Delhi Pollution: एक अप्रैल के बाद दिल्ली में पुरानी गाड़ियों को पेट्रोल पंपों से ईंधन नहीं मिलेगा. यह निर्णय विशेष रूप से उन वाहनों के लिए है जो 10-15 साल की उम्र पूरी कर चुके हैं और जो अभी भी बीएस-4 और बीएस-5 मानकों का पालन करते हैं. इसका मुख्य उद्देश्य प्रदूषण को कम करना है क्योंकि बीएस-6 वाहनों के मुकाबले ये अधिक प्रदूषण फैलाते हैं.
आसपास के शहरों पर भी असर
इस निर्णय का सीमित प्रभाव पड़ सकता है क्योंकि वाहन मालिक आसानी से गुरुग्राम (Gurugram) और नोएडा (Noida) जैसे पड़ोसी शहरों में ईंधन भरवा सकते हैं. इसलिए, जरूरी है कि ऐसी गाड़ियों को चिन्हित कर उन्हें स्क्रैप किया जाए, ताकि प्रदूषण फैलाने वाली गाड़ियां पूरे एनसीआर (NCR) से हटाई जा सकें.
बसों और अन्य वाहनों की स्थिति
दिल्ली में प्रतिदिन पांच लाख वाहन प्रवेश करते हैं, जिनमें से आधे से अधिक प्रदूषण फैलाते हैं. इसमें बसें, ट्रक, छोटे मालवाहक और दो पहिया वाहन शामिल हैं. दिल्ली में करीब 11 हजार बसों की जरूरत है, जबकि उपलब्ध केवल 7,600 हैं. इस साल दिसंबर तक 2,000 बसें सड़कों से हट जाएंगी क्योंकि उनकी उम्र पूरी हो चुकी है.
प्रदूषण नियंत्रण के उपाय
प्रदूषण नियंत्रण के लिए विभिन्न स्थायी और अस्थायी उपाय किए गए हैं. पीयूसी (PUC) सिस्टम के बावजूद कुछ गाड़ियां अधिक धुआं छोड़ रही हैं, खासकर सीएनजी वाहन. सर्दियों में धूल प्रदूषण रोकने के लिए एंटी-डस्ट कैंपेन चलाया जाता है और खुले में कूड़ा जलाने की अनुमति नहीं है.
चुनौतियां और समाधान की आवश्यकता
दिल्ली के प्रदूषण नियंत्रण की चुनौतियों में से एक बड़ी समस्या यह है कि छोटे उपायों से बड़े लक्ष्य हासिल करना मुश्किल है. इसलिए, दिल्ली सरकार ने प्रदूषण कम करने के लिए उम्र पूरी कर चुके वाहनों को पेट्रोल और डीजल नहीं देने का निर्णय लिया है, जिससे उम्मीद है कि इससे प्रदूषण में कमी आएगी.