टैरिफ वार का असर भारतीय कृषि पर पड़ने लगा है इससे कपास की खेती प्रभावित होने की संभावना है (Cotton Imports Increase), जानिए डिटेल..
Cotton Imports Increase | चीन और अमेरिका के बीच टैरिफ वार चल रहा है अमेरिका ने चीन पर 145% टैरिफ लगाया है। वहीं चीन ने भी अमेरिका पर 125% टैरिफ लगा दिया है, इसका असर भारतीय कृषि पर भी पढ़ने लगा है।
चीन द्वारा अमेरिकी वस्तुओं पर टैरिफ बढ़ाकर 125% कर देने से चीन को अमेरिकी कपास की सप्लाई घट गई है। दूसरी तरफ इस साल भारत में कपास की पैदावार कम हुई है।
ऐसे में भारत ने अमेरिका से कम कीमत पर बेहतर क्वालिटी के कपास का आयात बढ़ा दिया है। यही कारण है कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष मार्च महीने में अमेरिका से 6% अधिक मात्रा में कपास का आयात हुआ। Cotton Imports Increase
इससे भारत में कपास की खेती पर विपरीत पड़ेगा, वहीं दूसरी ओर भाव पर भी गंभीर असर पड़ने की संभावना है, आईए जानते हैं डिटेल
अमेरिकी कपास का आयात 6 गुना बढ़ा
अमेरिका से भारत को कपास निर्यात इस साल 6 गुना हो गया। अमेरिकी कृषि विभाग के मुताबिक, फरवरी से अप्रैल के बीच भारत ने अमेरिका से 1.55 लाख गांठ कपास मंगवाया। यह 2.5 साल का रिकॉर्ड आयात है। Cotton Imports Increase
पिछले साल इसी अवधि में ने भारत ने सिर्फ 25,901 गांठ अमेरिकी कपास आयात किया था। अमेरिकी कपास के आयात में उछाल ऐसे समय आया है, जब अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ वॉर बढ़ गया है।
अधिक मात्रा में आयात होने से भाव पर यह पड़ा असर
चीन ने अमेरिकी वस्तुओं पर टैरिफ बढ़ाकर 125% कर देने से चीन को अमेरिकी कपास की सप्लाई घट गई है। दूसरी तरफ इस साल भारत में कपास की पैदावार कम हुई है। ऐसे में भारत ने अमेरिका से कम कीमत पर बेहतर क्वालिटी के कपास का आयात बढ़ा दिया है। इसका असर कपास के भाव पर पड़ा है। इस साल अब तक अंतरराष्ट्रीय बाजार में कपास के भाव 5% घट गए हैं। Cotton Imports Increase
भारत में कपास की खेती पर पड़ेगा असर
इस वर्ष कपास की खराब कीमतों से किसानों (Cotton Imports Increase) का रुख बदला हुआ नजर आ रहा है। एमपी की प्रमुख कपास मंडी खरगोन में इस बार व्यापार जल्दी शुरू होने से अधिकतर छोटे और मध्यम वर्गीय किसानों ने अपनी पूरी उपज मंडी में बेच दी।
किसानों के अनुसार इस साल मिर्ची और कपास जैसी नकदी फसलों में उचित कीमतें न मिलने के कारण, उन्हें डॉलर चना जल्द बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा। केवल 10-15% बड़े किसानों के पास ही अभी कुछ स्टॉक बचा है।
खरगोन के अलावा धामनोद, करही, कसरावद, महेश्वर, मंडलेश्वर क्षेत्रों में भी पिछले वर्ष की तुलना में कपास का रकबा 20-25% तक घटना की संभावना है। जानकारों का मानना है कि अंजड़, बड़वानी, कुक्षी, मनावर, सिंघाना और बाकानेर जैसे क्षेत्रों में किसानों ने इस बार मक्का की खेती को प्राथमिकता देंगे। Cotton Imports Increase
बिजाई क्षेत्र 114 लाख हेक्टेयर तक रहने की संभावना
अमरीकी कृषि विभाग (यूएसडीए) की विदेश कृषि सेवा के भारतीय प्रतिनिधि कार्यालय के अनुसार 2024-25 सीजन के दौरान भारत में का उत्पादन क्षेत्र घटकर 118 लाख हेक्टेयर रह गया था, जबकि 2025-26 के खरीफ सीजन में बिजाई क्षेत्र और भी 3 प्रतिशत या 4 लाख हेक्टेयर गिरकर 114 लाख हेक्टेयर पर सिमट जाने की संभावना है। Cotton Imports Increase
चालू मार्केटिंग सीजन में कपास का घरेलू बाजार भाव नीचे रहने से इसकी खेती में किसानों का आकर्षण कुछ घट सकता है और इसलिए वे कपास के बजाए दलहन-तिलहन फसलों की बिजाई को प्राथमिकता दे सकते हैं।
यूएसडीए के मुताबिक बिजाई क्षेत्र में थोड़ी गिरावट आने के बावजूद 2025-26 के मार्केटिंग सीजन के दौरान भारत में रूई का उत्पादन 250 लाख गांठ (480 पौंड की प्रत्येक गांठ) पर स्थिर रहेगा जो 2024-25 सीजन के उत्पादन के लगभग बराबर है। Cotton Imports Increase
यूएसडीए ने रूई की औसत उपज दर में कुछ सुधार आने की उम्मीद जताई है। उसका कहना है कि यदि दक्षिण-पश्चिम मानसून की सामान्य वर्षा हुई तो भारत में रूई की औसत उत्पादकता दर सुधरकर 2025-26 के सीजन में 477 किलो प्रति हेक्टेयर पर पहुंच सकती है, जो 2024-25 की औसत उपज दर 461 किलो प्रति हेक्टेयर से करीब 3 प्रतिशत ऊंची है। सिंचाई सुविधा तथा पर्याप्त वर्षा वाले इलाकों में फसल की हालत बेहतर रहने की उम्मीद है।
पंजाब-हरियाणा में बढ़ेगा धान का रकबा
यूएसडीए की रिपोर्ट के मुताबिक कपास का क्षेत्रफल पंजाब में स्थिर रहेगा जबकि हरियाणा ने 5 प्रतिशत घट सकता है। वहां धान का रकबा बढ़ने की उम्मीद है। दोनों राज्यों में कपास की उपज दर में थोड़ी कमी आ सकती है। Cotton Imports Increase
राजस्थान में भी क्षेत्रफल 2 प्रतिशत घटने की संभावना व्यक्त करते हुए पोस्ट में कहा है कि वहां किसान ग्वार एवं मूंग का क्षेत्रफल बढ़ा सकते हैं। गुजरात में भी कपास का बिजाई क्षेत्र 3 प्रतिशत घटने का अनुमान लगाया गया है।
वहां मूंगफली की बिजाई बढ़ सकती है। महाराष्ट्र में रकबा गत वर्ष के लगभग बराबर ही रहने की उम्मीद है मगर मध्य प्रदेश में यह 5 प्रतिशत गिर सकता है। दक्षिण भारत में किसान मक्का एवं धान की खेती पर विशेष ध्यान दे सकते हैं जिससे कपास का बिजाई क्षेत्र कुछ घटने की संभावना है। Cotton Imports Increase