गिफ्ट्स से जुड़ा एक छोटा नियम आपकी जेब पर भारी टैक्स बनकर गिर सकता है! अगर आपने भी दोस्त, रिश्तेदार या ऑफिस से कोई कीमती गिफ्ट लिया है, तो जानिए कौन-से गिफ्ट टैक्स फ्री हैं और कौन-से आपको बना सकते हैं आयकर विभाग का ग्राहक!
गिफ्ट्स हमारे सामाजिक और पारिवारिक जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं। चाहे त्योहार हो जैसे होली, दिवाली या कोई निजी अवसर जैसे शादी-ब्याह, बर्थडे या एनिवर्सरी—गिफ्ट्स से ही रिश्तों में प्यार और अपनापन दिखाई देता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपका यह प्यार और स्नेह कभी-कभी इनकम टैक्स के दायरे में भी आ सकता है? जी हां, Income Tax Act के तहत कुछ खास स्थितियों में गिफ्ट्स टैक्सेबल इनकम में गिने जाते हैं।
कौन-से गिफ्ट्स टैक्स के दायरे में आते हैं?
भारतीय आयकर अधिनियम की धारा 56(2)(x) के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति या हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) को किसी वित्तीय वर्ष में ₹50,000 से अधिक का कैश, प्रॉपर्टी, ज्वैलरी, शेयर या कोई अन्य वैल्यूएबल आइटम किसी गैर-रिश्तेदार या मित्र से उपहार में मिलता है, तो उसे ‘Income From Other Sources’ के तहत इनकम टैक्स रिटर्न में दिखाना जरूरी होता है।
उदाहरण के तौर पर, अगर किसी मित्र ने आपको ₹60,000 की ज्वैलरी गिफ्ट की है, तो यह राशि टैक्सेबल इनकम मानी जाएगी। और यदि आपकी कुल टैक्सेबल इनकम टैक्स स्लैब के भीतर आती है, तो आपको उसपर टैक्स देना होगा।
किन रिश्तेदारों से मिले गिफ्ट टैक्स फ्री होते हैं?
Income Tax Act में यह स्पष्ट किया गया है कि ब्लड रिलेशन या ‘Specified Relatives’ से मिलने वाले गिफ्ट्स टैक्स के दायरे से बाहर होते हैं। इसमें पति-पत्नी, माता-पिता, भाई-बहन, बेटा-बेटी, दादा-दादी, नाना-नानी, मामा, चाचा, बुआ, मौसी, देवर-ननद जैसे रिश्तेदार शामिल हैं। इनसे मिलने वाले गिफ्ट्स की कोई मोनेटरी लिमिट नहीं होती है। मतलब, अगर पिता ने बेटी को ₹1 लाख का मोबाइल या कार गिफ्ट की है, तो उसपर टैक्स नहीं लगेगा।
शादी या विशेष मौकों पर मिलने वाले गिफ्ट्स का क्या है नियम?
शादी के मौके पर मिलने वाले गिफ्ट्स को टैक्स से छूट प्राप्त है। इसका मतलब है कि शादी के समय किसी भी व्यक्ति से मिला गिफ्ट चाहे वह ब्लड रिलेशन हो या न हो, टैक्सेबल इनकम नहीं माना जाएगा। लेकिन यह नियम केवल शादी तक सीमित है। अगर आप किसी की सालगिरह या बर्थडे पार्टी में गिफ्ट लेते हैं, तो ऊपर बताई गई ₹50,000 की सीमा लागू होगी।
ऑफिस या एम्प्लॉयर से मिले गिफ्ट्स का क्या है टैक्सेशन नियम?
यदि कोई कंपनी या एम्प्लॉयर अपने कर्मचारी को गिफ्ट, वाउचर या बोनस देता है, तो वह भी टैक्सेबल इनकम में शामिल होता है। अगर किसी त्यौहार पर कंपनी की ओर से ₹5,000 से अधिक का गिफ्ट मिलता है, तो उसे रिटर्न में दिखाना जरूरी होगा। ₹5,000 तक के गिफ्ट्स टैक्स फ्री होते हैं, लेकिन इससे ऊपर की राशि इनकम मानी जाती है।
वसीयत या पुश्तैनी संपत्ति पर टैक्स का क्या नियम है?
अगर आपको कोई संपत्ति वसीयत के ज़रिये मिली है या पुश्तैनी संपत्ति में हिस्सेदारी मिली है, तो उसपर किसी प्रकार का इनकम टैक्स नहीं देना होता है। लेकिन, यदि आप उस संपत्ति को बेचते हैं, तो उस बिक्री से हुई आमदनी Capital Gains के तहत टैक्सेबल हो जाएगी।
गिफ्ट्स की जानकारी न देना बना सकता है मुसीबत
कई बार लोग त्योहारों और अवसरों पर बड़े पैमाने पर गिफ्ट्स प्राप्त करते हैं और यह मान लेते हैं कि उनपर टैक्स नहीं लगेगा। लेकिन आयकर विभाग की नजर इन लेन-देन पर होती है। खासकर जब लेन-देन बैंक ट्रांजैक्शन या अन्य रिकॉर्ड्स के जरिये ट्रेस किया जा सकता है। इसलिए यह जरूरी है कि अगर आपको किसी गैर-रिश्तेदार से ₹50,000 से अधिक का कोई वैल्यूएबल गिफ्ट मिलता है, तो उसे आयकर रिटर्न में जरूर दर्ज करें।
गिफ्ट्स से जुड़े टैक्स नियमों की सही समझ क्यों जरूरी है?
भारत में गिफ्ट टैक्सेशन को लेकर अब भी लोगों में जागरूकता की कमी है। कई बार जानकारी के अभाव में लोग या तो रिटर्न में गिफ्ट्स को शामिल नहीं करते या गलत जानकारी भरते हैं, जिससे बाद में उन्हें नोटिस का सामना करना पड़ता है।
इसलिए यह समझना बहुत जरूरी है कि गिफ्ट टैक्सेशन केवल अमीरों या व्यापारियों पर लागू नहीं होता, बल्कि आम आदमी भी इसके दायरे में आ सकता है अगर वह नियमों को नहीं समझता। सही जानकारी और रेकॉर्ड रखने से आप न केवल टैक्स देनदारी से बच सकते हैं, बल्कि आयकर विभाग के सवालों का सही जवाब भी दे सकते हैं।