Property possession : आजकल चाहे गांव हो या शहर, हर जगह जमीन या मकान पर कब्जे किए जाने के मामले खूब बढ़ रहे हैं। इनमें विवाद खूनी संघर्ष तक पहुंच जाते हैं। अगर आपकी जमीन या प्रोपर्टी (Property Knowledge) पर किसी ने कब्जा कर लिया है तो आपको सिर्फ ये कदम उठाने की जरूरत है, इसके बाद कब्जा करने वाला थर थर कांपने लगेगा और खुद ही कब्जा छोड़कर भाग जाएगा। ये कदम उठाने के बाद आपको किसी विवाद में पड़ने की भी जरूरत नहीं है।
मकान या जमीन पर कब्जा होने पर प्रोपर्टी मालिक की टेंशन बढ़ जाती है। ऐसे मामलों में हिंसा होते भी देर नहीं लगती, इसलिए जरूरी है कि कुछ ऐसे कदम उठाए जाएं, जिनकी सहायता से बिना विवाद ही जमीन या प्रोपर्टी से कब्जा (How to remove illegal possession) छूट जाए। अगर आपकी प्रोपर्टी पर किसी ने कब्जा कर लिया है तो आपको किसी विवाद या झगड़े में पड़ने की जरूरत नहीं है, आपकी ओर से ये खास कदम उठाते ही कब्जाधारी कांपने लगेगा और आपकी जमीन भी कब्जामुक्त हो जाएगी।
ऐसे निपटा सकते हैं प्रोपर्टी विवादों को-
भारतीय संविधान में कई कानून ऐसे हैं जिनका सहारा लेकर संपत्ति से कब्जा आसानी से बिना किसी विवाद के छुड़ाया जा सकता है। इनमें IPC की धारा 406, 467 और धारा 420 शामिल है। प्रोपर्टी के मामलों (property disputes) में सिविल और आपराधिक मामला भी दर्ज हो सकता है। आपराधिक मामलों में IPC की धाराएं भी लगाई जाती हैं, सिविल मामलों (property civil cases) को निपटान सिविल कोर्ट में किया जाता है।
धारा 406 में प्रावधान –
विश्वास किए जाने का फायदा उठाकर किसी की प्रोपर्टी पर कब्जा (Property Possession) किया जाता है तो प्रोपर्टी मालिक आरोपी पर धारा 406 (section 406) के तहत मामला दर्ज करा सकता है।
धारा 467 कब होती है लागू-
प्रोपर्टी से जुड़े दस्तावेजों के साथ छेड़ाछाड़ कर या फर्जी दस्तावेजों (property documents) के सहारे कोई संपत्ति हड़पी जाए तो धारा 467 के तहत आरोपी पर केस दर्ज करवाया जा सकता है। इस तरह के विवाद में समझौते की गुंजाइश नहीं होती।
धारा 420 का कहां होता है उपयोग –
धोखाधड़ी के मामलों में इस धारा का उपयोग किया जाता है। धारा 420 के तहत प्रोपर्टी मालिक धोखाधड़ी करने वाले पर मामला दर्ज करवा सकता है। बहला फुसलाकर प्रोपर्टी (property knowledge) हासिल करना भी इसी तरह का विवाद माना जाता है।
सिविल कोर्ट के मामलों में धारा-6 का प्रावधान-
स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट 1963 (Specific Relief Act 1963) की धारा-6 में प्रावधान है कि मामला 6 माह से ज्यादा पुराना न हो। संवैधानिक प्रक्रिया बिना कोई प्रोपर्टी पर कब्जा (property possession) करता है तो इस धारा के तहत केस दर्ज कराया जा सकता है। यह धारा मामलों के त्वरित निपटान के लिए बनाई गई है।
धारा-6 की यह भी है खासियत –
धारा-6 के तहत किसी केस में कोर्ट की ओर से पारित किए गए आदेश पर अपील नहीं की जा सकती। यह व्यवस्था मामलों के जल्दी निपटान के कारण ही की गई है। धारा-6 (section 6 provisions) के तहत सरकार के विरुद्ध केस दर्ज नहीं कराया जा सकता।