Kisan Tips : गेहूं की फसल के लिए घातक है यह रोग। गेहूं की फसल की बुवाई हर तरफ हो चुकी है। अब ऐसे में हर तरफ गेहूं की फसले खेत में लगी हुई है। जिसके चलते किसानों के मन में अच्छी पैदावार को लेकर उम्मीद बनी हुई है। लेकिन अब ऐसे में किसानों के मन में गेहूं में लगने वाले एक भयंकर बीमारी के बारे में सोचकर वह परेशान हो रहे हैं।
इस बीमारी का नाम पीला रतुआ रोग है। इस बीमारी की बात करें तो यह गेहूं की फसल के लिए बहुत घातक होती है। इस फसल से गेहूं की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो सकती है। आइए इस बीमारी के बारे में विस्तार से जानते हैं।
आखिर क्या है पीला रतुआ रोग
पीला रतुआ रोग कि अगर हम बात करते हैं तो यहां खेत में अधिक ठंड और नमी के कारण फसल में दिखाई देता है। इतना ही नहीं इसको धारीदार रतुआ के नाम से भी जाना जाता है। यह रोग एक पक्सनिया स्ट्राइफार्मिस नाम का एक कवक होता है। आपको बता दे कि यह रोग हवा के साथ आता है। यह पहले शुरू में खेत में छोटे से गोलाकार क्षेत्र से शुरू होता है और पूरी फसल में धीरे-धीरे फैलता है और फसल को पूरी तरह से नष्ट कर देता है इतना ही नहीं इसके लगने का खतरा दिसंबर महीने के अंत से लेकर मार्च महीने तक होता है।
पीला रतुआ रोग के लक्षण
पीला रतुआ रोग के लक्षणों की अगर हम बात करते हैं तो बता दे की गेहूं में अगर यह रोग होता है तो पत्तियों को छूने से इसमें से पीला पदार्थ निकलता है और इससे हाथ पीले हो जाते हैं। अगर आप खेत में जाते हैं तो आपके कपड़ो में पीले रंग का पाउडर लग जाता है साथ ही अगर आप सफेद कपड़े पहनते हैं तो इसके ऊपर पीले कलर लग जाता है। अगर यह खेतों में लगता है गेहूं की फसल पर तो पत्तियों के ऊपरी सतह पर पीलापन नजर आने लगता है और धारिया दिखाई देती है। समय के साथ यह धारियां पूरे पौधों पर फैल जाती है। इस रोग में नारंगी रंग के धब्बे पौधे के तने और बालियों में दिखाई देने लगते हैं और इस बीमारी से गेहूं की बालियों में दाने कम तैयार होते हैं।
पीला रतुआ रोग से बचाव
पीला रतुआ रोग इससे बचाव की अगर बात करते हैं तो इससे बचाव के कई उपाय है जो आप आजमा सकते हैं।
गेहूं की फसल को पीला रतुआ रोग से बचाने के लिए फफूंदनाशक दवा का इस्तेमाल कर लेना चाहिए।
पीला रतुआ रोग से फसल को बचाने के लिए प्रोपकोनाजोल 200 मिलीलीटर और 200 लीटर पानी में मिलाकर फसल में अच्छे से स्प्रे कर देना चाहिए।
पीला रतुआ रोग से गेहूं की फसल को बचाने के लिए 500 ग्राम जिंक सल्फेट और दो ग्राम यूरिया को 100 लीटर पानी में मिलाकर के 1 एकड़ के हिसाब से स्प्रे कर देना चाहिए ऐसे से फसल में से रोग हट जाएगा।
पीला रतुआ रोग फसल को बचाने के लिए मैंकोजेब दीथाने एम45 नामक दवाई का इस्तेमाल करना चाहिए इस रोग के कम नहीं होने का 10 दिनों के बाद फिर से इस दवाई का इस्तेमाल कर लेना चाहिए। इस प्रकार आप फसल को इस रोग से बचा सकते हैं।