जायद फसलों में भिंडी का भी एक अपना अलग स्थान है।गर्मी और बारिश के मौसम में पैदा होने वाली यह सब्जी इस मौसम की एक महत्वपूर्ण फसल मानी जाती है।भिंडी का सेवन करा अधिकतर लोगो को पसंद है।बाजार में भिड़ी की मांग काफी रहती है।जिससे किसान अच्छा मुनाफा कमा लेते है।लेकिन रोग और किट लगने से भिंडी की गुणवत्ता के साथ ही पैदावार पर भी असर होता है।तो चलिए जानते है भिंडी की फसल में लगने वाले रोगो से कैसे बचाव करे।
भिंडी की फसल
भिंडी की खेती गर्मी और बरसात दोनों मौसम में की जाने वाली एक महत्वपूर्ण सब्जी है।यह एक ऐसी सब्जी है जिसे लोग मौसम के अनुसार खाना काफी पसंद करते है।लेकिन इसकी खेती करने वाले किसानो को इसे रोग और किट से बचाना बेहद जरुरी होता है।इसमें जड़ गलन और पीला शिरा मोजेक रोग और सफेद मक्खी,हरा तेल ,तना वे फल छेदक सुंडी किट लगने का खतरा ज्यादा रहता है।भिंडी की खेती के लिए दोमट मिटटी उपयुक्त मानी जाती है।साथ ही बरसात के मौसम में इसकी खेती के लिए खेती में पानी की निकासी होनी चाहिए।जिससे फसल में पानी न भरने पाए।
ऐसे करे बचाव
भिंडी की फसल में लगने वाले रोग और किट से बचाव के लिए उनने समय पर कीटनाशकों का छिड़काव करते रहना चाहिए।पीला शिर मोजेक भिंडी की फसल में लगने वाला सबसे खतरनाक रोग है।इस रोग में पत्तियों की सिरे पिली पद जाती है।पत्तिया पिली चितकबरी वे प्याले नुमा तथा फल छोटे वे पिले होने के साथ ही उत्पादन पर भी असर पड़ता है।
यह रोग वायरस जनित रोग है।यह माहु सफेद मक्खी से फैलता है।इससे बचाव के लिए संक्रमित पौधे को खेत से निकालकर मिटटी में दबा देना चाहिए।साथ ही फल छेदक किट के निवारण के लिए फेरोमोन ट्रेप का प्रयोग कर सकते है।जड़ गलन ,हरा तेल रोग के लिए काबेदाजिम /कॉपर ऑक्सी क्लोराइड का प्रयोग करके इस रोग से अपनी फसल का बचाव कर सकते है