Diesel Petrol Vehicle Ban: हरियाणा सरकार ने वायु प्रदूषण पर काबू पाने के लिए बड़ा कदम उठाया है. अब गुरुग्राम, फरीदाबाद और सोनीपत जिलों में 1 नवंबर 2025 से 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों को फ्यूल नहीं मिलेगा. यह प्रतिबंध केवल इन तीन जिलों तक सीमित नहीं रहेगा. बल्कि एक अप्रैल 2026 तक एनसीआर के सभी 14 जिलों में लागू कर दिया जाएगा.
ऑटोमैटिक नंबर प्लेट कैमरों से होगी निगरानी
इस सख्ती को लागू करने के लिए सरकार ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकॉग्निशन (ANPR) कैमरे लगाने जा रही है. ये कैमरे फ्यूल स्टेशन पर वाहन की नंबर प्लेट स्कैन करके उसकी उम्र की पहचान करेंगे. 31 अक्टूबर 2025 तक गुरुग्राम, फरीदाबाद और सोनीपत के सभी फ्यूल स्टेशनों पर ये कैमरे लगाए जाएंगे.
अन्य 11 जिलों में मार्च 2026 तक लागू होगी योजना
एनसीआर के अन्य 11 जिलों में ANPR कैमरों की स्थापना और यह नियम 31 मार्च 2026 तक पूरा कर लिया जाएगा. इसके बाद इन सभी जिलों में भी पुराने वाहनों को पेट्रोल-डीजल देने पर रोक होगी.
वायु गुणवत्ता सुधार के लिए पेश हुआ रोडमैप
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) के निर्देश पर यह योजना बनाई गई है. जिसमें प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाने और निर्माण कार्यों से उत्पन्न धूल को नियंत्रित करने के लिए एक व्यापक रणनीति तैयार की गई है.
ग्रीन मोबिलिटी को बढ़ावा
बैठक में यह भी तय किया गया कि भविष्य में केवल CNG या इलेक्ट्रिक थ्री-व्हीलर ऑटोरिक्शा को ही सरकारी और निजी बेड़े में शामिल किया जाएगा. इससे ग्रीन मोबिलिटी को बढ़ावा मिलेगा और शहरों में वाहनों से होने वाला प्रदूषण घटेगा.
2026 तक ईंट भट्टों में पेराली आधारित बायोमास पेलेट्स जरूरी
मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी की अध्यक्षता में हुई उच्चस्तरीय बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि ईंट भट्टों में पराली आधारित बायोमास पेलेट्स का उपयोग अनिवार्य किया जाएगा. पहले यह लक्ष्य 2028 तक रखा गया था. जिसे अब 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. इसके अंतर्गत 50 प्रतिशत को-फायरिंग को अनिवार्य किया जाएगा.
निर्माण गतिविधियों से उड़ने वाली धूल पर होगी सख्ती
सरकार ने निर्माण गतिविधियों से उठने वाली धूल को नियंत्रित करने के लिए भी रणनीति तैयार की है. बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए डस्ट कंट्रोल सिस्टम लगाना जरूरी किया जाएगा और नियमित निरीक्षण भी होगा.
आवश्यक सेवाओं को मिलेगी छूट
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि कुछ आवश्यक सेवाओं से जुड़े पुराने वाहन इस नियम से छूट पाएंगे. लेकिन उन्हें भी धीरे-धीरे ग्रीन वैकल्पिक विकल्पों में बदला जाएगा.
