Home loan rules: यदि आप होम लोन लेना चाहते है तो भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के नए नियम आपके लिए बेहद अहम हो सकते हैं। आरबीआई ने होम लोन से जुड़े दस्तावेज़ों के लिए कुछ नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिनका उद्देश्य ग्राहकों की सुविधा बढ़ाना है। इन नए नियमों के तहत अब बैंक लोन चुकाने के बाद दस्तावेज़ लौटाने में देरी नहीं कर सकेंगे। आइए जानते हैं कि इन नियमों से ग्राहकों को क्या फायदे मिलेंगे।
नए नियम का उद्देश्य
एक आम व्यक्ति के लिए घर बनाना जीवन का एक अहम सपना होता है, और इसे साकार करने के लिए अक्सर होम लोन का सहारा लिया जाता है। मगर, जब ग्राहक लोन चुकाते हैं, तो अक्सर देखा गया है कि बैंक उनके मूल दस्तावेज़ों को समय पर नहीं लौटाते। इससे ग्राहकों को बैंक के कई चक्कर लगाने पड़ते हैं। आरबीआई ने इस समस्या का समाधान करते हुए बैंकों के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए हैं, ताकि ग्राहकों को उनके दस्तावेज़ आसानी से समय पर मिल सकें।
RBI ने जारी किए नए निर्देश
आरबीआई ने स्पष्ट किया है कि जैसे ही ग्राहक अपना लोन पूरी तरह से चुका देता है, बैंक की जिम्मेदारी है कि वे लोन की समाप्ति के 30 दिनों के भीतर उस संपत्ति के दस्तावेज़ लौटाएं। यदि बैंक इस कार्य में देरी करते हैं, तो उन्हें प्रति दिन 5000 रुपये का जुर्माना देना होगा। यह नियम ग्राहकों के लिए एक बड़ी राहत है, क्योंकि अब बैंक अपने कार्य में सतर्कता बरतेंगे और दस्तावेज़ वापसी को प्राथमिकता देंगे।
दस्तावेज़ खोने या नष्ट होने पर बैंक की जिम्मेदारी
कई बार ऐसा होता है कि बैंकों में ग्राहकों के दस्तावेज़ खो जाते हैं या नष्ट हो जाते हैं। आरबीआई के नए दिशानिर्देशों के अनुसार, यदि बैंक की गलती से दस्तावेज़ खो जाते हैं या नुकसान पहुँचते हैं, तो इसकी पूरी जिम्मेदारी बैंक की होगी। बैंक को ग्राहक की पूरी सहायता करनी होगी ताकि ग्राहक को डुप्लीकेट दस्तावेज़ निकलवाने में परेशानी न हो। बैंक को 30 दिनों के भीतर ग्राहक को डुप्लीकेट दस्तावेज़ प्राप्त करने में मदद करनी होगी।
नए नियमों से ग्राहकों को मिलने वाले लाभ
आरबीआई द्वारा लागू किए गए इस नए नियम से ग्राहकों को कई महत्वपूर्ण लाभ मिलेंगे। अब ग्राहकों को अपने रजिस्ट्री पेपर वापस पाने के लिए बैंकों के चक्कर नहीं काटने होंगे। इससे उनके समय और धन की बचत होगी। यदि बैंक अपनी जिम्मेदारी में लापरवाही बरतते हैं, तो उन्हें नियम के अनुसार जुर्माना भी भुगतना पड़ेगा। यह नियम 1 दिसंबर 2023 से लागू हो गया है और इसका उद्देश्य बैंक और ग्राहकों के बीच भरोसे को बढ़ाना है।