गया में घूमने की जगह एवं गया में पिंडदान कहां-कहां होता है?
गया भारत में स्थित बिहार राज्य में ग्राम गया स्थित है, जो ज्यादातर तीर्थ एवं दर्शनीय स्थल (Best Tourist Places in Gaya) के कारण जाना जाता है। यहाँ देश व विदेश से लोग घूमने के लिये आते है यह इतिहास एवं प्राचीन द़ष्टि से बहुत ज्यादा प्रचिलित स्थान है इसी कारण ऐसा कोई भी व्यक्ति होगा जो गया के स्थान के बारे में नहीं जानता होगा ओर तो ओर यहॉ महात्मा गौतम बुद्ध की प्रतिमा स्थापित है एवं भगवान का बुद्ध का जन्म बहुत घूम घाम से मानाया जाता है और साथ ही साथ यहॉ प्राचीन मंदिर स्थित है गया तीन ओर से पहाडियों से घिरा हुआ है यहां पर फाल्गु नदी बहुत ज्यादा प्रसिद्ध है क्योंकि यहॉ देश और विदेश से यात्री आपने पुर्वजो का पिंड दान के लिये आते है। सर्नातन धर्म से अनुसार यहां मनुष्य की आत्मा को मुक्ति प्राप्त होती है और हिन्दुओं के रीतिरिवाज के कारण पीड़ी दर पीड़ा यह परमपरा चली आ रहीं है अपने पूर्वजो की आत्मा की शांति के लिये यहा पिंड दान किया जाता है। अब आप लोगों के मन में यह प्रश्न होगा यहां पिंड क्यों करते होगें यहा जाने के कौन से कौन से मार्ग है एवं यहॉ पर कितना खर्चा आयगा, पिंड दान का क्या महत्व है, पिंडदान की विधि क्या है , पिंडदान कब किया जाता है और सही समय कब है। हम आगे इसकी विस्तार से जानकारी देने वालें इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़े।
गया कैसे जाएं?
गया जाने के लिये तीन मार्ग का ज्यादातर उपयोग होता है वह इस प्रकार है।
सड़क मार्ग – भारत के कई महत्वपूर्ण शहर हैं, जो गया जाने के लिये आसान मार्ग है एवं कई बड़े शहरो से सीधे बस मिल जाती है। लेकिन सबसे कम बिहार की राजधानी पटना से मात्र 100 किमी दूरी पर गया स्थित है, इस लिये पटना से गया जाने का सबसे अच्छा मार्ग है।
रेल मार्ग – गया जंक्शन कई महात्वपूर्ण बड़े शहरों से जुडा हुआ। जैसे गया से भोपाल, इंदौर, मुंबई, दिल्ली, कोटा, अहमदाबाद, , जोधपुर, कालका, कानपुर, अमृतसर, मथुरा, देहरादून, रांची, पारसनाथ, नागपुर, बोकारो, वाराणसी, लखनऊ, इलाहाबाद, आगरा, बरेली, जबलपुर, चेन्नई , कोलकाता, कामाख्या गुवाहाटी, पुणे, पुरी, जमशेदपुर, जम्मू, ग्वालियर, भुवनेश्वर आदि हैं।
हवाई मार्ग – गया मेंअंतर्राष्ट्रीय एरपोर्ट है, जो नई दिल्ली, वाराणसी और कोलकाता से हवाईमार्ग से जुड़ा हुआ है। पटना एयरपोर्ट 124 किमी है जो दूसरे महानगरों शहरो से जुडा हुआ है । यह बिहार का एकमात्र अंतर्राष्ट्रीय हवाई एरपोर्ट है जो विदेश की यात्रा जैसे की नेपाल, भूटान, सिंगापूर आदि से की जा सकती है। नई दिल्ली, वाराणसी एवं कोलकता के लिए सुचारू रूप चालू है।
गया में पिंडदान का महत्व
गया जी में पिंडदान का विशेष महत्व है, हर साल यहां हजारों व लाखों की संख्या में लोग अपने पूर्वजों का पिंडदान करने के लिये आते हैं। यहां पिंडदान करने से मनुष्य की आत्मा को शांती प्राप्त होती है साथ ही साथ उनकी आत्मा को मोक्ष प्राप्त होता है। शास्त्र ग्रंथों के अनुसार यह माना जाता है कि यहां भगवान विष्णु जल के रूप में स्वंय विराजमान हैं एवं ग्रंथ गरुण पुराण में पिंडदान का विशेष महत्व बताया गया है। देश के कई स्थानों पर पिंडदान किया जाता है, लेकिन बिहार के गया में पिंडदान का एक अलग ही महत्व है। ऐसा माना जाता है कि गया धाम में पिंडदान करने से 7 पीढ़ियों का कष्ट निवारण हो जाता है। रामचरित्र मानस की कथा की अनुसार भगवान राम ने गया में अपने पिता जी दशरथ का पिंडदान किया था, तभी से यहां तीर्थ स्थल के रूप में जाना जाने लगा।
गया जी में पिंडदान क्यो करते है?
Pind Daan Gaya In Hindi – हिन्दू मान्यता के अनुसार पितृ पक्ष के दिनों में यमराज पितरों की आत्मा को मुक्त कर देते हैं क्योंकि 15 से 16 दिनों तक वह अपने-अपने परिजनों के बीच रहकर जल-भोजन का पान करके संतुष्ट हो सके। हमारी देशी भाषा में श्राद्ध शब्द का ज्यादातर उपयोग होता है। इसी को हम पितृ पक्ष के नाम से जानते है। इसी समय हम पितरों का शुद्ध भाव से पूर्वजों का श्राद्ध और तर्पण करते है। गरूण पुराण के अनुसार मृत्यु के उपरांत पिंडदान करना आत्मा की मोक्ष प्राप्ति का सरल मार्ग है। वाल्मीकी रामायाण के अनुसार माता सीता जी ने फल्गु नदी के किनारे बैठकर अपने ससुर श्री राजा दशरथ जी का पिंड दान किया था। जिसमें उन्होनें बरगद के पेड़ एवं केतकी के फूल और गाय को साक्षी मानकर बालू अर्थात रेत का पिंड बनाकर पिंडदान फाल्गु नदी में किया था। तभी यह प्रथा चली आ रही है। इस लिए सभी भारतीय एवं सनार्तन धर्म को मानने वाले पिंड करते है।
गया जी पिंडदान की पौराणिक कथा
गरूण पुराण के अनुसार असुर कुल में गया नाम के एक असुर का जन्म हुआ था, लेकिन उसने किसी असुर महिला से जन्म नहीं लिया था, इसलिए उसमें असुरों वाला कोई आचरण नहीं था। ऐसे में गयासुर ने सोचा कि यदि वह कोई बड़ा काम नहीं करेगा तो उसको अपने कुल में सम्मान नहीं मिलेगा। यह सोचकर वह श्री हरि भगवान विष्णु की कठोर तपस्या करने मगन हो गया। कुछ समय बाद गयासुर की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर श्री हरि भगवान विष्णु ने उसे स्वंय दर्शन दिया और कठोर तपस्या से प्रशन्न होकर उसे वरदान मांगने को कहा। उसने भगवान विष्णु से एक वरदान मांगा कि मेरी इच्छा है कि आप सभी देवी देवताओं के साथ अप्रत्यक्ष रूप से इसी शिला पर विराजमान रहें और यह स्थान मृत्यु के बाद किए जाने वाले धार्मिक अनुष्ठानों के लिए तीर्थस्थल बन जाए। यह सुन गयासुर ने भगवान विष्णु से कहा कि आप मेरे शरीर में साक्षात वास करें। जिससे जो मुझे देखे उसके समस्त पाप नष्ट हो जाएं, वह जीव पुण्य आत्मा हो जाए तथा उसे स्वर्ग की प्राप्ती हो। श्रीहरि ने उसे यह वरदान दे दिया, इसके बाद उसे जो भी देखता, उसके समस्त कष्टों का निवारण हो जाता और दुख दूर हो जाते।
दान और तर्पण का महत्व
इन दिनों में किया गया श्राद्ध व पितृ तर्पण सभी जीव आत्मा को संतुष्ट करता है। गरुड़ पुराण अनुसार बताया गया है कि पितृ पक्ष में किए गए श्राद्ध और श्राद्धा के अनुसार दिए गए दान से पितर को संतुष्टी प्रदान करता हैं साथ ही श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक, पारिवारिक और आर्थिक समस्याओं से रियात मिल जाती है।
गया जी में पिंडदान की तिथियां
गया में श्राद्ध कर्म और पिंडदान का विशेष महत्व है। गया जी में हर साल लाखों की संख्या में लोग अपने पूर्वजों का पिंडदान करने आते हैं। गया जी में विधि विधान से पिंडदान करने पर मृत आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है। गरुण पुराण में भी गया में पिंडदान का विशेष महत्व बताया गया है। पितृपक्ष के दौरान गया में हर साल लाखों लोग अपने-अपने पितरों का मन में याद करते हैं और उनकी आत्म की शान्ती के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते है एवं तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध कर्म करते है। पितरों की आत्म तृप्ति से व्यक्ति पर पितृ दोष नहीं लगता है। उस परिवार की उन्नति होती है और पितरों के आशीर्वाद से वंश की उन्नती होती है । इसके साथ आर्थिक समस्या से भी छूटकारा मिल जाता है।
पितृपक्ष में श्राद्ध करने की तिथियां 2024
पितृ पक्ष 17 सितंबर से शुरू होकर 2 अक्टूबर तक समाप्त होंगे।
श्राद्ध पक्ष की सभी तिथियां
17 सितंबर पूर्णिमा श्राद्ध
18 सितंबर प्रतिपदा श्राद्ध
19 सितंबर द्वितीया श्राद्ध
20 सितंबर तृतीया श्राद्ध
21 सितंबर चतुर्थी श्राद्ध
22 सितंबर पंचमी श्राद्ध
23 सितंबर षष्ठी और सप्तमी श्राद्ध
24 सितंबर अष्टमी श्राद्ध
25 सितंबर नवमी श्राद्ध
26 सितंबर दशमी श्राद्ध
27 सितंबर एकादशी श्राद्ध
29 सितंबर द्वादशी श्राद्ध
30 सितंबर त्रयोदशी श्राद्ध
1 अक्टूबर चतुर्दशी श्राद्ध
2 अक्टूबर सर्व पितृ अमावस्या (समापन)
गया में पिंडदान का खर्च
आइये हम आप सभी को गया इस वर्ष पितृपक्ष 2024 में कितना खर्चा आएगा। इसकी जानकारी विस्तार से बताने वाले आपको इसको जानना अति आवश्यक है।
पर्यटन विभाग ने महात्वपूर्ण पैकेज लॉन्च किये है जैसे पुनपुन अंतर्राष्ट्रीय पितृपक्ष मेला
बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम ने यात्रा पैकेज लॉन्च किए हैं। इस पैकेज के लिए बिहार में इसके आयोजन की शुरूवात करने जा रही है। जो आपको गया में जाने के लिये जानना बहुत आवश्यक है। पिंडदान एवं श्राद्ध पुनपुन नदी के किनारे किया जाएगा। अपने पितरो व पूर्वजों की आत्मा की शांति व मुक्ति के लिए पुनपुन और गया पहुंच कर पिंड दान करने वाले लोगों के लिए बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम ने कई तरह के पैकेजों की शुरुआत की है। इसकी सारी जानकारी BSTDC की आधिकारिक वेबसाईट पर उपलब्ध है। जहां से लोग इसे बुक भी करा सकते हैं।
23,000 रुपये खर्च करने होंगे
पर्यटन विकास निगम स्तर से ई-पिंडदान पैकेज के तहत श्रद्धालुओं को एकमुश्त 23,000 रुपये की राशि खर्च करनी होगी। इस पैकेज में विष्णुपद मंदिर, अक्षयवट व फल्गु नदी में पिंडदान के लिए पंडित-पुरोहित, पूजन सामग्री की व्यवस्था और दक्षिणा भी शामिल है। पिंडदान होने के बाद पेन ड्राइव में पूरी प्रक्रिया की विडियो रिकार्डिंग दिए गए पते पर भेज दी जाएगी।
11,250 से लेकर 39,500 का पैकेज
इसमें 11,250 से लेकर 39,500 रुपए तक का टूर पैकेज है। इसकी बुकिंग करवा कर पर्यटक पुनपुन, गयाजी, राजगीर और नालंदा का भ्रमण कर सकते हैं।
ई-पिंडदान पैकेज
देश विदेश एवं दूर दराज के लोग जो गया आकर पिंड दान नहीं कर पाते है उनके लिए इस बार ई-पिंडदान की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है। ई-पिंडदान के लिए लोगों को मात्र इक्कैस हजार रूपया मात्र खर्च करने होंगे। जिसमें तीन जगह पिंडदान किया जाएगा, जिसमे पिंडदान पुरी विधि विधान के साथ किया जाएगा और फिर इसका एक वीडियो बनाकर सभी भक्तों को डीवीडी एवं पेन ड्राइव में भेजा जाएगा जिसमें सभी व्यक्तियों इसका लाभ प्राप्त होगा।
गयाजी में रूकने व भोजन का उत्तम स्थान
गया में घूमने की जगह
गया पर्यटन एवं तीथस्थलों की काफी प्रसिद्ध स्थान है जिसमें बोधगया में घूमने की जगह इस प्रकार है योनी, रामशीला, प्रेतिशीला और देव बाराबर की गुफा और पावापुरी आदि इनमें शामिल है। पर्यटन, धार्मिक और वास्तु चित्रकला के लिये प्रसिद्ध है। यहाँ पर्यटकों के लिए दर्शनीय स्थल है जामा मस्जिद , मंगला गौरी मंदिर और विष्णुकपाद मंदिर स्थित है।
भगवान गौतम बुद्ध की प्रतिमा गया
The Great Buddha Statue Gaya – गया के प्रसिद्द स्थलों में एक भगवान गौतम बुद्ध की 80 फीट लम्बी प्रतिमा यहाँ बनी हुई। जिसका उदघाटन संत दलाई लामा ने सन 1989 को किया था। यह पर्यकट एवं तीर्थयात्री को बहुत ज्यादा प्रिय लगती है। यहां बुद्ध की प्रतिमा के साथ बुद्ध के जीवन के बारे में बताती है। जो आपको अपने जीवन में अलग अनुभव कराती है।
भगवान श्री हरि विष्णुपद मंदिर गया
Vishnupad Mandir Gaya – भगवान श्री हरि विष्णुपाद जी का मंदिर गया का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यहां भक्त अपनी आस्था को लेकर आते है। जहां हर मनुष्य की इच्छा पूरी हो जाती है। यहां भगवान श्री हरि विष्णु जी ने गयासुर नाम असुर का वद्ध करके उसका उद्धार किया। जहां उसको यह बरदान दिया था। जो भी उसकी इस स्थल दर्शन करेगा वह वैकुठ धाम को जायेगा। यह तीर्थस्थल प्रभु श्री हरि विष्णु जी पद कमलों के लिये जाना जाता है।
मूचालिंडा झील, गया
Muchalinda Lake – प्राचीन काल से यह तालाब पर्यटको एवं तीर्थ यात्रीयों को लुभाता है क्योकिं यहा भगवान गौतम बुद्ध की प्रतिमा स्थापित है। जो कि नाग द्वारा बुद्ध की प्रतिमा को ढ़के हुये जैसे छाता से मनुष्य अपने को तूफान पानी से बचाता है, वैसे ही बुद्ध की प्रतिमा ढकी हुयी है। भगवान यहां संत मूचा लिंदा तलाव स्थित है। सरोवर के बीचो बीच भगवान गौतम बुद्ध ध्यान मग्न प्रतिमा स्थित है।
बराबर की प्राचीन गुफा, गया
Barabar Cave – गया के प्राचीन स्थलों में शुमार बराबर गुफा प्राचीन एवं अधुनिक इतिहास कारों को प्राचीन सभ्यता से जोडती है, जो कि गया से मात्र तीस किमी की दूरी पर स्थित है। जहां भगवान बुद्ध के शिष्यों द्वारा पत्थर पर हाथों द्वारा पाली लिपि खुदेरी गयी है। जिसको इतिहास कार द्वारा पढ़ा गया है, जो आज के युवकों का पढ़ पाना मुश्किल है।
शाही भूटान मठ, गया
– गया के टूरिस्ट प्लेस का इस शाही मठ भूटान की स्थापना जापान के राजा द्वारा करायी गयी की थी, जो कि भगवान गौतम बुद्ध के लिये सर्मपित है। यहां जापान से भगवान की प्रतिमा को देखने के लिये बहुत सारे यात्री एवं तीर्थ स्थली लोग आते है।
माता दुन्गेश्वरी मंदिर, गया
Dungeshwari Tample – बोधगया का प्रसिद्ध पर्यटन स्थल यह मंदिर मॉ दुन्गेश्वरी के गुफा के नाम से भी जाना जाता है। यहां भगवान गौतम बुद्ध ने कई वर्ष यहां ध्यान लगाकर ज्ञान प्राप्त किया था। जिसको आज भी महाकाल की भूमि के नाम से जाना जाता है। यह स्थल बहुत ज्यादा शांति के लिए जाना जाता है। यह स्थान गया से मात्र ग्यारह किमी की दूरी पर स्थित है।
माता मंगला गौरी मंदिर , गया
Maa Mangla Gauri Tample – माता मंगला गौरी का मंदिर बोधगया का बहुत ज्यादा प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है जो कि सबसे ज्यादा प्राचीन मंदिर है क्योंकि माता सती का शरीर अंग यहा गिरा हुआ था। जिसकों आज हम 18 वीं शक्ति पीठ से जाना जाता है। यहाँ सभी भक्तों की मनोकामना पूरी होती है, चैत्र मास में यहाँ लोगों की काफी भीड लगी रहती है।
वट थाई का मठ, गया
Wat Thai Buddhagaya – गया में स्थित वट थाई मठ बहुत ज्यादा प्रचलित स्थान है। जो कि थाईलेण्ड के वस्तुकला पर आाधारित है। जिसकों देखने के लिये विदेशी भक्त आते है और भगवान गौतम बुद्ध का अनुसरण करते है। यह बोधगया में घूमने लायक जगह में महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
महात्मा बुद्ध का बोधी मंदिर, गया
Mahabodhi Temple – Gaya Tourism का यह मंदिर में भगवान बुद्ध को समर्पित है। बुद्ध भगवन को ज्ञान की प्राप्ति हुई जिस बोधि वृक्ष के नीचे हुई थी, वो लगा हुआ है। इसका पर्यटन एवं तीर्थ यात्री दर्शन करने को आते है।
गया में शॉपिंग व खरीदी करने के लिये प्रसिद्ध स्थान।
- एपीआर सिटी सेंटर मॉल जगजीवन रोड राय काशीनाथ मोरे, स्वराजपुरी रोड, गया
- बॉम्बे बाजार केपी रोड, पुरानी गोदम, दुलहिंगुंज, गया
- कटारी हिल रोड, एएम कॉलेज के सामने, गया
- बॉम्बे बाजार जीबी रोड, टी मॉडल स्कूल के पास, दुर्गा बारी
- सुरेश कॉम्प्लेक्सजीबी रोड, दुर्गा बारी, गया
- स्मार्ट सिटी सेंटर – गया में सर्वश्रेष्ठ मॉल और शॉपिंग कॉम्प्लेक्स।
- गया-नवादा रोड लखीबाग मोड़, मानपुर के पास, ब्रिज, गया
- आम्रपाली मॉलरेलवे कॉलोनी, गया
- नंदन वस्त्र बाटिका (दिल्ली गया) गया – पंचाननपुर – दाउदनगर रोड, जगदेव नगर, खरखुरा
- केशरी जनरल स्टोर गोल बगीचा, सिटी गोल्ड शॉप गेनी मार्केट, जीबी रोड
- भारत नलकूपरमना रोड, ऑप। राज पैलेस, लोहा पट्टी, गया
- रेक्सकार्ट ऑनलाइन शॉपिंग मुख्यालय अम्बेडकर नगर, पंचायती अखाड़ा,
- पंकज किरानागया – बोधगया रोड, जयप्रकाश नगर
- जमाल मार्केट शॉपिंग कॉम्प्लेक्स धमितोला, दुलहिंगुंज
- सुमन श्रृंगार और उपहार गैलरी ए पी कॉलोनी
- नेपाली कचौरी गोल बगीचा, गया, बिहार
- गौरव प्लाजा खरखुरा,
- मंगलम किराना स्टोर नारायणपुर मैगरा गयाबेनाम रोड, ए पी कॉलोनी
- महिमा डेयरी टेकरी रोड, गोलपथर ओपी। इंडियन बैंक, गोल बगीचा