Delhi-Katra Expressway: दिल्ली से अमृतसर और कटरा को जोड़ने वाला 650 किलोमीटर लंबा दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेसवे एक बार फिर सुर्खियों में है. आठ साल पहले इस प्रोजेक्ट की घोषणा हुई थी, लेकिन अब तक इसका निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका है. पहले इस परियोजना की लागत 25,000 करोड़ रुपये थी, जो अब बढ़कर 35,406 करोड़ रुपये हो गई है. यह परियोजना हरियाणा, पंजाब और जम्मू के विभिन्न शहरों को जोड़ेगी, जिससे यातायात सुगम होने के साथ-साथ यात्रा का समय भी घटेगा.
देरी का मुख्य कारण
इस एक्सप्रेसवे के निर्माण में सबसे बड़ी बाधा भूमि अधिग्रहण की रही है. पंजाब और हरियाणा में किसान अपनी जमीन देने के लिए तैयार नहीं हैं क्योंकि उन्हें उचित मुआवजा नहीं मिल रहा है. इस समस्या की वजह से निर्माण कार्य में रुकावट आई है और परियोजना की लागत में भी बढ़ोतरी हुई है.
हरियाणा में तैयार हुआ हिस्सा जल्द होगा चालू
दिल्ली-अमृतसर-कटरा ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे का हरियाणा से होकर गुजरने वाला हिस्सा लगभग बनकर तैयार है. यह हिस्सा 113 किलोमीटर लंबा है जो सोनीपत से लेकर पंजाब बॉर्डर तक फैला है. उम्मीद है कि दिवाली के बाद इस हिस्से को जनता के लिए खोल दिया जिससे हरियाणा के लोगों को बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी और यातायात में आसानी होगी.
पंजाब में सबसे अधिक हिस्से का निर्माण लेकिन प्रगति धीमी
पूरे एक्सप्रेसवे का 361 किलोमीटर लंबा हिस्सा पंजाब से होकर गुजरता है जो इसके कुल हिस्से का सबसे बड़ा भाग है. हालाँकि पंजाब में इस परियोजना की प्रगति अन्य राज्यों की तुलना में सबसे धीमी है. पंजाब में एक्सप्रेसवे के 11 हिस्सों का काम अलग-अलग प्रतिशत पर पूरा हुआ है, जिसमें से कुछ हिस्सों का काम मात्र 3% तक ही पूरा हुआ है. यह निर्माण मुख्य रूप से लुधियाना, पटियाला, संगरूर, जालंधर, कपूरथला और गुरदासपुर जिलों से होकर गुजरेगा.
समय और लागत की बढ़ती समस्या
लंबे समय से निर्माण अधूरा रहने के कारण इस एक्सप्रेसवे की लागत में 10,000 करोड़ रुपये से अधिक की बढ़ोतरी हो गई है. इस महंगी परियोजना में देरी से न केवल सरकार की आर्थिक स्थिति पर असर पड़ रहा है बल्कि यह आम लोगों की उम्मीदों पर भी खरा नहीं उतर पा रही है. इस देरी की वजह से जिन लोगों ने जल्दी और सुरक्षित यात्रा की उम्मीद की थी उन्हें अभी भी अपने सपने के पूरा होने का इंतजार है.
नए निर्माण का हाइब्रिड एन्युएटी मॉडल (HAM) से लाभ
दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेसवे को हाइब्रिड एन्युएटी मॉडल (HAM) के तहत बनाया जा रहा है. यह मॉडल सार्वजनिक और निजी साझेदारी को प्रोत्साहित करता है जिसमें सरकार और निजी कंपनियां परियोजना की लागत शेयर करती हैं. इस मॉडल से निर्माण कार्य में तेजी आने की संभावना है और इससे बढ़िया क्वालिटी वाली सड़क बनाने में मदद मिलती है.
एक्सप्रेसवे से यात्रा समय में होगी कमी
इस एक्सप्रेसवे के निर्माण के बाद दिल्ली से अमृतसर और कटरा की यात्रा आसान और तेज हो जाएगी. दिल्ली से अमृतसर की दूरी में करीब 40 किलोमीटर की कमी आएगी जिससे यात्रा का समय लगभग 4-4.5 घंटे रह जाएगा. वहीं दिल्ली से कटरा की यात्रा लगभग 6-6.5 घंटे में पूरी हो सकेगी. इससे यात्रियों के समय और ईंधन दोनों की बचत होगी.
धार्मिक और पर्यटन स्थलों के लिए बेहतर कनेक्टिविटी
दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेसवे का एक और लाभ यह होगा कि यह कई महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों को जोड़ेगा. सुल्तानपुर लोदी, गोइंदवाल साहिब, खडूर साहिब और करतारपुर साहिब गलियारा इस एक्सप्रेसवे से बेहतर तरीके से जुड़ सकेंगे. यह न केवल धार्मिक यात्रियों के लिए सुविधाजनक होगा, बल्कि पर्यटन को भी बढ़ावा देगा.
वर्तमान स्थिति की समीक्षा
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी पंजाब में रुकी हुई परियोजनाओं की समीक्षा करेंगे. इसके अलावा प्रधानमंत्री और गडकरी के सामने परियोजना की प्रगति, लागत और लक्षित समय सीमा को लेकर एक प्रस्तुति भी दी जाएगी. यह बैठक परियोजना के निर्माण कार्य को गति देने के उद्देश्य से की जा रही है.
एक्सप्रेसवे का असर
दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेसवे के निर्माण से पुराने राष्ट्रीय राजमार्गों पर यातायात का दबाव कम हो जाएगा. अधिकतर वाहन नए एक्सप्रेसवे का इस्तेमाल करेंगे जिससे पुराने मार्गों पर जाम की समस्या में कमी आएगी. इससे न केवल यात्रा आसान होगी बल्कि दुर्घटनाओं और यात्रा संबंधी जोखिमों में भी कमी आएगी.