अनेक धर्म ग्रंथो में भगवान श्रीराम को सूर्यवंशी कहा गया है,यानि सूर्य के वंश में जन्म लेने वाला।सूर्य वंश की शुरुआत कैसे हुई।सूर्य के बाद इन वंश में कौन से महान राजा हुए और सूर्य वंश की किस पीढ़ी में भगवान श्रीराम का जन्म हुआ।तो चलिए चलिए जानते है भगवान राम से जुडी कुछ बातो के बारे में। साल 2024 में 17 अप्रेल में रामनवमी का त्यौहार मनाया जा रहा है।
कैसे शुरू हुआ सूर्य वंश ??
वाल्मीकि रामायण के मुताबित भगवान ब्र्हा के मानस पुत्रो में से एक थे ऋषि मरीचि।ये सप्तऋषियों में से भी एक है।इनके पुत्र ऋषि कश्यप। इनकी 17 पत्निया थी। इस 17 पत्नियों से देव,असर,पशु पक्षी,ग्रंध्रव,किन्नर,यश आदि है।इनकी पाटनी आदित्य से विस्वन नामक पुत्र हुए,यही सूर्यदेव कहलाए।इन्ही से सूर्यवंश की शुरुआत हुई।
राजा मनु से आगे आधा सूर्य वंश
सूर्य देव के मनु मानक पुत्र हुए।इन्ही से मनुष्यो की उतपति हुई।मनु के पुत्र हुए इश्वाकु।इनके नाम से सूय वंश को इश्वाकु वंश ही कहते है।इस वंश में आगे जाकर विकुक्षि ,हरिचन्द्र और पुरथ जैसे महान राजा हुए।पृथु के पालन पोषण करने से ही ये धरती पृथ्वी कहलाई।राजा पृथु को भी भगवान विष्णु की ही अवतार माना जाता है।
फिर आए राजा रघु
सूर्य वंश में आगे जाकर परम प्रतापी राजा रघु पैदा हुए।अब सूर्य वंश को रघु वंश के नाम से जानते है।इन्ही के नाम से भगवान श्रीराम को रघुवर,रधुवीर और रघुवंशी कहते है।बाद में इस वंश में रहा संगर,दिलीप,अंशुमान,भगीरथ आदि रहा हुए।राजा भगीरथ ही गंगा को धरती पर लेकर आए।
66 वि पीढ़ी में हुआ भगवान श्रीराम का जन्म
ऋषि कश्यप से अगर शुरू करे तो सूर्य वंश की 66 वी पीढ़ी पढ़ने श्रीराम का जन्म हुआ था।श्रीराम के पिता राजा दशरथ थे।इनकी पाटनी कौशल्या के गर्भ से भगवान विष्णु ने राम के रूप में अवतार लिया था।श्रीराम भगवान विष्णु के सातवे अवतार थे।इनका जन्म चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर दोपहर 12 बजे अभिजीत मुहर्त में हुआ था।