मार्केट में डिमांड में रहने वाली इस फसल की खेती से मिलेंगे लाखो रूपए। सुपारी की खेती एक लाभकारी व्यवसाय है, खासकर दक्षिण भारत, उत्तर पूर्वी भारत और पश्चिमी तटीय क्षेत्रों में। इसे “पान सुपारी” भी कहा जाता है, क्योंकि इसका उपयोग मुख्य रूप से पान मसाले और धार्मिक कार्यों में किया जाता है। इसकी मार्केट में धड़ल्ले से डिमांड है। आइए इसकी खेती के बारे में विस्तार से जानते है।
सुपारी की खेती के लिए जलवायु और मिट्टी
सुपारी की खेती के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु सबसे उपयुक्त है। इसके लिए तापमान 14°C से 36°C के बीच होना चाहिए। इसके साथ ही 1500 से 3000 मिमी वार्षिक बारिश की आवश्यकता होती है। सुपारी की खेती के लिए उपजाऊ, बलुई दोमट मिट्टी या लाल मिट्टी सर्वोत्तम होती है। मिट्टी का pH मान लगभग 5.0 से 8.0 के बीच होना चाहिए।
सुपारी की खेती कैसे करें
सुपारी की खेती के लिए सबसे पहले खेत को अच्छी तरह जुताई करके समतल बना लें। इसके बाद 60×60×60 सेमी आकार के गड्ढे खुदाई करें। पौधों के बीच 2.7 से 3 मीटर की दूरी रखें। पौधों को जून से जुलाई के महीने में लगाया जाता है। सुपारी की गर्मियों में 4-5 दिन में एक बार सिंचाई करें।
वही सर्दियों में 10-12 दिन में एक बार सिंचाई करें। गोबर की खाद, यूरिया, पोटाश और फॉस्फोरस का उचित मात्रा में उपयोग करें। सुपारी के पौधे को फल देने में 5-7 साल लगते हैं। साल में 2 बार फसल कटाई की जाती है। फलों को तोड़कर सुखाया जाता है और फिर बाजार में बेचा जाता है।
सुपारी से कमाई
एक पेड़ से लगभग 2-4 किलो सुपारी मिलती है। एक एकड़ में 1000-1200 पौधे लगाए जा सकते हैं। बाजार में सुपारी की कीमत 400-700 रुपये प्रति किलो तक होती है। जिसके चलते आप इससे सालाना लाखो रूपए कमा सकते है। एक बार लगाने के बाद 40-50 साल तक फसल मिलती है। मार्केट में मांग हमेशा बनी रहती है। सुपारी एक कम रखरखाव वाली फसल है और फायदे वाली है।