होम लोन लेना जितना आसान लगता है, असल में उतना है नहीं। ये एक बड़ा फाइनेंशियल फैसला होता है, जिसमें अगर ज़रा सी भी लापरवाही हो जाए तो 20 साल में खत्म होने वाला लोन 30 साल तक पीछा नहीं छोड़ता। अगर आप भी अपना घर खरीदने का सपना देख रहे हैं और इसके लिए होम लोन लेने की सोच रहे हैं, तो ज़रा रुकिए। ये जान लेना बेहद ज़रूरी है कि बैंक किस तरह आपकी लोन अवधि को खामोशी से बढ़ा देते हैं और आप कब तक इस ईएमआई के जाल में फंसे रहते हैं।
घर का सपना और EMI की सच्चाई
आज के दौर में हर इंसान चाहता है कि उसका अपना एक घर हो। लेकिन महंगाई इतनी है कि लोग बिना लोन के घर बनाने की सोच भी नहीं सकते। ज़्यादातर लोग अपने सारे सेविंग्स डाउन पेमेंट में झोंक देते हैं, लेकिन लोन लेते वक्त कुछ बेसिक बातें न जानने की वजह से बड़ी गलती कर बैठते हैं। नतीजा? 20 साल का लोन 30 साल तक सर पर सवार रहता है।
होम लोन की अवधि कैसे बढ़ जाती है?
अक्सर लोग सोचते हैं कि लोन मिल गया है तो अब बस हर महीने EMI भरते रहो, बाकी सब बैंक देख लेगा। लेकिन यहीं पर होता है सबसे बड़ा झोल। दरअसल, होम लोन की ब्याज दरें अक्सर फ्लोटिंग होती हैं। यानी जैसे ही रेपो रेट बढ़ता है, आपकी EMI में बदलाव होता है। अब अगर आप शुरू से कम EMI भर रहे हैं, तो बैंक EMI को न बढ़ाकर लोन की अवधि बढ़ा देता है, ताकि आपको हर महीने ज़्यादा बोझ न लगे। लेकिन असल में इससे बैंक को ज़्यादा ब्याज मिलता है, और आप सालों तक लोन चुकाते रहते हैं।
कैलकुलेशन से समझिए खेल
मान लीजिए आपने 8% ब्याज दर पर 30 लाख रुपये का लोन 20 साल के लिए लिया है। आपकी EMI होगी करीब ₹25,093 प्रति माह। अब पांच साल बाद ब्याज दर बढ़कर 11% हो जाती है। उस वक्त तक आपने लगभग ₹26 लाख का बकाया लोन छोड़ा होगा, क्योंकि शुरुआती सालों में EMI का बड़ा हिस्सा ब्याज में चला जाता है।
अब अगर आप EMI की रकम नहीं बढ़ाते हैं और ₹25,093 ही भरते रहते हैं, तो आपकी लोन अवधि 20 साल से बढ़कर 33 साल तक पहुंच सकती है। यानी आप बैंक को लगभग 13 साल ज़्यादा ब्याज देंगे। जबकि अगर आप EMI बढ़ा देते, तो लोन पहले खत्म हो जाता।
बैंक ऐसा क्यों करते हैं?
बैंकों का फोकस ये होता है कि उन्हें लोन पर ज्यादा समय तक ब्याज मिलता रहे। EMI तो आप भर ही रहे हैं, लेकिन अगर EMI ना बढ़े और लोन की अवधि बढ़ जाए, तो बैंक को ज्यादा फायदा होता है। और चूंकि ज़्यादातर लोग इस बात को समझते नहीं, वे खुद ही इस फॉर्मूले में फंस जाते हैं।
खुद को ऐसे बचाएं
अगर ब्याज दर बढ़ जाए, तो तुरंत बैंक से बात करें और कहें कि EMI बढ़ा दी जाए, लोन की अवधि नहीं। इसे Loan Restructuring कहा जाता है। लेकिन ज़्यादातर लोग यह नहीं करते। वे सोचते हैं कि EMI न बढ़े, बस महीने की बचत बनी रहे, लेकिन असल में इसी सोच से लोन लंबा खिंचता चला जाता है।
निष्कर्ष
अगर आप होम लोन ले रहे हैं या ले चुके हैं, तो इसे एक बार फिर ध्यान से समझ लीजिए। EMI को लेकर बैंक की हर चाल को समझें, और जरूरी हो तो अपनी EMI री-सेट करवाएं, ताकि लोन समय पर खत्म हो। नहीं तो आप भी उन्हीं 90% लोगों में शामिल हो जाएंगे, जो लोन लेते तो 15-20 साल के लिए हैं, लेकिन उसे चुकाते 30-35 साल तक हैं।