Gold in Reserve : सोने के दामों में लगातार बढ़ौतरी देखी जा रही है। अब सोने के दाम में हर दिन तेजी देखी जा रही है। भले ही सोने के दाम में तेजी देखी जा रही है, लेकिन फिर भी 6 महीने में सिर्फ 7 क्विंटल गोल्ड खरीदा गया है। अब ऐसे में कई लोग सोचते हैं कि आखिर इतने गोल्ड की खरीददारी कौन कर रहा है और आइए खबर में जानते हैं कि सोना (Sone Ke Rate) खरीदने के आंकड़े क्या रहे हैं।
देशभर में इस वर्ष गोल्ड की कीमतों में बड़ी तेजी देखने को मिली है। गिरावट को हटा दिया जाएग तो भी सोने की कीमतें काफी हद तक बढ़ी है। सोने के दाम लगातार बढ़ रहे हैं, लेकिन फिर भी 6 महीने में 7 क्विंटल गोल्ड खरीदा गया है। आइए खबर में जानते हैं कि किसने इतना गोल्ड (Gold in Reserve) खरीदा है और गोल्ड खरीदने के आंकड़ें क्या रहे हैं।
आरबीआई के पास कितना है सोने का कुल भंडार
दरअसल, आपको बता दें कि रिजर्व बैंक ने अपने सोने के भंडार (Gold reserves with the Reserve Bank) को लगातार बढ़ाने का क्रम अभी तक जारी रखा है। सितंबर के अंत तक आरबीआई के पास सोने का कुल भंडार बढ़कर 880 टन को भी क्रॉस कर गया है।
आरबीआई के आंकड़ों से यह क्लियर कर दिया गया है कि भारतीय रिजर्व बैंक का स्वर्ण भंडार (Reserve Bank of India’s gold reserves) फाइनेंशियल ईयर 2025-26 की पहली छमाही में 880 टन के स्तर को क्रॉस कर गया है। इस भंडार में केंद्रीय बैंक ने सितंबर के आखिरी सप्ताह में 0.2 टन सोना जोड़ा है।
सितंबर और जून में खरीदा गया इतना सोना
आरबीआई (RBI) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, 26 सितंबर, 2025 तक सोने का कुल मूल्य 95 अरब डॉलर पर था। कई कारणों के चलते सोने की डिमांड में बढ़ौतरी हुई है और बढ़ती वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच हाल के महीनों में सुरक्षित निवेश (Gold Investment) के चलते बढ़ौतरी हुई है। सितंबर में समाप्त छमाही में रिजर्व बैंक ने 0.6 टन सोने को खरीद लिया है। रिजर्व बैंक के नवीनतम बुलेटिन के मुताबिक, सितंबर और जून में तकरीबन कुल 0.2 टन  और 0.4 टन सोना खरीदा गया।
सितंबर के आखिर तक कितना था भंडार
वैसे तो अब तक रिजर्व बैंक (reserve Bank) के पास कुल स्वर्ण भंडार सितंबर के आखिर तक बढ़कर 880.18 टन के आस-पास हो गया है, जो वित्त वर्ष 2024-25 के आखिर तक 879.58 टन था। फाइनेंशियल ईयर 2024-25 के दौरान रिजर्व बैंक ने 54.13 टन सोने को  जोड़ा था।
बुलेटिन में यह क्लियर किया गया है कि वैश्विक आर्थिक और भू-राजनीतिक अनिश्चितता बढ़ने से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोने की कीमतों (international gold prices) में तेजी देखी गई है, जिसने सुरक्षित इन्वेस्टमेंट के लिए प्रोत्साहित किया है और केंद्रीय बैंकों और निवेशकों द्वारा वित्तीय परिसंपत्ति के रूप में सोने की डिमांड ने घरेलू कीमतों में इजाफे को बढ़ावा दिया है।

 
			 
                                 
                              
		 
		 
		 
		