First Class Admission: कर्नाटक सरकार द्वारा लागू की गई नई उम्र सीमा नियमावली ने लगभग पांच लाख बच्चों और उनके माता-पिता को एक बड़ी मुश्किल में डाल दिया है. नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP 2020) के अनुसार, कक्षा 1 में प्रवेश के लिए बच्चों की उम्र कम से कम छह वर्ष होनी चाहिए, जिसे 1 जून तक पूरा करना होगा.
पुरानी सरकार की छूट और नए नियम
पूर्व बीजेपी सरकार ने माता-पिता के विरोध के बाद 2023-24 और 2024-25 तक के लिए छह साल से कम उम्र के बच्चों को कक्षा 1 में प्रवेश देने की अनुमति दी थी. हालांकि, 2025-26 से यह छूट समाप्त कर दी जाएगी, जिससे बच्चों और उनके माता-पिता पर प्रभाव पड़ रहा है.
माता-पिता की चिंताएं
नए नियम से कई माता-पिता चिंतित हैं क्योंकि उनके बच्चों को एक अतिरिक्त वर्ष प्री-प्राइमरी में बिताना पड़ सकता है, जिससे न केवल आर्थिक बल्कि भावनात्मक बोझ भी बढ़ेगा. इसके अलावा, उन्हें देखना होगा कि उनके बच्चे अपने साथियों से पीछे छूट रहे हैं, जो उनके लिए कठिन साबित होगा.
अन्य राज्यों की स्थिति
कुछ राज्यों जैसे कि दिल्ली, महाराष्ट्र, ओडिशा, और मध्य प्रदेश में पहले से दाखिला ले चुके बच्चों के लिए इस तरह के नियम में छूट दी गई है, जो कर्नाटक में भी अपेक्षित है.
अभिभावकों की मांग
अभिभावकों ने कर्नाटक सरकार से आग्रह किया है कि नवंबर 2022 से पहले प्री-प्राइमरी में दाखिल हुए बच्चों को पुरानी उम्र सीमा के अनुसार कक्षा 1 में प्रवेश दिया जाए. उनका मानना है कि शिक्षा नीति में बदलाव से पहले एक संक्रमण काल होना चाहिए.
सरकार का आश्वासन
कर्नाटक सरकार ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है और पब्लिक एजुकेशन कमिश्नर ने आश्वासन दिया है कि उचित कदम उठाए जाएंगे ताकि बच्चों और माता-पिता पर कोई अनावश्यक बोझ न पड़े.