Gold Price – आने वाले समय में सोने की कीमतों में बड़ी गिरावट देखने को मिल सकती है. विशेषज्ञों का अनुमान है कि सोने की कीमत 40% से भी ज़्यादा गिर सकती है, जिससे यह फिर से आम आदमी और मध्यम वर्ग के लिए खरीदना आसान हो जाएगा… लेकिन माैजूदा समय में सोने की कीमत भारतीय खुदरा बाजार में 91 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम को भी पार कर चुकी है-
आने वाले समय में सोने की कीमतों में बड़ी गिरावट देखने को मिल सकती है. विशेषज्ञों का अनुमान है कि सोने की कीमत 40% से भी ज़्यादा गिर सकती है, जिससे यह फिर से आम आदमी और मध्यम वर्ग के लिए सुलभ (accessible) हो जाएगा. हाल ही में, भारतीय खुदरा बाज़ार में सोने का भाव ₹91,000 प्रति 10 ग्राम को पार कर गया. था पिछले एक साल में ही कीमतों में 35-40% की बढ़ोतरी हुई है, और 2025 में यह लगभग ₹10,000 महंगा हुआ है. (latest gold prices may decreas)
अमेरिकी विश्लेषक फर्म मॉर्निंगस्टार के अनुसार, सोने की कीमतें (sone ki keemat) अब तक के उच्चतम स्तर पर हैं, जिससे निवेशकों को लाभ और उपभोक्ताओं पर बोझ बढ़ रहा है. हालांकि, फर्म का अनुमान है कि अगले कुछ महीनों में सोने की कीमतों में 38% से अधिक की भारी गिरावट आ सकती है. यदि ऐसा होता है, तो आभूषण खरीदने वालों को बड़ा फायदा होगा, लेकिन निवेशकों को नुकसान उठाना पड़ सकता है. यह अनुमानित गिरावट बाजार में अस्थिरता का संकेत देती है, जिससे उपभोक्ता और निवेशक दोनों प्रभावित हो सकते हैं.
कितनी कम हो जागएी कीमत-
भारतीय बाजारों में अभी 24 कैरेट सोने की कीमत (gold price) लगभग 91,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के करीब है और ग्लोबल मार्केट में यह 3,100 डॉलर प्रति औंस से ऊपर है. मॉर्निंगस्टार के अनुसार, अगर इसमें लगभग 40% की संभावित गिरावट आती है तो भारत में इयकी कीमत करीब 55,000 रुपये प्रति 10 ग्राम हो सकती है. मॉर्निंगस्टार के रणनीतिकार जॉन मिल्स का मानना है कि सोने की कीमतें ग्लोबल मार्केट (global market) में गिरकर 1,820 डॉलर प्रति औंस तक आ सकती हैं, जो बड़ी गिरावट होगी.
क्या होगी इस गिरावट की वजह-
हाल ही में सोने की कीमतों में उछाल आर्थिक अनिश्चितता, महंगाई की चिंताओं और भू-राजनीतिक तनावों के कारण आया है. निवेशकों (investors) ने सोने को एक सुरक्षित संपत्ति के रूप में चुना, खासकर पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल के दौरान शुरू हुए व्यापार युद्ध के बीच. अब कई ऐसे फैक्टर हैं जो इन कीमतों को नीचे ला सकते हैं.
सोने की बढ़ती सप्लाई : सोने का उत्पादन काफी बढ़ गया है. 2024 की दूसरी तिमाही में खनन से होने वाला मुनाफा करीब 950 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच गया. वैश्विक भंडार भी 9% बढ़कर 2,16,265 टन हो गए हैं, जिसमें ऑस्ट्रेलिया ने काफी उत्पादन बढ़ाया है और रीसाइकिल सोने की सप्लाई में भी तेजी आई है. (Increasing Supply Of Gold)
घट रही डिमांड : दुनियाभर के केंद्रीय बैंक (central bank) जिन्होंने पिछले साल 1,045 टन सोना खरीदा था, अब खरीदारी धीमी कर सकते हैं. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के एक सर्वे में पाया गया कि 71% केंद्रीय बैंक अपने सोने के भंडार को कम करने या मौजूदा स्तर पर बनाए रखने की योजना बना रहे हैं.
मार्केट सेचुरेशन : साल 2024 में सोने के क्षेत्र में विलय और अधिग्रहण में 32% की वृद्धि हुई, जो बाजार में पीक का संकेत है. इसके अलावा सोने-समर्थित ईटीएफ में वृद्धि (Rise in ETF) उन पैटर्नों को दर्शाती है जो पिछले मूल्य सुधारों से पहले देखे गए थे.
बोफा-सॉक्स का दावा-बढ़ेगी कीमत-
सोने की कीमतों को लेकर विशेषज्ञों में मतभेद है. जॉन मिल्स का मानना है कि सोने की कीमतों में बड़ी गिरावट आएगी. वहीं, बैंक ऑफ अमेरिका (बोफा) और गोल्डमैन सैक्स (goldman sachs) जैसे बड़े वित्तीय संस्थान कीमतों में बढ़ोतरी का अनुमान लगा रहे हैं. बोफा का अनुमान है कि अगले दो साल में सोना 3,500 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकता है, जबकि गोल्डमैन सैक्स को उम्मीद है कि 2025 के अंत तक यह 3,300 डॉलर प्रति औंस तक हो जाएगा.