भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (आईआईवीआर), वाराणसी ने किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में एक और अहम कदम उठाया है। संस्थान ने अपनी दो उन्नत किस्मों लोबिया ‘काशी निधि’ और भिंडी ‘काशी सहिष्णु’ के व्यावसायीकरण के लिए पश्चिम बंगाल की शिला ट्रेडलिंक प्राइवेट लिमिटेड के साथ अनुबंध किया है। इस साझेदारी का मकसद किसानों तक गुणवत्तापूर्ण बीजों को तेजी से पहुंचाना है ताकि उनकी पैदावार और आय दोनों में सुधार हो सके।
सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की साझेदारी
आईआईवीआर के निदेशक डॉ. राजेश कुमार ने कहा कि किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज तभी समय पर उपलब्ध हो पाएंगे जब सार्वजनिक और निजी क्षेत्र मिलकर काम करें। उन्होंने निजी कंपनियों से अपील की कि वे शुद्ध और गुणवत्तापूर्ण बीज किसानों तक पहुंचाने में सक्रिय भूमिका निभाएं। यह अनुबंध संस्थान द्वारा किया गया 11वां लाइसेंसिंग समझौता है, जिससे किसानों को सीधे फायदा मिलेगा।
लोबिया ‘काशी निधि’ की खासियत
प्रधान वैज्ञानिक डॉ. राकेश कुमार दुबे ने बताया कि ‘काशी निधि’ लोबिया औसतन 140 से 150 क्विंटल हरी फलियों की उपज देती है और प्रति हेक्टेयर 12 से 15 क्विंटल बीज उत्पादन की क्षमता रखती है। इस किस्म की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसे साल में दो से तीन बार बोया जा सकता है। साथ ही यह किस्म सर्कोस्पोरा रोग और लोबिया गोल्डन मोज़ेक वायरस के प्रति प्रतिरोधी है, जिससे किसानों को स्थिर और अधिक उत्पादन मिलता है।