दक्षिण और उत्तर भारत में गर्मी का प्रकोप लगातार बढ़ता ही जा रहा है।तेज गर्मी का बाजार से ना सिर्फ इंसान परेशां है बल्कि पशु पक्षी और पेड़ो को भी काफी नुकसान हो रहा है।तेजी गर्मी और लू की वजह से पेड़ पौधे भी झुलस रहे है।ऐसे में बढ़ती गर्मी और लू से पेड़ो को बचाना बहुत जरुरी है।धुप से जलने की चोट आमतौर पर भारतीय राज्यों,राजस्थान,गुजरात,महाराष्ट के कुछ हिस्सों में देखि गयी है।ऐसे में इस मौसम में ड्रेगन फ्रूट की खेती कर रहे किसानो को काफी नुकसान होता है।इस मौसम में न सिर्फ पेड़ पौधे बल्कि फल भू झुलस जाते है।ऐसे में चलिए जानते है इनका बचाव कैसे करे
कैसे होती है डेगन फ्रूट की खेती
ड्रेगन फ्रूट को कलमों द्वारा प्रचारित किया जाता है।लेकिन इसके बीज से भी लगाया जा सकता है।बीज से लगाने पर फल लगने में ज्यादा समय लगता है,जो किसान के नजरिये से अच्छा नहीं है।बीज विधि व्यावसायिक खेती के लिए उपयुक्त नहीं है।इसे कलमों द्वारा प्रचारित करने के लिए कलमों की लंबाई 20 सेमि होनी चाहिए।इसे खेत में लगाने से पहले गमलो में लगाया जाता है।इसके लिए गमलो में 1:1:2 के अनुपात में सुखी गाय का गोबर,रेतीले मिटटी और रेट भरकर छाया में रख देते है।
ड्रेगन फ्रूट को गर्मी और लू से बचाने का तरीका
तेज गर्मी में अगर कोई नियंत्रण उपाय नहीं किया गया है तो इससे फलो की वृद्धि कम हो जाएगी और पौधे सुख कर मर भी सकते है।पौधे के तने के पश्चिमी भाग पर धुप से जलने की त्रीवता 10 -50 % के बिच होती है।यहाँ तक की धुप से झुलसने के बाद तना सदन रोग बढ़ने से भी बगीचे का पूरा नुकसान हो सकता है।ऐसे में ड्रेगन फ्रूट की फसल की सुरक्षा के लिए किसनओ को समय पर पता लगाने और आवश्यक सावधानिया बरतने की जरूरत है।ड्रेगन फ्रूट औषधीय गुणों से भरपूर एक बारहमासी केक्टस है,जिसका मूल उत्पादन दक्षिणी मेक्सिको,मशी अमेरिका और दक्षिण अमेरिका में शुरू हुआ।
क्या है सही उपाय
जनवरी मार्च माह के दौरान एंटी ट्रांस्पिरेंट्स {50 ग्राम प्रति लीटर पानी + निम् साबुन के साथ समुद्री घास के आरक और ह्यूमिक एसिड का छिड़काव करे।यह सन बर्न से होने वाले नुकसान,फंगल और बैक्टीरियल संक्रमण को भी कम करता है।ड्रेगन फ्रूट के बगीचे की सिचाई से फसल की धुप से जलने की चोट के प्रति सहनशीलता बढ़ सकती है