देश में रबी फसलों का सीजन अब खत्म होने वाला है।किसान रबी फसलों की बुवाई पूरी कर चुके है और देश में अब जायद फसलों का सीजन शुरू होने वाला है।इसी बीच किसनओ से जायद फसलों में से एक तरबूज की बुवाई शुरू कर दी है।तरबूज एक ऐसा फल है,जिसकी डिमांड गर्मियों में ज्यादा रहती है।जिसके कारण से ये बाजार में ज्यादा बिकते है।तरबूज कम लागत में अच्छा मुनाफा देने वाली एक फसल है।तरबूज की खेती से किसान लाखो का मुनाफा कमा सकते है।ऐसे में अगर आप भी तरबूज की खेती करना चाहते है तो खेती का तरीका जरूर जान लीजिए।
समय और जमीन केसी होनी चाहिए ?? समय
माध्यम काल जल निकासी वाली मिटी तरबूज के लिए उपयुक्त है।तरबूज की फसल के लिए मिटटी का स्तर 5.5 से 7 तक उचित होता है। तरबूज की फसल को गर्म और सूखे मौसम और पर्याप्त धुप की जरूरत होती है।इसकी खेती के लिए 24 डिग्री सेलिसियस से 27 डिग्री सेल्सियस के बीच का तापमान सही होता है।तरबूज की बुवाई की समय सभी क्षेत्रो के अनुसार से अलग अलग है।उत्तर भारत के मैदानी इलाको में जहा इसकी बुवाई फरवरी – मार्च में की जाती है।उत्तर पूर्वी और पक्ष्मी भारत में इसकी बुवाई का सबसे सही नंवम्बर से जनवरी के बीच होता है।
लागत और मुनाफा
तरबूज की खेती से किसान अच्छा लाभ कमा सकते है।मुनाफे की राशि तरबूज की उपज और बाजार की कीमत पर निर्भर करती है।तरबूज की खेती से किसान लाखो रूपये का मुनाफा कमा सकते है।
तरबूज की खेती में सिचाई का समय
तरबूज की खेती में बुवाई के लगभग 10 -15 दिन के बाद सिचाई की जानी चाहिए।अगर आप इसकी खेती नदियों के किनारो पर कर रहे है तो सिचाई की जरूरत नहीं पड़ती है।यहाँ की मिटटी पहने से ही नमि बनी हुई रहती है।