Kisan News : खेती किसानी में कई तरह के खर्च आते हैं और अच्छी पैदावार लेने के लिए किसान को अधिक मेहनत करनी पड़ती है, तो अगर इतने में भी फसल सेहत के लिए फायदेमंद नहीं हुई तो क्या मतलब। चलिए आपको इस लेख में बताते हैं खेती मे कौन सा स्प्रे करने से सेहत भी बनी रहेगी, और कमाई भी अधिक होगी, लागत भी कम हो जाएगी-
खेतों में किसान कर रहे हैं यह स्प्रे
फसल को कीटों से बचाने के लिए किसान समय पर कीटनाशक का स्प्रे करते हैं। जिससे किसानों को पैदावार अच्छी मिल जाती है। क्योंकि नुकसान नहीं होता। लेकिन अगर केमिकल वाली कीटनाशक का छिड़काव करते हैं तो इससे वह अनाज सेहत के लिए फायदेमंद नहीं रह जाता। साथ ही इससे केमिकल वाली दवाई, खाद, खेत में पड़ती है तो खेत की मिट्टी भी खराब होती है। लेकिन अब किसान जैविक खेती की तरफ आकर्षित हो रहा है।
जिसमें आज हम आपको एक जैविक कीटनाशक की जानकारी देंगे। जिसे बनाने में लागत कम आएगी। केमिकल वाली एक खाद कीटनाशक से यह सस्ता पड़ेगा और इससे सेहत भी बनी रहेगी।
जैविक कीटनाशक कैसे बनाएं
जरूरी नहीं है कि किसान पेस्टिसाइड का इस्तेमाल करें, जिसमें केमिकल होता है। किसान अगर चाहे तो घर पर जैविक कीटनाशक बना सकते हैं, जैसे कि जीवामृत आदि है। इसे बनाने के लिए किसान को आसपास रखी चीजों का ही इस्तेमाल करना है। जैसे की गोबर, बेसन, रेत, मिट्टी गुड़ आदि। जिसके लिए 40 लीटर गोमूत्र में 2 किलो बेसन, 5 किलो गोबर की खाद, 2 किलो गुड़ 1 किलो पेड़ रेतो मिट्टी डीकंपोजर आदि इन सब चीजों को एक ड्रम में भरकर एक सप्ताह के लिए छांव वाली जगह पर रखना है और बीच-बीच में लकड़ी की मदद से हिला सकते हैं।
यह घर में रखी चीजों से बनाया जा सकता है। किसानों के पास गाय तो होती है तो गोमूत्र गोबर आदि मिल जाएगा। चलिए इसके इस्तेमाल के बारे में जानते हैं।
जीवामृत का इस्तेमाल
हमने यह जो जीवामृत बनाई है यह खाद और कीटनाशक दोनों का काम करती है। इससे फसल को पोषण भी मिलेगा साथ ही साथ कीटनाशक की समस्या भी नहीं आएगी। इसका इस्तेमाल किसान सप्ताह में एक बार कर सकते हैं, जिससे अच्छा रिजल्ट देखने को मिलेगा। कुछ फसलों में 21 दिन में एक बार छिड़का जाता है। जीवामृत में पानी मिलाकर भी कुछ फसलों में डाला जाता है। इसे खेत में पानी के साथ भी दे सकते है। इसे बनाने में कोई खर्चा नहीं आता है। इस तरह से जो फसल तैयार होती है, जिसमें केमिकल नहीं पड़ता तो उसकी कीमत किसानों को बढ़िया मिलती है।
नोट: इस रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभवों और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध इंटरनेट स्रोतों पर आधारित है। किसी भी जानकारी का उपयोग करने से पहले कृषि विशेषज्ञों से परामर्श अवश्य करें।