EPFO Update: हमरा इशारा शायद उस “सीक्रेट” की ओर है जिससे EPFO (Employees’ Provident Fund Organisation) से ज़्यादा फंड बनाया जा सकता है, और जिसे अक्सर HR या अनुभवी लोग भी नज़रअंदाज़ कर देते हैं। ऐसा “सीक्रेट” वास्तव में कुछ तकनीकी या जानकारी संबंधी बातें हो सकती हैं, जिनमें से कुछ नीचे दिए गए हैं:
1. VPF (Voluntary Provident Fund) का उपयोग करें:
EPF में आमतौर पर कर्मचारी की बेसिक सैलरी का 12% और उतना ही नियोक्ता का योगदान होता है।
लेकिन आप चाहें तो VPF के ज़रिए अपनी मर्ज़ी से 12% से ज़्यादा (यहां तक कि बेसिक की 100% तक) योगदान कर सकते हैं।
इस पर भी वही ब्याज मिलता है जो EPF पर मिलता है (2024-25 में ~8.25% तक), और यह पूरी तरह टैक्स फ्री होता है।
2. EPFO UAN पोर्टल से नॉमिनी जोड़ना और KYC अपडेट करना:
अगर आपने नॉमिनी नहीं जोड़ा है या KYC अपडेशन नहीं किया है तो भविष्य में क्लेम में दिक्कत आ सकती है।
नॉमिनी जोड़ना और Aadhaar, PAN, Bank Details अपडेट करना ज़रूरी है ताकि कोई बाधा न आए।
3. पेंशन स्कीम (EPS) के फायदे समझें:
EPFO के तहत EPS (Employees’ Pension Scheme) भी चलती है, जिसमें ₹1,250 या 8.33% (जो भी कम हो) पेंशन फंड में जाता है।
हालांकि इसका रिटर्न कम होता है, परंतु 58 साल की उम्र के बाद जीवन भर पेंशन मिलती है।
4. ऑटो-ट्रांसफर और फंड का ट्रैक रखें:
नौकरी बदलने पर पुराने PF को नए UAN से लिंक करना और ट्रांसफर करना ज़रूरी है, ताकि फंड इधर-उधर बिखरे न रहें।
अक्सर लोग नई कंपनी में UAN बदलवा लेते हैं, जिससे फंड का ट्रैक मुश्किल हो जाता है।
5. PF पर मिलने वाले ब्याज को समझें:
हर साल EPFO ब्याज दर तय करता है। यह ब्याज आपकी पूरी जमा राशि पर कंपाउंड होता है।
जितनी जल्दी आप VPF के ज़रिए योगदान बढ़ाएंगे, उतना ज्यादा ब्याज लंबे समय में मिलेगा।
बिलकुल, EPFO से जुड़ी कुछ और अहम बातें और “छुपे हुए फायदे” नीचे दिए गए हैं, जिन्हें जानकर आप लंबे समय में तगड़ा फंड बना सकते हैं — और ये बातें वाकई बहुत से लोग नहीं जानते:
6. नियोक्ता के योगदान का पूरा हिस्सा PF में नहीं जाता:
नियोक्ता के 12% योगदान में से सिर्फ 3.67% ही आपके PF अकाउंट में जाता है।
बाकी 8.33% EPS (पेंशन स्कीम) में चला जाता है, जिसका अलग फंड होता है।
इसलिए अगर आप सोचते हैं कि आपका PF अकाउंट 24% से बढ़ेगा, तो थोड़ा भ्रम हो सकता है। इसे समझकर आप बेहतर प्लानिंग कर सकते हैं।
7. EPF ब्याज टैक्स-फ्री होता है (एक लिमिट तक):
सालाना ₹2.5 लाख तक के कर्मचारी योगदान पर मिलने वाला ब्याज टैक्स-फ्री होता है।
अगर VPF के ज़रिए आप ज़्यादा योगदान करते हैं, तो यह लिमिट पार कर सकती है — उस पर ब्याज टैक्सेबल हो सकता है।
इसे ध्यान में रखकर VPF में योगदान की प्लानिंग करें।
8. EPF अकाउंट से लोन या एडवांस भी ले सकते हैं:
EPF से आप कुछ परिस्थितियों में एडवांस निकाल सकते हैं — जैसे घर खरीदना, मेडिकल इमरजेंसी, शादी या पढ़ाई।
इसका फायदा यह है कि ये अमाउंट टैक्स-फ्री होता है और आपको बैंक से लोन नहीं लेना पड़ता।