Gold Rate : सोने की कीमतों में जल्द ही गिरावट आ सकती है। कामाख्या ज्वेल्स के को-फाउंडर मनोज झा ने यह आशंका जताई है। भारत में, मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर दिसंबर डिलीवरी वाले सोने का वायदा भाव 21 अक्टूबर को 2.12% बढ़कर 129700 रुपये पर था… आइए नीचे खबर में जान लेते है आखिर कितनी गिरावट आ सकती है सोने के दाम-
सोने की कीमतों में जल्द ही गिरावट आ सकती है। कामाख्या ज्वेल्स के को-फाउंडर मनोज झा ने यह आशंका जताई है। उन्होंने मीडिया से बातचीत पर बताया कि सोना “बबल जोन” में प्रवेश कर चुका है और आने वाले महीनों में मुनाफा-वसूली की संभावना है। भारत में, मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर दिसंबर डिलीवरी वाले सोने का वायदा भाव 21 अक्टूबर को 2.12% बढ़कर 129700 रुपये पर था।
वैश्विक स्तर पर सोने के हाजिर भाव में 0.1% की मामूली बढ़ोतरी हुई, जो 4,253.33 प्रति औंस हो गया। इसी तरह, दिसंबर डिलीवरी वाला अमेरिकी गोल्ड फ्यूचर्स 1.3% बढ़कर 4,266.30 प्रति औंस पर पहुंच गया।
सोने की इस तेजी की मुख्य वजहें अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व (central bank federal reserve) द्वारा ब्याज दरों में और कटौती की उम्मीद और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताएं हैं। इन कारकों ने सोने को निवेशकों के लिए एक सुरक्षित निवेश विकल्प बना दिया है।
अपने महत्वपूर्ण मोड़ पर सोना-
झा के मुताबिक,, “सोना अपने महत्वपूर्ण मोड़ पर पहुंच गया है। निवेशक भी थोड़े चिंतित हैं। इससे पहले, सोने ने 1979-80 और फिर 2010-11 में बड़ी तेजी दिखाई थी। लेकिन उन ऊंचाइयों के बाद इसमें बड़ी गिरावट आई।” झा के अनुसार, सोने की कीमतों में हालिया उछाल ने निवेशकों के पोर्टफोलियो एलोकेशन (Investors’ portfolio allocation) को सामान्य से ज्यादा बढ़ा दिया है। उन्होंने कहा, “आमतौर पर लोग अपने पोर्टफोलियो में 10-12% सोना रखते हैं, लेकिन कीमतों में हालिया बढ़ोतरी के बाद यह रेशियो बढ़कर 18-22% हो गया है। इसलिए, लोग अभी मुनाफा कमाना चाह सकते हैं क्योंकि सोना ओवरबॉट जोन में है।”
गिरावट पर लॉन्ग टर्म निवेशक फिर से लगा सकते हैं पैसा-
झा का अनुमान है कि निकट भविष्य में सोने की कीमत में लगभग 300-400 प्रति औंस की गिरावट आएगी, जिससे नए निवेश के अवसर बनेंगे। वह सुझाव देते हैं कि कीमतों के स्थिर होने पर लॉन्ग टर्म निवेशक फिर से निवेश कर सकते हैं। शॉर्ट टर्म में गिरावट की आशंका के बावजूद, झा भारत में त्योहारी मांग और सोने की लॉन्ग टर्म डिमांड (long term demand) को लेकर आशावादी बने हुए हैं।
उनका कहना है कि इस साल धनतेरस के दौरान ज्वैलरी की मांग (demand for jewellery) उम्मीद से बेहतर रही। रिकॉर्ड कीमतों के बावजूद बिक्री में केवल 15-20% की गिरावट आई। सराफा बिक्री सालाना आधार (Bullion sales on an annual basis) पर 25% से ज्यादा बढ़ी। ऊंची कीमतों के बावजूद झा का मानना है कि निकट भविष्य में गिरावट बाजार के लिए अच्छी रहेगी, जिससे आगे चलकर निवेशकों की दिलचस्पी बनी रहेगी।
