Loan Guarantor Updates : लोन गारंटर बनना कोई मामूली बात नहीं है, ये आपके लिए बड़ी परेशानी भी खड़ी कर सकता है। इसलिए लोन गारंटर बनने से पहले एक बार गहराई से जरूर सोचें, क्योंकि यह फैसला लेना आपको महंगा पड़ सकता है। यदि लोन चुकता नहीं हुआ, तो गारंटर पर बड़ी जिम्मेदारी (Responsibilities for loan guarantor) आ सकती है। ऐसे में, गारंटर को पूरी तरह से वित्तीय दबाव का सामना करना पड़ सकता है। कानूनी और आर्थिक दोनों दृष्टिकोण से यह एक जोखिम भरा कदम हो सकता है। इसलिए, लोन गारंटर बनने से पहले सभी पहलुओं पर गंभीरता से विचार करें, ताकि भविष्य में कोई परेशानी न हो।
(Loan guarantor news) ग्रामीण और शहरी इलाकों में लोन या संपत्ति किराए पर लेने के लिए गारंटर की आवश्यकता हो सकती है। गारंटर बनने से शुरुआत में कोई परेशानी नहीं दिखती, लेकिन बाद में अगर लोन चुकता नहीं होता या ईएमआई बार-बार मिस होने लगे तो गारंटर (Loan guarantor RBI rules) ही घेरे में आ जाता है औश्र उसको गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में गारंटर बनने से पहले संबंधित नियम और शर्तों के बारे में पूरी जानकारी होना आवश्यक है। इसके बिना कोई भी निर्णय लेना जोखिमपूर्ण हो सकता है। आइये एक-एक करके जानते हैं इन सभी जरूरी पहलुओं के बारे में, जिन पर किसी का लोन गारंटर (loan guarantor kab bne) बनने से पहले गौर करना बहुत जरूरी है।
कब जरूरत पड़ती है गारंटर की –
बैंक कई बार लोन को प्रोसेस से पहले ही लोन लेने वाले से गारंटर की मांग करता है। बहुत से लोग अपने जानकारों, दोस्तों व रिश्तेदार की मदद के लिए उनके कर्ज के लिए गारंटर बन जाते हैं, लेकिन जब कर्ज चुकता नहीं होता, तो उन्हें कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। कभी-कभी कानूनी कार्रवाई भी होती है और गारंटर को कर्ज चुकाना पड़ सकता है। गारंटर (Loan guarantor decision) बनने से पहले सभी नियमों और गाइडलाइनों (guidelines for loan guarantor) को समझना बहुत महत्वपूर्ण है, ताकि बाद में कोई परेशानी न हो। खासकर ग्रामीण और शहरी इलाकों में इसके प्रभाव अलग-अलग हो सकते हैं।
गारंटर की बढ जाती है जिम्मेदारी –
एक व्यक्ति जो किसी और के लोन की जिम्मेदारी उठाता है यानी किसी अन्य व्यक्ति के लोन का गारंटर बनता है, तो वह कर्ज का भुगतान न होने पर उसे चुकता करने के लिए बाध्य होता है। यह सिर्फ एक औपचारिकता (loan guarantors formality) नहीं है, बल्कि इसे गंभीरता से लेना जरूरी है। अगर उधारकर्ता कर्ज चुकाने (Loan guarantor Responsibility) में नाकाम रहता है, तो उस व्यक्ति को पूरा कर्ज चुकाना पड़ सकता है। गारंटर बनने से पहले इसके सभी पहलुओं को समझना और इसकी जिम्मेदारी को स्वीकार करना जरूरी है।
आरबीआई ने गारंटर के बारे में यह कहा –
भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve bank of India) ने बैंकों को गारंटर से जुड़ी नीति बनाने के लिए दिशा-निर्देश दिए हैं। इन नियमों के तहत लोन आवेदक की वित्तीय स्थिति, उसकी आय, रोजगार और आवास संबंधित जानकारी जैसे कई पहलुओं को ध्यान में रखा जाता है। बैंकों को इन पहलुओं के आधार पर गारंटर (RBI rules for guarantor) की आवश्यकता तय करने की अनुमति दी गई है, जिससे लोन की चुकौती क्षमता और गारंटर की जिम्मेदारी स्पष्ट हो सके।
क्या है गारंटर की जिम्मेदार –
गारंटर वह व्यक्ति होता है जो उधारकर्ता के कर्ज चुकता न करने पर भुगतान करने की जिम्मेदारी लेता है। इसके बदले गारंटर अपनी संपत्ति को सुरक्षा के रूप में रखता है। लोन लेने पर गारंटर (Guarantor’s responsibility for loan) एक समझौते पर हस्ताक्षर करता है, जिससे वह उधारकर्ता के बकाया भुगतान के लिए कानूनी रूप से उत्तरदायी बन जाता है। यह समझौता विशेष रूप से किरायेदारी या लोन मामलों में लागू होता है, जहां गारंटर (Purpose of Loan guarantor) की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।
गारंटर को हो सकती हैं ये परेशानियां –
1.अगर लोन लेने वाला व्यक्ति लोन चुकाने में असफल (Loan default) होता है, तो लोन गारंटर को दिक्कत हो सकती है यहां तक कि उस लोन का भुगतान भी करना पड़ सकता है।
2.लोन लेनदार अगर लोन नहीं चुकाता है या लगातार ईएमआई मिस करता है तो उसका खुद का तो सिबिल स्कोर (cibil score) तो खराब होता ही है, साथ ही लोन गारंटर का भी सिबिल स्कोर भी खराब हो जाता है।
3.अगर लोन लेने वाले आदमी ने लोन देने में देरी की या फिर लोन चुका नहीं पाया, तो ऐसे में लोन गारंटर और लोन लेनदार दोनों को कानूनी नोटिस (loan guarantor banne ke nuksan) का सामना करना पड़ सकता है।
4.अगर लोन लेने वाला लोन का भुगतान नहीं कर पाए, तो ऐसे में लोन गारंटर (Guarantor responsibilities) पर एक्सट्रा वित्तीय बोझ बढ़ जाता है।
5.अगर एक बार गारंटर बनने के बाद लोन लेनदार लोन चुकाने में असफल होता है और इस वजह से सिबिल स्कोर खराब होता है, तो भविष्य में लोन गारंटर (loan Guarantor benefits) को खुद के लोन लेने के लाले पड़ सकते हैं।
6.अगर कोई व्यक्ति अपनी मर्जी से किसी के लोन का गारंटर (Loan guarantor decision) बनता है, तो ऐसे में गारंटर खुद नाम वापस नहीं करवा सकता। केवल बैंक के पास ही यह अधिकार रह जाता है कि वह किसी गारंटर को लोन मुक्त कर दे।