ये चीज की खेती किसानों के लिए मुनाफे का तगड़ा सौदा साबित होती है क्योकि इसकी हरी खाद की डिमांड बाजार में खूब होती है तो चलिए जानते है कौन सी फसल की खेती है।
धान की रोपाई से पहले खेत में करें इस चीज की खेती
गेहूं की कटाई के बाद किसान धान की बुवाई करेंगे लेकिन धान की बुवाई से पहले खेत को अच्छे तैयार करने के लिए पहले मिट्टी के पोषक तत्व को बढ़ाने और उपजाऊ बनाने के लिए इस फसल की खेती जरूर करें जिससे किसान डबल मुनाफा भी कमा सकते है और मिट्टी की उर्वरता को भी बड़ा सकते है इस चीज की खेती से किसानों को हरी खाद भी मिलेगी और इसकी डिमांड बाजार में भी खूब होती है जिससे किसान कमाई भी कर सकते है हम बात कर रहे है सनई की खेती की ये एक तेज वृद्धि वाली हरी खाद की फसल है जो खरपतवारों को दबाने में मदद करती है और मिट्टी की उर्वरता में सुधार करती है और नाइट्रोजन की आपूर्ति करती है इसका उपयोग न केवल हरी खाद के रूप में किया जाता है बल्कि सनई के रेशे का उपयोग रस्सी, कपड़े और अन्य वस्तुओं को बनाने में किया जाता है।

सनई की खेती
सनई की खेती के लिए गर्म और नम जलवायु अच्छी होती है। इसकी बुवाई अप्रैल के दूसरे हफ्ते से मई के मध्य तक करना बेहतर होता है। इसके पौधे बीज के माध्यम से लगाए जाते है एक हेक्टेयर में बुवाई के लिए 20-30 किलो बीज पर्याप्त होते है। इसकी बुवाई से पहले खेत की जुताई करनी चाहिए। सनई को नियमित रूप से पानी देना चाहिए। बुवाई के बाद इसकी फसल करीब 2 महीने कटाई के लिए तैयार हो जाती है।
सनई की खेती से कमाई
सनई की खेती से किसान बहुत जबरदस्त कमाई कर सकते है क्योकि इसकी हरी खाद मार्केट में बहुत डिमांडिंग होती है और इसके रेशों से कपडे रसी जैसी कई चीजें बनती है साथ में इसके फूल भी मार्केट में खूब बिकते है एक हेक्टेयर में सनई की खेती करने से करीब 20-30 टन हरा पदार्थ और 85-125 किग्रा नाइट्रोजन प्रदान करती है। इसकी खेती से करीब 70 से 80 हजार रूपए की कमाई आराम से हो सकती है।
धान की रोपाई से पहले सनई की खेती का फायदा
गेहूं की कटाई अप्रैल मई में ही जाती है और धान की खेती जून से जुलाई के बीच की जाती है इस बीच किसान सनई की खेती करके मिट्टी की उर्वरता को कई गुना बड़ा सकते है और खूब पैसे भी कमा सकते है इसके अलावा धान की खेती के समय पैदावार में भी बेशुमार वृद्धि देखने को मिलेगी। धान का उत्पादन जबरदस्त होगा।
नोट: इस रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभवों और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध इंटरनेट स्रोतों पर आधारित है। किसी भी जानकारी का उपयोग करने से पहले कृषि विशेषज्ञों से परामर्श अवश्य करें।