ग्रीष्मकालीन फसलें लगाना चाहते हैं तो चलिए इस लेख में आपको अप्रैल के आखिरी सप्ताह तक कौन सी दो सब्जियों की खेती कर सकते हैं उसके बारे में जानते हैं-
अप्रैल में खेती
अप्रैल में गर्मी तेज पड़ रही है, लेकिन फिर भी कुछ ऐसी सब्जियां हैं जिनको लगाकर किसान अच्छी फसल ले सकते हैं, उत्पादन अधिक ले सकते हैं। गर्मी में खेती करने पर किसानों को इसी बात का ध्यान रखना चाहिए कि वही फसले लगाएं जिससे गर्मी में भी उत्पादन मिल जाए, तो इस लेख में आपको दो फसलों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें किसान अभी लगा सकते हैं दो महीने में फसल तैयार हो जाएगी, अच्छा उत्पादन मिलेगा, तापमान भी सहन कर लेंगी।
पहली फसल
अप्रैल के आखिरी सप्ताह तक किसान सब्जी वाला ग्वार की खेती कर सकते हैं। इसकी खेती में फायदा होगा गर्मियों में उत्पादन अधिक मिल जाएगा। 30 से ₹50 तक मंडी भाव मिल जाएगा। 15 जून तक में इसका उत्पादन शुरू हो सकता है, उस समय मौसम में बदलाव हो जाता है जिससे अच्छा उत्पादन मिलेगा। बुवाई से पहले खेत की गहरी जुताई कर देनी है। ताकि बरसात में पानी ना रुके।
पानी की निकासी की व्यवस्था रखनी है। अगर आपके खेत में बरसात में पानी भरता है तो ऐसे खेत में ना लगाएं और लगा रहे हैं तो पहले गहरी जुताई करे।
अब खाद की बात करें तो रासायनिक खाद डालना चाहते हैं तब 40 से 50 किलो डीएपी 25 से 30 किलो म्यूरेट ऑफ पोटाश और 500 ग्राम फंगीसाइड डालें। बीज की मात्रा तीन किलो के आसपास पड़ती है। इस तरह ग्रीष्मकालीन फसलें में यह भी एक अच्छा विकल्प किसानों के पास है।

दूसरी फसल
अब दूसरी फसल की बात करें तो भिंडी की खेती कर सकते हैं। भिंडी साल भर डिमांड में रहती है। भिंडी जून में उत्पादन देने लगेगी, अभी अगर किसान खेतों में लगा देते हैं तो। लेकिन खेत का चयन ऐसा ही करें जहां पानी की निकासी बढ़िया हो। पहले गहरी जुताई करें और फिर भिंडी की बुवाई करें।
बढ़िया वैरायटी का चयन करें। एडवांटा की राधिका, सिजेंटा कंपनी की वैरायटी अच्छी होती है। अपने इलाके की पसंदीदा किस्म लगाएं। बरसाती भिंडी की खेती में भी किसान को मुनाफा होता है। 20 से लेकर ₹40 मंडी भाव मिल जाते हैं। बढ़िया उत्पादन लेने के लिए खेत में बुवाई से पहले 3 से 5 ट्रॉली सड़ी हुई गोबर की खाद डालें।
रासायनिक खाद डालना चाहते हैं तो 50 किलो डीएपी, 25 से 30 किलो एमओपी डाल सकते हैं। खाद किसान को अपने खेत की जरूरत के अनुसार डालना चाहिए। खेत की मिट्टी की जांच करने के बाद।