गर्मियों के मौसम में जबरदस्त डिमांड के साथ मार्केट में बिकने वाले इस फल की खेती करेगी सबकी नईया पार। खरबूजा गर्मियों के मौसम में उगाई जाने वाली एक प्रमुख फल-सब्जी है, जो न सिर्फ स्वाद में मीठा और रसीला होता है बल्कि पोषक तत्वों से भरपूर भी होता है। भारत के विभिन्न भागों में इसकी खेती सफलतापूर्वक की जाती है, विशेष रूप से उत्तर भारत, मध्य भारत और पश्चिमी राज्यों में। आइए इसकी खेती के बारे में विस्तार से बताते है।
खरबूजे की खेती के लिए जलवायु और भूमि का चुनाव
खरबूजा गर्म और शुष्क जलवायु में अच्छे से उगता है। यह अधिकतर फरवरी से मई तक बोया जाता है और अप्रैल से जून तक इसकी तुड़ाई होती है। खरबूजे के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है। भूमि की pH वैल्यू 6 से 7.5 के बीच होनी चाहिए। अच्छी जल निकासी वाली भूमि खरबूजे की फसल के लिए आवश्यक है।
खरबूजे की खेती के लिए उन्नत किस्में
खरबूजे की खेती के लिए कई उन्नत किस्मे है जैसे – पूसा शर्बती, अर्का रजनी, सुगंधा, कल्याणपुरी, हिसार सूर्या, मलिंगा फोर्टी इन किस्मों में मीठापन, आकार और विपणन क्षमता अच्छी होती है।
खरबूजे की खेती कैसे करें
खेत की गहरी जुताई करके मिट्टी को भुरभुरी कर लें। इसके बाद खेत में गोबर की अच्छी सड़ी खाद डालकर मिट्टी में मिला दें। फिर दो-तीन बार हल्की जुताई करें। खरबूजे की खेती में बीजों को सीधा खेत में ही बोया जाता है। कतार से कतार की दूरी 2 से 2.5 मीटर और पौधे से पौधे की दूरी 60 से 90 सेमी रखें।
प्रति हेक्टेयर 2 से 3 किलोग्राम बीज पर्याप्त होते हैं। बीजों को बोने से पहले कार्बेन्डाजिम या थिरम से उपचारित करें ताकि बीजजनित रोगों से सुरक्षा मिले।
खरबूजे की फसल को पानी की जरूरत प्रारंभिक अवस्था में अधिक होती है। पहली सिंचाई बीज बोने के तुरंत बाद करें। उसके बाद 7-10 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें। फल बनने की अवस्था में पानी की कमी न हो, अन्यथा फल का आकार और स्वाद प्रभावित हो सकता है। खरबूजे की तुड़ाई तब करें जब फल हल्के पीले रंग के होने लगें और उनमें से सुगंध आने लगे। बोवाई के 70-90 दिन बाद तुड़ाई की जाती है। एक हेक्टेयर से औसतन 150-250 क्विंटल तक उपज प्राप्त होती है, जो किस्म और खेती प्रबंधन पर निर्भर करती है।
खरबूजे की खेती में सावधानिया
खरबूजे में ड्रिप सिंचाई और मल्चिंग तकनीक अपनाकर पानी की बचत और खरपतवार नियंत्रण संभव है। पौध संरक्षण और फूल आने के समय हल्की सिंचाई से फल का आकार और मिठास दोनों बढ़ते हैं। खरबूजे में फसल चक्र अपनाएं, जिससे मृदा की उर्वरता बनी रहे और रोग कम हों। जैविक खरबूजा भी बाजार में विशेष मांग में है, यदि जैविक खेती करें तो उच्च दाम पर बिक्री हो सकती है।
खरबूजे से कमाई
खरबूजा गर्मियों में अत्यधिक मांग में रहता है और बाजार में अच्छा मूल्य मिलता है। यदि फसल की गुणवत्ता और मिठास अच्छी हो तो सीधे बड़े शहरों, सुपरमार्केट या प्रोसेसिंग यूनिट्स तक भी सप्लाई कर सकते हैं। औसतन एक हेक्टेयर से किसान 1.5 से 3 लाख रुपये तक का शुद्ध लाभ कमा सकते हैं।