बेमौसम बारिश ने हर तरफ बर्बादी का माहौल बना दिया है। तेज मूसलाधार बारिश और आंधी तूफान के चलते कई राज्यों में फसलों की बर्बादी हुई, आइए किसानों का हाल जानते हैं।
मूसलाधार बारिश ने मचाई तबाही
किसान बड़ी मेहनत के साथ खेती करते हैं कई तरह के खर्च करते हैं, लेकिन भारी बारिश के कारण फसल खराब होने से किसानों को बड़ा नुकसान होता है। जिसमें आपको बता दे की कुछ दिनों से लगातार कई राज्यों में मौसम खराब चल रहा है अचानक तेज बारिश आंधी तूफान आ जाता है। वहीं बीते दिन सहारनपुर जनपद में आधी रात को हुई जोरदार बारिश में किसानों की फसलों का सत्यानाश कर दिया है। इसके अलावा दतौली मुगल गांव में सब्जियों की फसलों को बहुत बुरी तरह से बारिश ने क्षति पहुंचाई है।
तेज बारिश से खेतों में पानी भर गया और इससे कई फसले प्रभावित हुई जिसमें लौकी, खीरा, कद्दू और तोरई फसले 25 से 30% तक ख़राब हो चुकी है। इसके अलावा भिंडी और बैंगन के साथ टमाटर की फसलों में भी बहुत भारी नुकसान देखने को मिला है, और किसान बेहद परेशान हुए।

खेतों में तैरती फसलें
आधी रात को हुई मूसलाधार बारिश के चलते खेतों में पानी भर गया जिसकी वजह से सब्जियों की फसलों में बहुत ज्यादा हानि देखने को मिल रही है। किसानों की मेहनत पर पूरी तरह से पानी फिर चुका है। अब ऐसे में किसानों की उम्मीद केवल सरकार से है कि वह उनकी फसल का मुआवजा देंगे जिससे कि उनकी नुकसान की भरपाई हो सके। किसानों का कहना है कि इस घटना के बाद में उनके आर्थिक स्थिति बहुत गंभीर हो चुकी है ऐसे में वह सरकार से आस लगाए बैठे हैं। कि कहीं से कुछ मदद हो जाए।
लगभग 80% किसानों की फसल हुई बर्बाद
इस भारी आंधी तूफान और मूसलाधार बारिश के चलते गांव दतौली मुगल में लगभग 80% किसानों की फसल पूरी तरह से तहस-नहस हो चुकी है। इस बारिश में और भी कई समस्याएं खड़ी हो रही हैं लगातार पानी के चलते फसलों में घास और कई ऐसे कीड़े उपज रहे हैं जिससे कि बची हुई फसलों को नुकसान हो रहा है। अगर ऐसे में भी बची खुची फसले नहीं बचती है तो किसानों की आर्थिक स्थिति पर इसका बहुत बड़ा असर देखने को मिलेगा।
किसान लगा रहे मदद की गुहार
इस बारिश से हुई फसलों की बर्बादी के बाद में किसान सरकार से मदद की गुहार लगा रही है किसानों का कहना है कि प्रशासन और सरकार को चाहिए कि वह राहत टीम भेजकर किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान करें और संसाधन भी किसानों तक पहुचायें। जिससे कि किसानों को आर्थिक सहायता प्राप्त हो सके और उनको हुए इस नुकसान की थोड़ी बहुत भरपाई हो सके। नहीं तो खेती से किसान का भरोसा उठ जाएगा।