Kisan News : किसान साथियो एक किसान केदार यादव ने बताया कि जब खेतों में पानी भर जाता है तो किसान इसे निकालने के लिए कई तरीके अपनाते हैं। आमतौर पर, खेतों से अतिरिक्त पानी निकालने के लिए पंपिंग सेट का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा, कुछ किसान पारंपरिक तरीके जैसे कि दौलत से भी पानी निकालने का काम करते हैं। ये तरीके खेतों में पानी जमा होने की स्थिति में फसलों को बचाने में मदद करते हैं।
खेतों में जब पानी निकाल दिया जाता है, तो मिट्टी में नमी की मात्रा बढ़ जाती है। अधिक नमी से फसलें पीली पड़ने लगती हैं और खराब होने लगती हैं। इस समस्या से बचने के लिए किसान जिंक सुपर फास्फेट जैसे रसायनों का उपयोग करते हैं। ये रसायन मिट्टी में अतिरिक्त नमी को सोखने में मदद करते हैं जिससे फसलों को नुकसान होने से बचाया जा सकता है। जिंक डाले जाने के बाद फसलें स्वस्थ रहती हैं और अच्छी पैदावार देती हैं।
कृषि विभाग समय-समय पर किसानों को प्रशिक्षण प्रदान करता है जिससे उन्हें खेती के बारे में नई तकनीकें और जानकारी मिलती है। कई किसान इन प्रशिक्षण कार्यक्रमों से लाभान्वित होते हैं। हालांकि, फसल सुरक्षा के मामले में किसानों को खुद ही सतर्क रहना होता है। कृषि विभाग फसल सुरक्षा के लिए प्रत्यक्ष रूप से किसानों को कोई सहायता नहीं प्रदान करता। किसानों को अपनी फसल को कीटों, बीमारियों और अन्य खतरों से बचाने के लिए स्वयं उपाय करने होते हैं।
किसानों का मानना है कि गेहूं की बुवाई का सबसे उपयुक्त समय 15 नवंबर से 15 दिसंबर के बीच का होता है। इस अवधि के दौरान बोई गई गेहूं की फसल अधिक उत्पादन देती है। यदि बुवाई का समय इस अवधि से आगे बढ़ जाता है तो फसल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। हालांकि, देरी से बोई गई फसल भी पकती है, लेकिन इसकी पैदावार समय पर बोई गई फसल की तुलना में कम होती है। इसलिए, यद्यपि देरी से बुवाई भी की जा सकती है, लेकिन इससे किसानों को उतना लाभ नहीं मिल पाता जितना समय पर बुवाई करने से मिलता है।
चंदौली जिले में इस वर्ष गेहूं की पैदावार अच्छी होने की उम्मीद है। किसानों का मानना है कि अनुकूल मौसमी हालात के कारण फसल अच्छी होगी। हालांकि, प्रकृति अप्रत्याशित है और भविष्य में मौसम में कोई बदलाव हो सकता है। फिर भी, वर्तमान मौसम की स्थिति को देखते हुए किसानों को अच्छी पैदावार की उम्मीद है।
नोट: रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभव और इंटरनेट पर उपलब्ध सार्वजनिक स्रोतों से एकत्रित की गई है। किसान भाई किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।