Gratuity Update: ग्रेच्युटी की गणना बेसिक सैलरी और नौकरी के वर्षों के आधार पर होती है। यदि किसी कर्मचारी की बेसिक सैलरी ₹25,000 है और उसने 20 साल की सेवा पूरी की है, तो उसे कितनी ग्रेच्युटी मिलेगी, इसकी पूरी गणना यहां जानें। पढ़ें पूरी डिटेल नीचे।
किसी भी कर्मचारी को लगातार 5 साल तक नौकरी करने के बाद ग्रेच्युटी की राशि दी जाती है। यह राशि सरकारी और प्राइवेट दोनों कंपनियों के कर्मचारियों को मिलती है, बशर्ते कंपनी ग्रेच्युटी एक्ट के तहत रजिस्टर्ड हो।
अगर किसी कंपनी में 10 या उससे अधिक कर्मचारी हैं, तो कंपनी को ग्रेच्युटी का भुगतान करना अनिवार्य होता है। अगर कंपनी ग्रेच्युटी एक्ट के तहत रजिस्टर्ड है, तो कर्मचारी को नियमों के अनुसार ग्रेच्युटी मिलेगी। यदि कंपनी रजिस्टर्ड नहीं है, तो भुगतान पूरी तरह कंपनी की मर्जी पर निर्भर करता है। भारत में ग्रेच्युटी के लिए कम से कम 5 साल की नौकरी अनिवार्य है। हालांकि, अगर किसी ने 4 साल 8 महीने काम किया है, तो उसे 5 साल का कार्यकाल माना जाता है, लेकिन 4 साल 7 महीने काम करने पर वह ग्रेच्युटी के लिए योग्य नहीं होगा। अगर किसी कर्मचारी की सेवानिवृत्ति या नौकरी छोड़ने से पहले मृत्यु हो जाती है, तो कंपनी को ग्रेच्युटी की राशि उसके नॉमिनी को देनी होती है। इस स्थिति में न्यूनतम कार्यकाल की शर्त लागू नहीं होती।
ग्रेच्युटी की गणना कैसे होती है? Gratuity Rule
ग्रेच्युटी कैलकुलेशन का फॉर्मूला:
(अंतिम बेसिक सैलरी × नौकरी की अवधि × 15) ÷ 26
उदाहरण के लिए, यदि किसी कर्मचारी की अंतिम सैलरी ₹50,000 है और उसने 20 साल तक काम किया है, तो उसकी ग्रेच्युटी होगी:
₹50,000 × 20 × 15 ÷ 26 = ₹5,76,923
ग्रेच्युटी कैलकुलेशन में ध्यान देने योग्य बातें Gratuity Rule
प्राइवेट कर्मचारियों को सरकारी कर्मचारियों की तरह डीए (महंगाई भत्ता) का लाभ नहीं मिलता है, इसलिए ग्रेच्युटी कैलकुलेशन में केवल बेसिक सैलरी को जोड़ा जाता है।
5 साल से अधिक नौकरी करने पर क्या लाभ मिलेगा? Gratuity Rule
अगर किसी कर्मचारी ने 5 साल से अधिक काम किया है, तो उसे अधिक ग्रेच्युटी मिलेगी। कुछ कंपनियां अपने कर्मचारियों के लिए अतिरिक्त ग्रेच्युटी लाभ भी तय करती हैं। कर्मचारियों के लिए ग्रेच्युटी एक बड़ा फायदेमंद लाभ है, इसलिए इसके नियमों को जानना जरूरी है।