ग्वार की खेती की किसानों के लिए काफी लाभकारी होती है इसकी खेती से किसाब अच्छी कमाई कर लेते है यह देश के पश्चिमी भाग में की जाती है सूखा वाले क्षेत्रों में इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाती है यह एक सब्जी होती है जो सबसे अधिक तापमान सहन कर सकने वाली फसल है वही भारत में ग्वार में खेती उत्तर प्रदेश, गुजरात, पंजाब हरियाणा और राजस्थान में की जाती है देश में राजस्थान एक ऐसा राज्य है जहां 80 % तक ग्वार की खेती की जाती है इसका उपयोग पशुओं के लिए चारे के रूप में किया जाता है वही दलहनी फसलों में ग्वार की खेती एक मुख्य फसल भी है।
यह एक कम समय में होने वाली फसल है, ग्वार की फसल को तैयार होने में लगभग 70 से 80 दिन का समय लगता है इसमें भरपूर मटर में प्रोटीन होता है देश में इसे पशुओं को चारे के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है इससे पशुओं को बहुत सारे पोषक तत्व मिल जाते है भारत में सबसे अधिक ग्वार का उत्पादन होता है इसके बावजूद भी किसान इसकी कम ही खेती करते है और इसके बारे में कम ही जानते है, ग्वार की बेहतर उपज पाने के लिए और इससे अच्छा मुनाफा कमाने के लिए किसानों को इसके बारे में जानकारी होनी जरूरी है।
ग्वार की किस्में
ग्वार की यह वर्षा आधारिक किस्म है अच्छी बारिश होने पर यह किस्म अच्छी उपज देती है। इसकी पत्तियां खुरदुरी होती हैं और दाने मोटे हैं. इसकी फलियां लंबी होती है। ग्वार की यह किस्म बुवाई के 90-100 दिनों के अंदर तैयार हो जाती है, यह प्रति एकड़ 8 से 9 क्विंटल का उत्पादन देती है। इस किस्म की खासियत है कि यह अंगमारी रोग और जल गलन रोग से प्रभावित नहीं होती है।
सबसे अधिक उत्पादन वाली किस्म
आर जी सी-1038 ग्वार की सबसे अधिक उत्पादन देने वाली फसलों में से एक है इसकी अवधि 100-110 दिनों की होती है। इसकी पत्तियां खुरदरी और कटाव वाली होती है इस किस्म की उत्पादन 15-20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है इसकी फली मध्यम आकार होती है ग्वार की यह किस्म कई रोगों से लड़ने की क्षमता रखती है इसमें काफी मात्रा प्रोटीन मिलता है।