खेती किसानी के काम को आसान करना चाहते हैं, खेत की सफाई और खाद का खर्चा बचाना चाहते हैं, तो चलिए आपको एक धांसू कृषि यंत्र की जानकारी देते हैं-
खेत की सफाई और खाद बनाने का काम
खेती मेहनत का काम है। जिसे आसान करने के लिए किसान कृषि यंत्र का इस्तेमाल कर सकते हैं। कई ऐसे आधुनिक कृषि यंत्र आ गए हैं जो की खेती के लगभग पूरे काम करते हैं। जिसमें से आज उस यंत्र की जानकारी देने जा रहे हैं, जो खेत की सफाई करती है, और साथ ही साथ मिट्टी को उपजाऊ भी बना देती है।
जैसा की फसल की कटाई के बाद किसान को खेत से बचे हुए अवशेष को हटाना पड़ता है या जलाना पड़ता है। जिससे पर्यावरण प्रदूषण होता है। मिट्टी भी खराब होती है। लेकिन एक ऐसी मशीन है जो खेत में फसल की कटाई के बाद बचे हुए अवशेषों को खाद बना देगी। जिससे मिट्टी उपजाऊ होगी। खेत साफ हो जाएगा। जिससे आप दूसरी फसल लगा सकेंगे। यहां पर मजदूरों की जरूरत नहीं पड़ेगी
मशीन का नाम
दरअसल, हम रोटरी मल्चर मशीन की बात कर रहे हैं। यह एक आधुनिक कृषि यंत्र है, जो किसानों के लिए किसी वरदान से काम नहीं है। यह मशीन पर्यावरण अनुकूल है। रासायनिक खाद का इस्तेमाल करने से खेत की मिट्टी बंजर हो रही है। लेकिन यह मशीन खेत की मिट्टी को उपजाऊ बना सकती है। उत्पादन को बढ़ा सकती है। पराली जलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। सरकार ने भी अब पराली जलाने पर प्रतिबंध लगाया हुआ है। क्योंकि उससे पर्यावरण प्रदूषण होता है।
इस मशीन का इस्तेमाल धान, गेहूं, मक्का और गन्ना की खेती करने वाले किसान कर सकते हैं। फसलों के अवशेषों को मिट्टी में मिलाकर मिट्टी की नमी को बना बनाए रख सकते हैं। मिट्टी के कटाव को रोक सकते हैं। तथा मिट्टी की सेहत में सुधार देख सकते हैं। मिट्टी की उर्वरता को बढ़ा सकते हैं।
मशीन की कीमत
मिट्टी की गुणवत्ता को बढ़ाने वाली इस मशीन की कीमत लगभग ₹200000 तक बैठती है। जिस पर सरकार की तरफ से 50% की सब्सिडी मिलती है। जिसके बाद यह कीमत आधी हो जाती है। करीब 1 लाख रुपए में किसान सब्सिडी के बाद इसे खरीद सकते हैं। गन्ने की खेती करने वाले कई किसान इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। वह बताते हैं की फसल की कटाई के बाद खेत नहीं साफ करना पड़ता है। यह बचे हुए अवशेषों को बहुत छोटे टुकड़ों में काट देती है। मिट्टी में मिला देती है। जिससे यह प्राकृतिक खाद बन जाती है, और मिट्टी उपजाऊ हो जाती है।
इस तरह रोटरी मल्चर मशीन, पराली को खाद के रूप में बदल देती है। जिसे एक किसान को उसे जलाना नहीं पड़ेगा। बल्कि उससे खाद बन जाएगी। खाद का खर्चा भी घट जाएगा। उत्पादन अधिक मिल जाएगा। इससे लाभ ही लाभ होगा।