Toll Tax Rule: भारत सरकार ने सड़क परिवहन को और अधिक आसान व सुरक्षित बनाने के लिए हाईवे और एक्सप्रेसवे के विकास पर जोर दिया है. नए निर्माण के माध्यम से यात्रा का समय कम करना और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना इन प्रयासों के प्रमुख उद्देश्य हैं. ये नवनिर्मित सड़कें न केवल यातायात की गति को बढ़ाती हैं बल्कि स्थानीय व्यापार और पर्यटन के लिए भी नए अवसर प्रदान करती हैं.
टोल टैक्स की भूमिका और महत्व
इन हाईवे और एक्सप्रेसवे के निर्माण और रखरखाव में टोल टैक्स (Toll tax role) एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह राशि न केवल सड़कों की गुणवत्ता और सुरक्षा में सुधार करती है, बल्कि यह निरंतर विकास और बेहतरी के लिए आवश्यक धनराशि भी प्रदान करती है. एनएचएआई और अन्य संबंधित एजेंसियां इस धन का उपयोग सड़कों की बेहतरी और नवीनीकरण के लिए करती हैं.
टोल टैक्स से बचने के नियम और उपाय
यदि टोल बूथ पर लंबी कतारें होती हैं और यदि वाहनों की लाइन 100 मीटर से अधिक लंबी हो जाती है तो एनएचएआई के नियमों के अनुसार वाहन चालकों को टोल टैक्स से छूट दी जाती है (exemption from toll tax). यह प्रावधान ट्रैफिक की सुचारु गति को बनाए रखने और यात्रियों को सुविधा प्रदान करने के लिए है.
एनएचएआई की टोल वसूली नीति
एनएचएआई ने नियम निर्धारित किया है कि टोल बूथ पर भुगतान की प्रक्रिया 10 सेकंड से अधिक समय नहीं लेनी चाहिए (Toll payment time limit). यह उपाय टोल प्लाजा पर वाहनों की लंबी कतारों और ट्रैफिक जाम को रोकने के लिए है. इस तरह के उपाय से यातायात में सुधार होता है और यात्रा का समय घटता है.
60 किलोमीटर नियम
सरकार ने यह भी निर्धारित किया है कि किसी भी हाईवे पर दो टोल प्लाजा के बीच कम से कम 60 किलोमीटर का अंतर होना चाहिए (minimum distance between toll plazas). यह नियम यात्रा की लागत को कम करने और वाहन चालकों को अधिक सुविधाजनक यात्रा प्रदान करने के लिए है. हालांकि, कुछ अपवादों के साथ यह नियम लागू होता है जब ट्रैफिक और अन्य तकनीकी कारणों से इसे समायोजित किया जाता है.