Home Loan EMI : हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रेपो रेट में बेसिस पॉइंट्स की कटौती की है, जिससे लोन लेने वालों को राहत मिलेगी. ऐसे में आइए नीचे खबर में समझते हैं कि आरबीआई के इस फैसले से आपके होम लोन की EMI कितनी कम होने की उम्मीद की जा सकती है-
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बुधवार को रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट्स की कटौती की है, जिससे लोन लेने वालों को राहत मिलेगी. नया रेपो रेट 6.00% निर्धारित किया गया है, जिससे होम लोन की मासिक किस्त (EMI) में कमी आने की संभावना है.
आइए समझते हैं कि आरबीआई के इस फैसले से आपके होम लोन की EMI कितनी कम होने की उम्मीद की जा सकती है. समझने में आसानी के लिए हम 30 लाख रुपये के होम लोन पर होने वाली संभावित बचत का कैलकुलेशन भी करके देखेंगे. (Bank Home loan)
EMI और ब्याज के बोझ में कितनी आएगी कमी-
होम लोन की ईएमआई (EMI) की कमी का निर्धारण बैंक द्वारा ब्याज दरों में कटौती (Home Loan Interest) के ऐलान पर निर्भर करता है. जब आरबीआई ब्याज दरों में परिवर्तन करता है, तो बैंक भी इसे समायोजित करते हैं. यदि ब्याज दरें घटती हैं, तो ईएमआई (EMI) में कमी आ सकती है, जिससे आपको कम ब्याज भुगतान करना पड़ेगा. इस कटौती के आधार पर, हम संभावित बचत का आकलन कर सकते हैं. इसलिए, ग्राहकों को इसका ध्यान रखना चाहिए.
अगर आपने 30 लाख रुपये का होम लोन 20 साल के लिए के लिए लिया है, तो आपको कुल 240 मंथली EMI देनी होगी.
अगर आपके होम लोन की सालाना ब्याज दर 9% है, तो आपकी मंथली EMI करीब 26,992 रुपये होगी.
20 साल में आपको इंटरेस्ट पेमेंट (Interest payment) यानी ब्याज भुगतान के तौर पर कुल करीब 34,78,027 रुपये देने होंगे.
लोन अमाउंट (loan amount) और ब्याज मिलकर आपको बैंक को 64,78,027 रुपये देने होंगे.
रेट कट के बाद EMI कैलकुलेशन-
रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट्स (basic points) की कटौती के बाद, अगर आपका बैंक ब्याज दर में इतनी ही कटौती करता है, तो आपके होम लोन की सालाना ब्याज दर 9% से घटकर 8.75% हो जाएगी.
ऐसे में आपकी EMI घटकर करीब 26,511 रुपये हो जाएगी.
यानी आपको हर महीने ईएमआई के तौर पर 481 रुपये कम देने होंगे.
20 साल में आपका कुल इंटरेस्ट पेमेंट (interest payment) भी घटकर करीब 33,62,717 रुपये रह जाएगा.
लोन अमाउंट और ब्याज मिलकर आपको बैंक को 63,62,717 रुपये देने होंगे.
20 साल में आपकी कुल बचत करीब 1,15,310 रुपये होगी.
लोन की EMI घटाएं या टेन्योर?
जब ब्याज दरों में कटौती होती है, तो बैंक आपको EMI कम करने या लोन के टेन्योर को कम करने का ऑप्शन देते हैं. अगर आप EMI को कम करने की जगह लोन के टेन्योर (tenure) को घटाने का फैसला करते हैं, तो आप कुल इंटरेस्ट पेमेंट में ज्यादा पैसे बचा सकते हैं और अपना लोन जल्दी खत्म कर सकते हैं. मिसाल के तौर पर ऊपर दिए कैलकुलेशन में :
मान लीजिए आप ब्याज दर 9% से घटकर 8.75% होने के बाद भी अपनी मंथली EMI को 26,992 रुपये पर ही बनाए रखते हैं.
ऐसे में आपके लोन की कुल EMI की संख्या 240 से घटकर 229 हो जाएगी.
यानी आपको उतना ही लोन चुकाने के लिए 11 EMI कम देनी होगी.
इसका मतलब यह हुआ कि आपका लोन 11 महीने पहले खत्म हो जाएगा.
ऐसे में आपकी कुल बचत होगी 11×26,992 रुपये = 2,96,912 रुपये.
इससे साफ है कि ईएमआई की रकम घटाने की तुलना में टेन्योर कम करने से होने वाला फायदा दोगुने से भी ज्यादा है. इसलिए अगर आपका बजट इसकी इजाजत देता है, तो ईएमआई की रकम बनाए रखते हुए लोन का टेन्योर घटाने का ऑप्शन चुनना ही बेहतर रहेगा.
बैंकों पर कैसे पड़ता है रेपो रेट का असर?
आरबीआई के रेपो रेट (RBI Repo rate) घटाने के एलान मतलब यह नहीं है कि कॉमर्शियल बैंकों की ब्याज दरें अपने आप घट जाएंगी. लेकिन अक्टूबर 2019 के बाद से, सभी फ्लोटिंग रेट (floating rate) होम लोन को बाहरी बेंचमार्क से जोड़ा गया है, जिसमें रेपो रेट भी शामिल है. इसलिए रेपो रेट (repo rate) में कटौती का असर होम लोन की ब्याज दरों पर पड़ता है.
रेपो रेट वह ब्याज दर है जिस पर RBI कॉमर्शियल बैंकों को शॉर्ट टर्म (short term) के लिए फंड उधार देता है. यानी जब RBI रेपो रेट में कटौती करता है, तो बैंकों के लिए उधार लेना सस्ता हो जाता है, जिससे उनकी फंड की लागत कम होती है. लिहाजा, वे अपने ग्राहकों को कम ब्याज दर पर लोन दे सकते हैं. रेपो रेट को पॉलिसी रेट या नीतिगत ब्याज दर भी कहते हैं, जिससे पता चलता है कि रिजर्व बैंक इस वक्त किस तरह की मॉनेटरी पॉलिसी (monitary policy) अपना रहा है और कॉमर्शियल बैंकों (commercial bank) के लिए उसका क्या संकेत है.