Gold-Silver Price : इस साल सोने और चांदी की कीमत लगातार बढ़ती गई है। अब लगातार बढ़ोतरी के बाद गिरावट का दौर शुरू होने वाला है। एक्सपर्ट ने सोने और चांदी की कीमतों में 2011 जैसी गिरावट आने का संकेत दिया है। आईए जानते हैं 2011 में सोने के दाम कितने गिर गए थे और इस बार सोने चांदी में कितनी गिरावट आ सकती है।
सोने और चांदी की कीमत इस साल लगातार बढ़ती जा रही है। रोजाना ही सोना कोई ना कोई रिकॉर्ड बना रहा है। इस साल दो-तीन साल के बराबर की बढ़ोतरी सोने और चांदी में हो चुकी है। सोना 60% तो चांदी 80% से ज्यादा बढ़ चुकी है। हालांकि दिवाली के बाद सोने और चांदी की कीमतों में गिरावट देखने को मिली है। इस बीच एक्सपर्ट ने सोने और चांदी को लेकर 2011 वाली गिरावट को याद किया है।
सोने और चांदी के दामों में आई गिरावट
सोने और चांदी (Gold and Silver) के बाजार में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। देश के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय लेवल पर भी सोना और चांदी गिर रहे हैं। इंटरनेशनल लेवल की बात करें तो 4381 डॉलर प्रति औंस तक सोना पहुंच गया था जो टूटकर अब 4090 प्रति औंस पर आ गया है। इसी प्रकार चांदी के दाम भी पुराने रिकॉर्ड तोड़ते हुए 54.5 प्रति औंस पर पहुंच गए थे। परंतु, अब इसमें 10% से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई है।
भारत में सोने के दाम
भारत में सोने के दामों (Gold Rates) की बात करें तो मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर 5 दिसंबर के एक्सपायरी वाले सोने की कीमत ₹9000 के आसपास गिर चुकी है। अब सोना 131000 से 122000 प्रति 10 ग्राम पर आ गया है। चांदी में भी भयंकर गिरावट देखने को मिली है। चांदी तो करीब ₹25000 कम हुई है और 170000 से 145000 प्रति किलोग्राम के आसपास आ गई है।
क्यों गिर गए सोने और चांदी के दाम
सोने और चांदी (Gold And Silver Price) के दाम गिरने के पीछे डिमांड कम होना माना जा रहा है। देश में दिवाली के समय में सोने चांदी की ज्यादा डिमांड थी। दूसरी तरफ निवेशकों ने भी मुनाफा वसूलना शुरू कर दिया, जिसके कारण दोनों फैक्टर सोने और चांदी की गिरावट का कारण बने।
2011 में भी आई थी बड़ी गिरावट
एक्सपर्ट नितिन कौशिक के हवाले से मीडिया में रिपोर्ट्स हैं कि कमोडिटी ट्रेडिंग के इतिहास चौंकाने वाले रहे हैं। 2011 में चांदी की कीमत (Silver Price Update) में बहुत तगड़ी गिरावट देखने को मिली थी। 2008 और 2011 के बीच चांदी के भाव में काफी तेजी देखने को मिली।
29 अप्रैल 2011 को चांदी की कीमत 47.9 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गई थी जो 1980 के बाद का रिकॉर्ड हाई था। उस समय चर्चा होने लगी थी कि सिल्वर $100 तक पहुंच जाएगा, लेकिन ऐसी तगड़ी गिरावट आई कि कई साल तक निवेशकों पर गिरावट का असर रहा।
चांदी (Chandi Me Giravat) में इतनी बड़ी गिरावट आने का असर निवेशकों के ऊपर कई साल तक रहा था। एमसीएक्स पर पांच कारोबारी दिनों में ही चांदी 48 से 33 डॉलर पर आ गई थी। यानी की 31% की भारी गिरावट देखने को मिली थी। सितंबर 2011 तक चांदी (Silver Rates) फिर से लुढ़की और महीने से भी कम समय में चांदी गिरकर $26 पर आ गई।
चांदी की कीमतों में यह इतनी बड़ी गिरावट थी कि सब व्यापारी हैरान रह गए थे और आज के समय में आ रही गिरावट भी इसी और इशारा करती दिखाई दे रही है। इतिहास खुद को दोहराता दिख रहा है।
फिर से गिरावट से बचने के लिए क्या करना चाहिए
एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर गिरावट से बचना है तो उन्हें अपने पैसे को किसी एक धातु (Gold Invest) में निवेश नहीं करना चाहिए। अलग-अलग जगह पर निवेश का जरिया देखना चाहिए। कुछ मुनाफा कमाए और फिर 40 से 50% के लिए अवसर कहीं और देखें। बाजार कभी नहीं मारते वह सिर्फ नेतृत्व बदलते रहते हैं।
