Kisan Tips : गेहूं की खेती बहुत ज्यादा लाभकारी होती है इसकी फसल में अच्छे उत्पादन के लिए देखभाल करना बहुत महत्वपूर्ण काम होता है तो चलिए इस लेख के माध्यम से जानते है गेहूं की फसल में कौन सी चीज डालने से गेहूं का दाना मोटा होता है।
गेहूं की बालियों में दाना होगा मोटा तगड़ा
गेहूं की खेती किसानों के लिए बहुत ज्यादा फायदेमंद साबित होती है इसकी खेती में सही समय पर सही तरीके से देखभाल करने से गेहूं के पौधों की अच्छी ग्रोथ के साथ पैदावार भी बहुत जबरदस्त होती है। आज हम आपको गेहूं की फसल में एक ऐसी चीज के स्प्रे के बारे में बता रहे है जो गेहूं की बालियों में दाने को मोटा और चमकदार बनाता है । स्प्रे से गेहूं की फसल को सूक्ष्म पोषक तत्व मिलते है जिससे बाली का आकार और दाने का भराव अच्छा होता है और कीट रोग भी फसल से कोसों दूर रहते है तो चलिए जानते है कौन सी चीज का स्प्रे है।
गेहूं की फसल में करें ये स्प्रे
हम आपको गेहूं के फसल के लिए पीजीआर या प्लांट ग्रोथ रेगुलेटर के बारे में बता रहे है। पीजीआर गेहूं की फसल में खासतौर पर तब उपयोगी होता है जब फसल की हाइट ज्यादा बढ़ने लगती है और पौधे गिरने लगते है पौधों को गिरने से बचाने के लिए और बालियों में दानों को मोटा करने के लिए पीजीआर का स्प्रे किया जाता है गेहूं की फ़सल में पीजीआर का इस्तेमाल करने से तने मज़बूत होते है फ़सल गिरने से बचती है और पैदावार भी बढ़ती है।
कैसे करें उपयोग
गेहूं की फसल में पीजीआर का उपयोग तब करना चाहिए जब फसल को तनाव का सामना करना पड़ रहा हो। इसका उपयोग एक एकड़ फसल में करने के लिए 100 लीटर पानी में इसको 200 मि.ली. डालकर अच्छे से मिलाना होता है और फिर फसल में छिड़काव करना होता है ऐसा करने से तने मज़बूत होते है और पैदावार बढ़ती है समय और पैसे की बचत भी होती है।
गेहूं की फसल में फास्फोरस और पोटाश का महत्व
गेहूं की फ़सल में फॉस्फ़ोरस और पोटाश का बहुत ज्यादा महत्व होता है क्योकि ये गेहूं के पौधों के विकास के लिए बहुत ज़रूरी पोषक तत्व होते है इनकी मदद से गेहूं की फ़सल की उपज खूब अधिक मात्रा में बढ़ती है और दानों की गुणवत्ता भी बेहतर होती है फॉस्फ़ोरस और पोटाश का उपयोग करने से गेहूं की बालियों में दाने मोटे और चमकदार होते है।
नोट: इस रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभवों और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध इंटरनेट स्रोतों पर आधारित है। किसी भी जानकारी का उपयोग करने से पहले कृषि विशेषज्ञों से परामर्श अवश्य करें।