Delhi Uttar Pardesh Expressway: दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे जिसे राष्ट्रीय एक्सप्रेसवे-3 भी कहा जाता है यह भारत का सबसे चौड़ा नियंत्रित-पहुंच एक्सप्रेसवे है जो गाजियाबाद में डासना के माध्यम से दिल्ली को मेरठ से जोड़ता है. इस एक्सप्रेसवे का निर्माण हाई क्वालिटी की तकनीकी विशेषताओं के साथ किया गया है, जहां डासना तक राष्ट्रीय राजमार्ग 9 के 8 लेन पुराने खंड को 14 लेन तक चौड़ा किया गया है. यह एक्सप्रेसवे पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सड़क यातायात में क्रांति लेकर आया है.
समय की बचत
दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे ने दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद और हापुड़ जैसे प्रमुख क्षेत्रों के बीच यातायात में भारी सुधार किया है. मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर और हरिद्वार सहित पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शहरों के बीच यात्री की गति को भी बढ़ा दिया है. 1 अप्रैल, 2021 को चरण 2 और 4 के खुलने के साथ, दिल्ली-मेरठ रोड पर पहले 2.5 घंटे की यात्रा की तुलना में मेरठ और दिल्ली के बीच यात्रा का समय घटकर सिर्फ 45 मिनट रह गया है.
एक लंबे समय का सपना साकार
एनएच-24 पर यातायात की स्थिति को आसान बनाने के उद्देश्य से, दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे की योजना पहली बार 1999 में बनाई गई थी. कई बार इसकी चर्चा हुई, लेकिन काम शुरू नहीं हो सका. आखिरकार 31 दिसंबर, 2015 को 7,500 करोड़ रुपये की लागत वाली दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे परियोजना की आधारशिला जब रखी गई तो लाखों लोगों का सपना पूरा होते दिखाई दिया.
दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे के चरणों का विवरण
दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे का निर्माण चार चरणों में पूरा हुआ है. पहले फेज में निज़ामुद्दीन ब्रिज से दिल्ली-यूपी बॉर्डर तक निर्माण हुआ. दूसरा खंड यूपी बॉर्डर से डासना था, जो 19.2 किलोमीटर लंबा है और जिसमें 14 लेन शामिल हैं. तीसरा चरण डासना से हापुड़ तक और चौथा चरण डासना से मेरठ तक है, जिसमें एक्सप्रेसवे के 46 किलोमीटर लंबे, छह लेन वाले डासना-मेरठ खंड का निर्माण हुआ.
गति सीमा और यात्रा की सुविधा
दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे पर गति सीमा कई जगहों पर अलग-अलग है. एक्सप्रेसवे पर गति सीमा दिल्ली (पैकेज 1) में 70 किमी प्रति घंटा, गाजियाबाद (पैकेज 2) में 100 किमी प्रति घंटा और डासना और मेरठ (पैकेज 4) के बीच 120 किमी प्रति घंटा तक सीमित कर दी गई है. इससे वाहन चालकों को अधिक सुरक्षा और कम समय में अपनी यात्रा पूरी करने में मदद मिलती है.
रेड लाइट मुक्त यात्रा का अनुभव
दिल्ली मेरथ एक्सप्रेसवे के निर्माण से पहले मेरठ से दिल्ली आना या जाना दोनों काफी मुश्किलों से भरा होता था. घंटों जाम लगा रहता था. लेकिन इसके बन जाने के बाद से यह सफर कुछ मिनटों में पूरा हो जाता है. इसके निर्माण से वो 31 रेड लाइट्स खत्म हो गईं, जो पहले इस रूट पर थीं.
