इलेक्ट्रिक वाहनों से होने वाले फायदे को देखते हुए सरकार ने मैन्यूफैक्चरिंग नीति लाने का फैसला कर लिया है यह निति इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रोत्साहन के लिए पहले से चल रही फास्टर एडाप्शन एंड मैन्यूफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल और प्रोडक्शन लिकेन्ड इंसेटिव स्कीम से अलग होगी।
नई नीति से EVs को मिलेगा बढ़ावा
सरकार नई नीति लाकर ईवी मैन्यूफैक्चरिंग की सबसे बड़ी अमेरिकन कंपनी टेस्ला व वियतनाम की ईवी कंपनी विनफास्ट को भारत में निवेश के लिए लाना चाहती है। इस दिशा में भारी उद्योग मंत्रालय व उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग के साथ में मिलकर नीति तैयार कर रहा है। ईवी प्रोत्साहन के लिए पहले से चली आ रही नीति के समर्थन से वर्ष 2023 में ईवी की कुल बिक्री में वर्ष 2022 के मुकाबले 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। कुल ऑटोमोबाइल्स बिक्री में वर्ष 2021 में ईवी की हिस्सेदारी सिर्फ 1.02 प्रतिशत थी जो वर्ष 2023 में बढ़कर 6.38 प्रतिशत हो गई। सरकार वर्ष 2030 तक इस हिस्सेदारी को 30 प्रतिशत से अधिक ले जाना चाहती है।
भारत में होगी Tesla जैसी कंपनियों की एंट्री
टेस्ला जैसी ईवी मैन्युफैक्चरिंग कंपनी के भारत में आने से देशभर में वही माहौल बनेगा जो मोबाईल निर्माण कम्पनी एपल के भारत में आने से बना है, सूत्रों के मुताबिक जो नीति बनाई जाएगी उससे केवल विदेशी ईवी मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों को लाभ नहीं मिलेगा।
आपको बता दे, घरेलू कंपनियों को भी समान अवसर प्रदान किए जा रहे है और टेस्ला भारत में पहले एक निश्चित संख्या में बनी-बनाई इलेक्ट्रिक कार बेचेगी और उसके एक-दो साल बाद भारत में मैन्यूफैक्चरिंग करना भी शुरू कर सकती है। इसलिए टेस्ला सरकार से इलेक्ट्रिक कार के आयात शुल्क में भारी छूट चाहती है।
सूत्रों के मुताबिक ईवी की प्रस्तावित नीति में सिर्फ टेस्ला को कोई छूट नहीं दी जाएगी क्योकि सभी कंपनियों के लिए एक समान नीति होगी। घरेलू कंपनियां किसी भी रूप में प्रभावित नहीं हो, इस दिशा में काम किया जा रहा है। सरकार भारत को ईवी के मैन्यूफैक्चरिंग हब के रूप में स्थापित करना चाहती है।
ऐसे में इलेक्ट्रिक कार के आयत की छूट से मैन्यूफैक्चरिंग प्रभावित हो कसता है वही टेस्ला से बैंक गारंटी ली जा सकती है कि एक निश्चित समय के बाद में भारत में मैन्यूफैक्चरिंग शुरू नहीं करने पर उससे आयात शुल्क का लाभ वापस ले लिया जाएगा इसके साथ ही प्रावधान किया जा सकता है।
2024-25 में फेम-3 शुरू कर सकती है सरकार
सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री और तेज करने के लिए नए वित्त वर्ष 2024-25 में फेम-3 शुरू कर सकती है। फेम-2 की अवधि इस साल मार्च में खत्म हो रही है और इसके साथ ही इलेक्ट्रिक दोपहिया व बसों की बिक्री पर मिलने वाली सरकारी सब्सिडी समाप्त हो जाएगी। नए वित्त वर्ष में सरकार फेम-3 के लिए 10,000 करोड़ रुपए का आवंटन कर सकती है। फेम-3 में दोपहिया वाहन व बस के साथ ट्रक व अन्य कमर्शियल वाहनों की बिक्री पर भी सब्सिडी दी जा सकती है।