कटरा श्रीनगर वंदे भारत-पहला ट्रायल रन 2008 में बडगाम से काकापोरा तक आयोजित किया गया था। हिंदू, मुस्लिम और सिख धार्मिक नेताओं ने इसकी सफलता के लिए प्रार्थना की। ट्रेन को देखने के लिए लोगों की भीड़ जमा हो गई और बच्चे स्कूल से निकल गए।
Katra-Srinagar Vanderat Bharat : नई दिल्ली। उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक (यू. एस. बी. आर. एल.) परियोजना कश्मीर को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने के लिए एक सपने के सच होने जैसा है। 272 किलोमीटर लंबी इस रेल लाइन को 1994-95 में मंजूरी दी गई थी और यूएसबीआरएल की नींव 1997 में तत्कालीन प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा ने रखी थी। इस परियोजना ने आतंकवाद, भूस्खलन और सर्दियों की बर्फबारी जैसी कई कठिनाइयों को पार किया। हिंदू, मुस्लिम और सिख धार्मिक नेताओं ने पहले मुकदमे की सफलता के लिए प्रार्थना की। ट्रेन को देखने के लिए लोगों की भीड़ जमा हो गई और बच्चे स्कूल से निकल गए।
1997 में, नीतू सपरा अपने पति सुरेश कुमार सपरा के साथ कश्मीर में थीं, जो उत्तर रेलवे में एक कार्यकारी अभियंता थे। उनके अनुसार, 2004 में इरकॉन इंजीनियर आर. एन. पंडित और उनके भाई का आतंकवादियों ने अपहरण कर लिया था और उनकी हत्या कर दी थी। इस घटना से काम रुक गया, लेकिन स्थानीय लोगों और पुलिस के सहयोग से रेलवे कर्मचारियों ने हिम्मत नहीं हारी।
पहले परीक्षण की सफलता के लिए सर्व-धर्म प्रार्थना सभा
44, 000 करोड़ रुपये की लागत से बनी इस रेल लाइन में 36 सुरंगें और 943 पुल हैं, जिनमें दुनिया का सबसे ऊंचा चिनाब पुल भी शामिल है। भविष्य में यह रेल लाइन दिल्ली से श्रीनगर तक की 800 किलोमीटर की यात्रा 13 घंटे से भी कम समय में पूरी कर लेगी। पहला ट्रायल रन 2008 में बडगाम से काकापोरा तक किया गया था। हिंदू, मुस्लिम और सिख धार्मिक नेताओं ने इसकी सफलता के लिए प्रार्थना की। ट्रेन को देखने के लिए लोगों की भीड़ जमा हो गई और बच्चे स्कूल से निकल गए।
यह जमीन में सिर्फ दो छेद के साथ शुरू हुआ।
1997 में, नौगाम (अब श्रीनगर रेलवे स्टेशन) में एक सर्वेक्षण के दौरान स्थानीय लोगों ने रेलवे टीम को पुलिस समझ लिया, जिससे तनाव पैदा हो गया। मामले को समझने के बाद, जमीन में लकड़ी के दो खूंटे खोदकर परियोजना शुरू की गई। सर्दियों में बर्फबारी के कारण काम बंद हो गया, लेकिन अप्रैल में फिर से शुरू हुआ।
सामाजिक-आर्थिक प्रभाव
पर्यटन का विकासः यह रेल लाइन कश्मीर घाटी में पर्यटकों को आसानी से लाएगी।
शिक्षा के अवसरः कश्मीर के छात्रों को देश के सबसे बड़े शैक्षणिक संस्थानों तक पहुंच मिलेगी।
हर मौसम में संपर्कः यह रेल लाइन कश्मीर को पूरे साल देश से जोड़े रखेगी, जिससे दूरदराज के क्षेत्रों का आर्थिक विकास होगा।
सड़कों का निर्माणः इस परियोजना में 172 किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया गया, जो कई गांवों को मुख्यधारा से जोड़ती हैं।