Geeta Ke Upadesh: मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को गीता जयंती मनाई जाती है. इस साल गीता जयंती 11 दिसंबर को है। गीता में भगवान श्री कृष्ण के उपदेशों का वर्णन किया गया है. भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन के जरिए दुनिया को गीता का पाठ तब पढ़ाया था, जब कुरुक्षेत्र युद्ध की रणभूमि में अर्जुन के कदम लड़खड़ाने लगे थे. श्री कृष्ण के उपदेशों को सुनने के बाद अर्जुन अपने लक्ष्य को पूरा करने की ओर बढ़ गए थे. कहा जाता है की जीवन की सभी परेशानी का समाधान गीता में मिलता है.गीता में कही गई बातें अधुनिक जीवन में आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा देती हैं. ऐसे में अगर आप भी सफल होना चाहते हैं तो गीता जयंती के मौके पर गीता के कुछ उपदेश जरूर पढ़ें.
क्रोध पर नियंत्रण
गीता का उपदेश देते हुए भगवान कृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि क्रोध सभी कार्यों को बिगाड़ देता है। क्रोध करने से व्यक्ति का पतन शुरू हो जाता है। साथ ही व्यक्ति अच्छे और बुरे परिणामों में अंतर करना भूल जाता है और वह पतन के मार्ग पर चलने लगता है। इसलिए क्रोध करने से बचना चाहिए।
बेवजह की चिंता से बचें
श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि व्यक्ति को कभी भी किसी बात की बेवजह चिंता नहीं करनी चाहिए। हर किसी को एक न एक दिन मरना ही है, आत्मा न तो जन्म लेती है और न ही मरती है। आत्मा अमर है, इसलिए बेवजह की चिंता छोड़कर कर्म के मार्ग पर आगे बढ़ना चाहिए।
मन पर नियंत्रण रखें
हर व्यक्ति को अपने मन पर नियंत्रण रखना चाहिए। गीता के उपदेश में श्री कृष्ण ने बताया है कि जो व्यक्ति अपने मन पर नियंत्रण करना सीख लेता है, वह हर तरह की बाधा को आसानी से पार कर सकता है। इसलिए व्यक्ति को हमेशा अपने मन पर नियंत्रण रखना चाहिए।
फल की इच्छा छोड़कर कर्म पर ध्यान लगाएं
श्रीकृष्ण कहते हैं कि मनुष्य को फल की इच्छा छोड़कर कर्म पर ध्यान लगाना चाहिए। मनुष्य जो भी कर्म करता है, उसे उसके अनुसार ही फल मिलता है, इसलिए अच्छे कर्म करते रहें।