Green Lockdown : लाहौर में प्रदूषण के चलते ग्रीन लॉकडाउन लागू! स्कूल बंद, आधे कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम का आदेश, और मास्क पहनना हुआ अनिवार्य। जानें कैसे हवा की खतरनाक स्थिति ने सरकार को लॉकडाउन जैसे कड़े कदम उठाने पर मजबूर किया। क्या आपके शहर में भी ऐसे हालात हो सकते हैं? पढ़ें पूरी रिपोर्ट।
भारत और पाकिस्तान में वायु प्रदूषण की समस्या लगातार गंभीर होती जा रही है। हालात इतने बदतर हो गए हैं कि पाकिस्तान के लाहौर शहर में प्रदूषण के कारण लॉकडाउन जैसे प्रतिबंध लगा दिए गए हैं। इस “ग्रीन लॉकडाउन” के तहत प्राथमिक स्कूलों को एक सप्ताह के लिए बंद करने का आदेश दिया गया है, मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया गया है, और 50 प्रतिशत कर्मचारियों को घर से काम करने का निर्देश दिया गया है। इस लेख में जानिए वायु प्रदूषण के बढ़ते खतरे के बीच लाहौर में लागू किए गए इस ग्रीन लॉकडाउन के सभी पहलुओं के बारे में।
स्कूलों और दफ्तरों पर लगाए गए प्रतिबंध (Schools Closed and Work-from-Home Orders)
लाहौर में 22 अक्टूबर को वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 394 तक पहुंच गया था, जिसके बाद से प्रदूषण में निरंतर वृद्धि होती रही। शनिवार को यह AQI 1100 के पार चला गया, जिससे हालात और भी खतरनाक हो गए। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए लाहौर प्रशासन ने अगले एक सप्ताह तक प्राथमिक स्कूलों को बंद रखने का निर्णय लिया है। इसके अलावा, शहर के सभी दफ्तरों में 50 प्रतिशत कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम (Work from Home) की सुविधा देने का आदेश दिया गया है, ताकि सड़कों पर ट्रैफिक और प्रदूषण में कमी लाई जा सके।
मास्क पहनना अनिवार्य और प्रदूषण घटाने के प्रयास
शहर के अधिकारियों ने आम जनता के लिए मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया है। खासकर बच्चों के लिए यह अनिवार्य किया गया है, क्योंकि बच्चों के फेफड़े वयस्कों की तुलना में कम विकसित होते हैं और प्रदूषण से अधिक प्रभावित हो सकते हैं। इसके अलावा, लाहौर की सड़कों पर पानी का छिड़काव किया जाएगा और निर्माण कार्यों पर अस्थायी रोक लगाई गई है। इसी के साथ, बिना फिल्टर के लकड़ी या चारकोल का उपयोग कर खाना पकाने पर भी प्रतिबंध लगाया गया है और मोटर चालित रिक्शाओं पर बैन लगाया गया है।
प्रदूषण का कारण: डीजल गाड़ियां, पराली और सर्दी
लाहौर के पर्यावरण अधिकारियों के अनुसार, शहर में प्रदूषण का मुख्य कारण डीजल गाड़ियों से निकलने वाला धुआं, पराली जलाना, और सर्दी का मौसम है। सर्दियों में हवा की गति कम होने के कारण प्रदूषक कण वातावरण में ही बने रहते हैं, जिससे वायु गुणवत्ता खराब हो जाती है। स्थानीय पर्यावरण अधिकारियों ने बताया कि अगले छह दिनों तक शहर की वायु गुणवत्ता में सुधार की संभावना नहीं है।
भारत पर आरोप: पाकिस्तान का दावा और IMD का जवाब
पाकिस्तान ने भारत पर आरोप लगाया कि प्रदूषण का एक हिस्सा भारत से पाकिस्तान में प्रवेश कर रहा है। इस दावे पर भारत की ओर से प्रतिक्रिया देते हुए भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने स्पष्ट किया कि दिवाली के दो दिन बाद से हवा की दिशा उत्तर-पश्चिमी थी, जो कि पाकिस्तान की ओर नहीं जा रही थी। IMD के अनुसार, हवा की गति भी बहुत धीमी थी, जिससे प्रदूषक कण पाकिस्तान की ओर नहीं बढ़ सकते थे। भारत ने पाकिस्तान के इन आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया और तथ्यों के आधार पर खारिज कर दिया।
प्रदूषण के खतरे से बच्चों को बचाने के लिए उठाए गए कदम
लाहौर प्रशासन ने बच्चों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए स्कूलों में मास्क पहनना अनिवार्य किया है। बच्चों के फेफड़े वयस्कों की तुलना में कम विकसित होते हैं, जिससे वे प्रदूषण से अधिक प्रभावित होते हैं। बच्चों को प्रदूषण से बचाने के लिए उनके स्कूल जाने पर रोक लगाई गई है और साथ ही घर में सुरक्षित रहने की सलाह दी गई है।
“ग्रीन लॉकडाउन” से कितनी मिलेगी राहत?
लाहौर में लागू किए गए इस ग्रीन लॉकडाउन से उम्मीद की जा रही है कि इससे प्रदूषण में थोड़ी कमी आएगी। सड़कों पर कम वाहनों के चलने से और निर्माण कार्यों पर रोक से वायु गुणवत्ता में सुधार की संभावना है। हालांकि, यह एक अस्थायी उपाय है और वायु प्रदूषण की समस्या से स्थाई रूप से निपटने के लिए लंबे समय तक कारगर नीति की आवश्यकता होगी।