Kisan News : गेहूं की फसल से अच्छा उप्तादन, और बढ़िया गुणवत्ता वाले दाने लेने के लिए फरवरी में क्या उपाय कर सकते है चलिए जानते है-
गेहूं की खेती में कमाई
गेहूं की खेती में किसानों फायदा नजर आता है, इसलिए गेहूं की खेती करने वाले किसानों का रकबा भी बढ़ रहा है, और सरकार भी गेहूं की खेती के लिए प्रोत्साहित कर रही है। इसकी खेती किसान सालों से करते आ रहे हैं, जिसके वजह से अच्छा तजुर्बा भी है। लेकिन कुछ नए किसान भी है जो इस साल गेहूं की खेती कर रहे हैं तो बता दे की फरवरी में अगर गेहूं की फसल में एक काम कर दिया जाए तो उत्पादन बढ़ाया जा सकता है, और दानों का वजन भी बढ़ जाएगा।
गेहूं की खेती में कमाई की बात करें तो अच्छी कीमत इस समय मिल रही है। गेहूं के भाव आसमान छू रहे हैं। एमएसपी से ज्यादा भी गेहूं की कीमत जा रही है। लेकिन सरकार ने स्टोर के नियम को बदल दिया है। जिसके बाद कीमत गिरने के आसार है। लेकिन किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है। किसानों को 2425 रुपए प्रति क्विंटल केंद्र सरकार के द्वारा बढ़ी हुई एमएसपी मिलेगी, तथा विभिन्न राज्य सरकारे बोनस भी दे रही है, जैसे मध्य प्रदेश के किसानों को प्रति क्विंटल गेहूं की कीमत ₹2600 मिलेगी।
गेहूं के दानों का वजन कैसे बढ़ाएं
गेहूं के दाने का वजन अधिक होगा, पैदावार अधिक होगी, अनाज की गुणवत्ता सही होगी तो किसान को इसकी खेती में फायदा है और अच्छी कीमत भी मिलेगी। क्योंकि गुणवत्ता के आधार पर भी किसानों को कीमत मिलती है। जिसके लिए किसानों को कई चीजों का ध्यान रखना पड़ता है, जैसे की फसल में पोषक तत्व की कमी ना हो और किसी तरह के रोग-कीट न लगे। तो सबसे पहले हम बात करते हैं पोषक तत्वों की, तो किसान इस समय देख रहे होंगे कि उनकी फसल में दाने बन रहे हैं तो इस समय अगर पोषक तत्व बढ़िया रहेंगे तो दोनों का आकार और वजन भी बढ़िया बनेगा।
इसके लिए कृषि विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि जब दाने बनते समय किसान पहली सिंचाई करते हैं तो उसके साथ नाइट्रोजन, पोटाश और फास्फोरस दे सकते हैं। इसके अलावा सल्फर और जिंक जैसे सूक्ष्म पोषक तत्व भी पौधों के विकास के लिए अच्छे माने जाते हैं। अगर किसान सिंचाई के साथ नहीं देना चाहते हैं तो स्प्रे भी कर सकते हैं। इस तरह किसानों के पास यह अच्छा विकल्प है। अगर उन्हें किसी तरह की कमी पोषक तत्वों की नजर आ रही है फसलों में तो स्प्रे कर सकते हैं। इससे भी फायदा होगा।
रोग-कीट से फसल कैसे बचाएं
गेहूं में रोग-कीट से भी बचाना पड़ता है। कृषि विशेषज्ञ का मानना है कि गेहूं की खेती में किसानों को कई बातों का ध्यान रखना पड़ता है। जिसमें से मुख्य है पोषक तत्व की कमी ना होना और कीट रोगों से फसल को बचाना। जिसमें पोषक तत्व की तो हमने जानकारी ले ली, लेकिन अब कीट-रोग की बात करें तो गेहूं की फसल में मुख्य तौर पर माहू कीट, झुलसा रोग और करनाल बंट फंगल रोग आदि का प्रकोप पड़ सकता है। जिसके लिए किसानों को अपनी फसल का निरीक्षण करते रहना चाहिए। अगर किसी तरह की कोई समस्या है तो उसका समाधान करना चाहिए। दवा का छिड़काव कर सकते हैं।
गेंहू में माहु कीट लगते है तो पत्तियां पीली पड़ जाती हैं, और आपस में लिपट जाती हैं। जिससे पौधों की बढ़वार रुकती है, और फिर बालियां निकलने में परेशानी होती है। जिससे नुकसान होता है।
जिसमें रासायनिक खेती करने वाले किसान कृषि विशेषज्ञ से सलाह ले सकते हैं और जैविक खेती करने वाले किसान नीम का तेल या ट्राईकोडरमा का इस्तेमाल करें। किसानों को भी बुवाई से पहले बीज का उपचार भी करना चाहिए। जिससे रोगो से फसल को बचा सकते हैं।
नोट: इस रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभवों और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध इंटरनेट स्रोतों पर आधारित है। किसी भी जानकारी का उपयोग करने से पहले कृषि विशेषज्ञों से परामर्श अवश्य करें।