Kisan Tips : जंगली जानवरों के आतंक से परेशान है तो चलिए आपको एक ऐसा सस्ता उपाय बताते हैं जिससे नीलगाय जैसे जंगली जानवर खेतों से तुरंत भाग जाएंगे और दोबारा लौटकर नहीं आएंगे-
नीलगाय जैसे जानवर किसानों के लिए परेशानी
नीलगाय, जंगली सूअर, बंदर यह सभी जंगली जीव किसानों के लिए बहुत बड़ी परेशानी होते हैं। किसान बड़ी मेहनत से फसल तैयार करते हैं। लेकिन एक झटके में यह जानवर फसल बर्बाद कर देते हैं। जैसे-जैसे जंगल के पेड़ कटते जा रहे हैं जंगली जीव खेतों की तरफ अधिक बढ़ रहे हैं। ऐसे में किसानों के लिए जंगली जानवर एक चुनौती बनते जा रहे हैं। इससे किसानों को आर्थिक नुकसान होता है तो चलिए आपको बताते हैं कम लागत में नीलगाय जैसे जंगली जानवरों से किसान कैसे छुटकारा प्राप्त कर सकते हैं।
जंगली जानवर भगाने का सस्ता जुगाड़
जंगली जानवरों को भगाने के कई जुगाड़ प्रचलित है। लेकिन उनमें भारी भरकम खर्च भी बैठता है। मगर किसान चाहे तो कुछ देसी जुगाड़ अपना कर भी जंगली जानवरों को खेतों से भगा सकते हैं। किसानों को हम समय-समय पर कई तरह की जानकारी देते रहते हैं। जिनसे जंगली जानवरों को खेतों से भगाया जा सकता है। जिसमें आज हम पटाखा जुगाड़ के बारे में चर्चा कर रहे हैं।
पटाखा की आवाज से जंगली जानवर खेतों से दूर भागते हैं। लेकिन पटाखा चलाने का तरीका भी पता होना चाहिए। अगर सही तरीके से पटाखा जलाया जाता है तो आवाज ज्यादा उत्पन्न होती है। ₹1 के पटाखे से भी ज्यादा तेज आवाज कैसे उत्पन्न करें चलिए इसके बारे में जानते हैं।
कैसे करें इस जुगाड़ का इस्तेमाल
इस पटाखा जुगाड़ का इस्तेमाल करने के लिए आपके पास एक लोहे की पाइप होनी चाहिए। यह लोहे की पाइप एक तरफ से मुड़ी हुई होनी चाहिए। ₹50 में एक छोटी लोहे की पाइप ले सकते हैं, और उसे एक तरफ से आधा इंच मोड़ दे। फिर पटाखे को रखकर फोड़ा जाता है। जिसमें दूसरी तरफ से तेज आवाज निकलती है और इस आवाज से खेत से सभी तरह के जानवर भाग जाते हैं, जो जंगली बड़े जानवर होते हैं वह दोबारा उस खेत की तरफ डर कर नहीं आते हैं। लेकिन पटाखा जुगाड़ का इस्तेमाल करने के लिए बहुत ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत पड़ती है।
क्योंकि इससे किसी तरह की दुर्घटना भी हो सकती है। लेकिन अगर पटाखा जलाने का अनुभव है तो किसान अच्छे से इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। जिसमें आधा इंच मुड़ी हुई पाइप लेकर उसमें पटाखा जलाया जाता है, और दूसरी तरफ से निकलने वाली तेज आवाज जानवरों को डराती है। इस जुगाड़ में 50 से ₹60 खर्च होते हैं।
नोट: इस रिपोर्ट में दी गई जानकारी किसानों के निजी अनुभवों और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध इंटरनेट स्रोतों पर आधारित है। किसी भी जानकारी का उपयोग करने से पहले कृषि विशेषज्ञों से परामर्श अवश्य करें।