Gold Purchase Rules: सोना दुनिया की सबसे कीमती धातुओं में से एक है और भारत में इसकी मांग हमेशा से ऊंची रही है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सोने की खरीद-बिक्री पर भी कुछ खास नियम लागू होते हैं, जिनका पालन न करने पर भारी जुर्माना लग सकता है? अक्सर लोग बिना दस्तावेज लिए ज्वेलर्स के पास सोना खरीदने पहुंच जाते हैं, लेकिन ₹2 लाख या उससे ज्यादा की खरीदारी पर पैन कार्ड और आधार कार्ड अनिवार्य कर दिया गया है.
आयकर अधिनियम के तहत लागू हैं ये नियम
इनकम टैक्स एक्ट 1962 की धारा 114बी के तहत, अगर कोई ग्राहक ₹2 लाख या उससे अधिक मूल्य के सोने की खरीद करता है, तो उसे पैन या आधार कार्ड दिखाना अनिवार्य है.
यह प्रावधान नकद और डिजिटल दोनों प्रकार के भुगतान पर लागू होता है. इसका मुख्य उद्देश्य धन शोधन (Money Laundering) को रोकना है.
2020 में सोना खरीद पर और कड़ा हुआ कानून
वर्ष 2020 में केंद्र सरकार ने ‘धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002’ के दायरे को बढ़ाया. जिसमें रत्न और आभूषण क्षेत्र को रिपोर्टिंग संस्था घोषित किया गया. इसका अर्थ है कि ज्वैलर्स को भी KYC नियमों का सख्ती से पालन करना होगा और बड़ी रकम के लेनदेन की जानकारी सरकार को देनी होगी.
10 लाख से अधिक के कैश लेनदेन पर होती है रिपोर्टिंग
अगर कोई खरीदार 10 लाख रुपये या उससे अधिक राशि का नकद लेनदेन करता है. तो संबंधित ज्वेलर्स को सरकार को इसकी सूचना देना अनिवार्य होता है. यह जानकारी सरकारी एजेंसियों को भेजी जाती है. जिससे धन शोधन और अवैध वित्तीय गतिविधियों पर नजर रखी जा सके.
नकद लेनदेन की सीमा क्या है?
इनकम टैक्स एक्ट की धारा 269ST के अनुसार कोई भी व्यक्ति एक ही दिन में एक या अधिक लेनदेन के माध्यम से अधिकतम ₹2 लाख नकद में ही खर्च कर सकता है. इससे अधिक की राशि नकद में लेने या देने पर पूर्ण प्रतिबंध है.
नियम तोड़ने पर 100% जुर्माना
अगर कोई व्यक्ति या ज्वेलर इन नियमों का उल्लंघन करता है, तो आयकर अधिनियम की धारा 271डी के तहत नकद में प्राप्त की गई राशि के बराबर जुर्माना लगाया जाएगा. उदाहरण के लिए, यदि आपने ₹2.5 लाख कैश में सोना खरीदा तो जुर्माना भी ₹2.5 लाख लगाया जा सकता है.
किस स्थिति में जरूरी है पैन और आधार कार्ड?
- ₹2 लाख या उससे अधिक मूल्य के आभूषण/सोना खरीदने पर
- नकद या डिजिटल दोनों तरीकों से भुगतान करने पर
- 10 लाख रुपये या उससे अधिक नकद लेनदेन के लिए
इन सभी मामलों में पैन या आधार कार्ड प्रस्तुत करना अनिवार्य है. इसके बिना ज्वैलर्स को कोई लेनदेन नहीं करना चाहिए. अन्यथा वह कानूनी शिकंजे में फंस सकते हैं.
2 लाख से कम की खरीद पर क्या केवाईसी जरूरी है?
अगर आप ₹2 लाख से कम मूल्य का सोना नकद में खरीदते हैं, तो KYC की अनिवार्यता नहीं होती. हालांकि, कुछ ज्वैलर्स रिकॉर्ड और पारदर्शिता के लिए दस्तावेज मांग सकते हैं. लेकिन कानूनन यह अनिवार्य नहीं है.
केवाईसी क्यों है जरूरी?
KYC यानी ‘Know Your Customer’ का मकसद है कि ज्वेलर्स यह सुनिश्चित करें कि वे वास्तविक और वैध ग्राहक से ही लेनदेन कर रहे हैं. इससे धोखाधड़ी, कर चोरी और हवाला जैसे अपराधों पर नियंत्रण रखने में मदद मिलती है.
गलत जानकारी देने पर हो सकती है कार्रवाई
यदि कोई व्यक्ति फर्जी दस्तावेजों से खरीदारी करता है या गलत जानकारी देता है, तो उस पर धन शोधन अधिनियम, आयकर अधिनियम और फेमा जैसे कानूनों के तहत सख्त कार्रवाई की जा सकती है. साथ ही, ज्वेलर्स की लाइसेंसिंग और प्रमाणन पर भी असर पड़ सकता है.