गोरखपुर से सिलीगुड़ी तक के एक्सप्रेस-वे का निर्माण अब महत्वपूर्ण चरण में पहुंच चुका है। इस परियोजना के तहत उत्तर प्रदेश, बिहार, और पश्चिम बंगाल के विभिन्न जिलों में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
Expressway: गोरखपुर से सिलीगुड़ी तक के एक्सप्रेस-वे का निर्माण अब महत्वपूर्ण चरण में पहुंच चुका है। इस परियोजना के तहत उत्तर प्रदेश, बिहार, और पश्चिम बंगाल के विभिन्न जिलों में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
गोरखपुर मंडल के तीन जिलों में 115 गांवों की भूमि अधिग्रहित की जाएगी। पहले यह संख्या 111 गांवों की थी, लेकिन ग्रीन लैंड एरिया की वजह से एक्सप्रेस-वे का मार्ग बदलना पड़ा, जिससे 4 और गांवों की भूमि अधिग्रहित की जाएगी।
इस एक्सप्रेस-वे की कुल लंबाई 519.58 किमी होगी, जिसमें से 84.3 किमी उत्तर प्रदेश में, 416.2 किमी बिहार में, और 18.97 किमी पश्चिम बंगाल में होगी।
एनएचएआई ने इस परियोजना का प्रस्ताव वर्ष 2021 में पेश किया था। डीपीआर (डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट) की प्रक्रिया में देरी का कारण हरित क्षेत्र और मौसम संबंधी चुनौतियां हैं। वन विभाग की अड़चनों के कारण डीपीआर को फिर से तैयार किया जा रहा है।
एनएचएआई के अधिकारी जल्द ही डीपीआर तैयार करके शासन को भेजने की योजना बना रहे हैं। इस परियोजना के पूरा होने के बाद यह क्षेत्रीय परिवहन को अत्यधिक सुविधाजनक बनाएगा और उत्तर भारत की महत्वपूर्ण सड़क परियोजनाओं में से एक के रूप में उभरेगा।
गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेस-वे उत्तर भारत के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है। इसके सफल क्रियान्वयन से ना केवल परिवहन सुविधाओं में सुधार होगा, बल्कि क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।