिकारों (daughters rights in property) को लेकर फैसला सुनाया है। आइए खबर में जानते हैं बेटियों के अधिकारों के बारे में।
आज के समय में कानूनी रूप से बेटा-बेटी को समाज में समान दर्जा दिया गया है, लेकिन कई बार ऐसे मामले सामने आते हैं, जिसमे किसी खास परिस्थिति में बेटी को पिता की संपत्ति (Property Rules) में अधिकार नहीं दिया जाता है। अब हाल ही में सामने आए एक मामले में पिता की संपत्ति पर किस खास परिस्थितियों में बेटियों को अधिकार नहीं मिलता है, इस बारे में स्पष्ट कर दिया गया है।
जानिए क्या था मामला
अदालत की ओर से यह क्लियर कर दिया गया है कि कई परिस्थितियां ऐसी होती है, जिसमें बेटी पिता की पैतृक संपत्ति पर दावा करने का हक नहीं रखती है। मामले पर गौर करें तो ये मामला हिंदू परिवार से जुड़ा था। जिसमे पिता की मृत्यु के साल ही संपत्ति (Property Knowledge) को लेकर हक जताया गया था। अदालत ने पुराने कानूनों के आधार पर फैसले में यह क्लियर किया है कि हर बेटी को पिता की संपत्ति (father’s property) में बराबर का हक नहीं मिलता।
क्या कहता है हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम
पैतृक संपत्ति में बेटियों के हक (Rights of daughters in ancestral property) की बात करें तो हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के तहत बेटियों को पिता की पैतृक संपत्ति में हिस्सा दिया जाता है। जैसे ही अगर किसी बेटी के पिता की मृत्यु साल 1956 के बाद हुई है। तो घर की पैतृक संपत्ति पर 1956 का हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम का नियम लागू होता है। इस अधिनियम के तहत भले ही पिता के बेटे को, लेकिन फिर भी पिता की संपतति में परिवार की बेटी को भी हक मिलेगा।
कब से मिलने लगा बेटियों को हक
हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम (Hindu Succession Act) 1956 से पहले लागू नहीं था तो उस समय में बेटियों को बराबरी का अधिकार नहीं मिलता था। उस समय में बेटियों को संपत्ति पर हिस्सा परिवार में बेटा मौजूद न होने के चलते ही मिलता था।, लेकिन 1956 के बाद जब हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम लागू किया गया तो उसके बाद बेटियों (Daughters Property Rights)को भी बराबरी का हक मिलने लगा है।
कब लागू हुआ था मिताक्षरा कानून
बता दें कि जिन बेटियों के पिता की मृत्यु 1956 से पहले हो चुकी है। नियमों के मुताबिक उन बेटियों को पिता की पैतृक संपत्ति (ancestral property kya hai) में हक नहीं मिलेगा। अगर ऐसा कोई मामला होता है तो इसके लिए मिताक्षरा कानून लागू होता है। मिताक्षरा कानून 1956 (Mitakshara Law 1956) में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम लागू होने से पहले लागू किया गया था। अब इस मामले पर कानून के तहत छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने भी बेटी के खिलाफ फैसला सुनाया।
कब नहीं मिलता बेटियों को हक
अदालत का कहना है कि 1956 से पहले हुई मौत की स्थिती में बेटी पिता की संपत्ति पर हकदार का दावा नहीं रखती है। कानून के मुताबिक सिर्फ पुत्र को ही परिवार का उत्तराधिकार का अधिकार मिलता था। जबकि बेटी को परिवार में कोई बेटा न हो, उसी दशा में हिस्सा मिलता था। इस वजह से ऐसी स्थितियों में बेटियों को संपत्ति में हक (Daughters rights in property) नहीं मिलेगा।
