किसानों ने अगर सब्जी की फसल लगाई हुई है तो तापमान बढ़ने के साथ कीट-रोग का खतरा बढ़ जाता है तो चलिए इस लेख में जानते हैं अगर फसल में फल मक्खी या पाउडरी फफूंद रोग लग रहा है तो पैदावार गिरने से कैसे बचाएं-
सब्जी की फसल में कीट-रोग
सब्जी की खेती में किसानों की कमाई अधिक है। कम समय में बढ़िया मुनाफा हो जाता है। लेकिन अगर फसल को समय पर कीट रोग से नहीं बचाया जाता तो पैदावार घट सकती है। जिससे किसानों को नुकसान हो सकता है, और अगर समाधान करने में देरी करते हैं तो कीटनाशक, खाद आदि का खर्चा और ज्यादा बढ़ जाता है। जिससे किसानों को कमाई कम होती है।
तब अगर किसान अपनी फसल को रोग से बचाना चाहते हैं तो बता दे की तापमान बढ़ने से फल मक्खी और पाउडर फफूंद रोग का खतरा बढ़ जाता है। इसीलिए कृषि विभाग ने समय पर किसानों को सलाह दी है। वह लत्तेदार सब्जियों को इन कीट रोगों से बचाए। तो चलिए आपको बताते हैं कि अगर लाटेदार सब्जी में रोग लग जाते हैं तो किसानों को क्या समाधान करना चाहिए और अगर बिना खर्चे के समाधान करना चाहते हैं तो घरेलू नुस्खा भी बताया गया है।
फल मक्खी
किसान सब्जी की खेती करते हैं तो अगर उनके उत्पाद की अच्छी कीमत नहीं मिलेगी या बाजार में बिक्री नहीं होगा तो किसानों को घाटा होना तय हो जाता है। जिसमें आपको बता दे की फल मक्खी एक बहुत बड़ा कारक होता है। फल मक्खी जिस फल में घुसती है वह खाने लायक नहीं रहता। वह धीरे-धीरे उसे सड़ा देती है और उसमें छेद हो जाता है। जिससे ग्राहक उसे नहीं लेते। इसलिए किसानों को लगातार अपने खेत का निरीक्षण करना चाहिए। लत्तेदार सब्जियों की खेती करने वाले किसानों को तो जरूर फल मक्खी कीट से सतर्क रहना चाहिए। यह एक बहुत बड़ा खतरा है।
फल मक्खी के जिस फसल में दिखाई दे उसे तोड़कर खेत से दूर कर दे और समाधान की तरफ कदम बढ़ाए। फल मक्खी भूरे रंग की कीट होती है जो कि फलों के भीतरी भाग में घुसकर उसे खाती है। इसके लिए किसान कई उपाय कर सकते हैं। जिसमें एक उपाय तो यह है की लाइफ टाइम ट्रैप लगा सकते हैं। एक हेक्टेयर में 8 से 10 ट्रैप लगा देंगे तो यह उसमें फंस जाते हैं। लाइफ टाइम ट्रैप में नोमेट ट्रैप और ब्लॉक का उपयोग होता है।
वही किसान अगर घरेलू नुस्खे की तरफ जाना चाहते हैं तो एक मिट्टी के बर्तन में गुड़ और ताड़ी भरे, साथ ही कीटनाशक की कुछ बूंदे भी उसमें डाल दें और खेत के कुछ हिस्सों में इन्हें टांग दे। इससे भी फल मक्खी का प्रकोप कम हो सकता है।
पाउडरी फफूंद रोग
पाउडरी फफूंद रोग से भी किसानों को अपनी फसल को बचाना पड़ता है। यह रोग जब फसल में लगता है तो पत्तियों पर सफेद रंग के छोटे धब्बे दिखाई पड़ते हैं जो कि बाद में सफेद चूर्ण बन जाते हैं। इसीलिए इन्हें पाउडरी फफूंद रोग भी कहा जाता है। यह फफूंद जनित रोग है जिससे फसल सूख जाती है, और किसान को बड़ा घाटा हो सकता है।
अगर इस तरह के रोगों से किसान बचना चाहते हैं तो सबसे पहला काम तो उन्हें शुरुआत से ही खेत में खरपतवार निकालते रहना चाहिए। खेत में अगर खरपतवार रहेंगे तो इस तरह के रोगों का खतरा बना रहता है। अगर यह रोग फसल में दिखाई दे रहा है तो किसान सल्फर 80 घुलनशील चूर्ण ले सकते हैं। मात्रा की बात करें तो 3 ग्राम 1 लीटर पानी में मिलाकर छिड़कना चाहिए। इससे पाउडर फफूंद रोग से छुटकारा मिल सकता है।