Wheat Foot Rot Disease : किसानों के द्वारा गेहूं की फसल रबी सीजन में सबसे अधिक बुवाई करने वाली फसलों में से एक है और इसका खेती हमारे देश में बड़े स्तर पर किया जाता है। अबकी बार किसानों के द्वारा गेहूं की फसल सबसे ज्यादा पसंद करने वाली फसलों में से एक माना जा रहा है। क्योंकि अब के बार गेहूं के रकबा में बढ़ोतरी होने की संभावना व्यक्त की गई है।
ऐसे में किसानों को गेहूं में अबकी बार बंपर उत्पादन मिलने की संभावना है और गेहूं का कीमत भी बाजार में अच्छा मिल रहा है ऐसे में किसानों को गेहूं फसल में सही समय पर देखभाल करते रहना आवश्यक हो जाता है। ताकि उन्हें भविष्य में बंपर उत्पादन प्राप्त कर अच्छा इनकम प्राप्त किया जा सके।
हमारे देश में बहुत से कई किसान जो किसान गेहूं की फसल के बारे में अच्छे से जानकारी है और उनके द्वारा सही किस्म का बीज लेना, बीज का उपचार से लेकर बुवाई के समय, सिंचाई करने और कीट रोग की रोकथाम कैसे किया जाए इसके बारे में जानकारी रहता है। लेकिन हमारे देश में आज भी बहुत से ऐसे किसान जो की गेहूं में सिंचाई, खाद, कीट से बचाव करते हैं।
लेकिन सही समय की जानकारी न होने के चलते उन्हें उत्पादन में काफी नुकसान उठाना पड़ता है। बता दें कि अब दिसंबर महीना अंतिम सप्ताह के करीब पहुंच चुका है ऐसे में गेहूं की फसल में अब अधिक रोग लगने की भी संभावनाएं बढ़ती है।
जिन किसानों के द्वारा अगेती गेहूं की फसल लगाई है। उनका फसल अब एक महीने के करीब या इससे अधिक हो चुका है। गेहूं की फसल में इस स्टेज पर आकर अधिक फुट रॉट रोग (Wheat Foot Rot Disease) का प्रकोप देखने को मिल सकता है।
जिस कारण से गेहूं के फसल के पौधों की जड़ खराब होने शुरू हो जाता है पत्तियों का रंग काला व भूरे रंग के धब्बे पड़ना और सूखने लगते हैं। ऐसे में किसानों को अपने गेहूं की फसल बर्बाद होने लगती है।
ऐसे में किसानों को गेहूं की फसल में लगने वाले फुट रॉट नामक बीमारी से बचाव में क्या करना चाहिए और इसके क्या लक्षण हैं। क्या-क्या सावधानियां बरतनी चाहिए। इस रिपोर्ट के द्वारा हम आपको पूरी जानकारी देंगे।
किसानों की जानकारी के लिए बता दें कि गढ़वाल विश्वविद्यालय के उद्यानिकी विभाग के कृषि एक्सपर्ट ईश्वर सिंह के मुताबिक जिन किसानों के द्वारा गेहूं की फसल की बुवाई अगेती किया गया उनका फसल अब डेट से 2 महीने के करीब भी पहुंच चुका है। ऐसे में अब गेहूं का फसल थोड़ा बड़ा हो चुका है। जिसके चलते रोग का प्रकोप भी अधिक होता है। इस स्टेज के पहुंचने के बाद गेहूं की फसल में सबसे अधिक फुट रॉट नामक बीमारी से नुकसान देखने को मिलता है।
फुट रॉट रोग के क्या लक्षण दिखाई देते हैं
Wheat Foot Rot Disease: बता दें कि कृषि एक्सपर्ट ईश्वर सिंह के मुताबिक गेहूं की फसल में फुट रॉट नामक रोग के प्रकोप से गेहूं की जे खराब होने लगता है। गेहूं के पौधे का तनाव और जड़ पर काला और भूरा रंग का धब्बा देखने को मिलेगा। इसके अलावा गेहूं के पौधे की पत्तियां पर कल और गोरे रंग का धब्बे दिखाई देता है। और फसल में नुकसान होने से किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है।
फुट रॉट रोग की रोकथाम कैसे करें
गेहूं की फसल के पौधों में फुट रॉट रोग के बचाव के लिए उनके मुताबिक एक हेक्टेयर भूमि में 100 लीटर पानी के साथ कॉपर ऑक्सिक्लोराइड 250 ग्राम (Copper Oxychloride) को अच्छे से घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए।
किसान इस स्प्रे के द्वारा गेहूं के पौधों पर सीधे छिड़काव करें। जिसके चलते गेहूं के पौधों की पत्तियों से होते हुए जड़ों तक अच्छे तरीके से छिड़काव करना चाहिए। ताकि फसल को पूरी तरह से रोग से छुटकारा मिले।
कितने दिन बाद और छिड़काव करें
उन्होंने आगे कहा कि यह फंगीसाइड की सहायता से गेहूं की फसल को किसी भी तरह का नुकसान नहीं होगा। किसान बिना किसी चिंता के फसल पर इस फंगीसाइड का छिड़काव किया जा सकता है।
गेहूं की फसल पर इस फंगीसाइड की छिड़काव किए जाने के बाद 4 से 5 दिन बाद फिर से दोहराएं। किसान गेहूं की फसल में इस रोग की रोकथाम के लिए शुरुआती तौर पर ही उपचार किया जाए तो इस रोग से बचाव हो जाता है। अगर किसान समय पर इसकी रोकथाम नहीं कर पाए तो बाद में नुकसान भी दिखाई देते हैं।
नोट :- किसानों को अपनी गेहूं की फसल में सही समय पर देखभाल करते रहने के साथ-साथ रोग व कीट की रोकथाम करना बहुत जरूरी। Wheat Foot Rot Disease इसके लिए बचाव में कीटनाशक दवा का इस्तेमाल से पहले किसान अपने नजदीकी कृषि विभाग में स्थित कृषि डॉक्टर से जानकारी अवश्य प्राप्त करें।