Mahakumbh Mela History: महाकुंभ हिंदू धर्म का सबसे बड़ा और पवित्र मेला है। महाकुंभ मेले का आयोजन साल 2025 में संगम नगरी प्रयागराज में होने वाला है। तो तो आज इस खबर में जानेंगे कि महाकुंभ का इतिहास क्या है।
Mahakumbh Mela History: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महाकुंभ मेला भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म का एक अभूतपूर्व आयोजन है। महाकुंभ की जड़ समुद्र मंथन की प्राचीन कथाओं में से एक है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया ताकि अमृत कलश प्राप्त हो सकें। समुद्र मंथन के दौरान मंदराचल पर्वत को मथनी और नागराज वासुकी को रस्सी के रूप में इस्तेमाल किया गया था। वहीं समुद्र मंथन के दौरान भगवान विष्णु ने कछुए का रूप लेकर पर्वत को स्थिर रखा था। ताकि पर्वत समुद्र में न डूब जाए। बता दें कि यह एक सिर्फ धार्मिक घटना नहीं है, बल्कि हमारे भीतर की छुपी हुई शक्तियों को खोजने और मुक्ति पाने का प्रतीक है।
जानें कहां-कहां छुपाया गया था अमृत कलश
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान सबसे पहले विष निकला था। उस विष को देवों के देव महादेव ने ग्रहण किया था। विष के बाद पीने भगवान शिव का गला नीला हो गया था। मान्यता है कि इस समय के बाद ही भगवान शिव को नीलकंठ के नाम से जाना गया है। समुद्र मंथन के दौरान 14 अद्भुत रत्न निकला था। जिसमें से सबसे अधिक मूल्यवान अमृत कलश था। मान्यता है कि जब धन्वंतरि भगवान अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे तो देवताओं और असुरों के बीच अमृत कलश पाने के लिए लड़ाई-झगड़ा शुरू हो गया। मान्यता है कि असुरों से अमृत कलश बचाने के लिए भगवान धन्वंतरि ने 12 दिनों में चार स्थानों पर छिपाया। जिसमें से हरिद्वार, प्रयागराज, नासिक और उज्जैन स्थान था। मान्यता है कि इन जगहों पर अमृत की कुछ बूंदे गिरी थीं, जिससे यह स्थान और अधिक पवित्र हो गया। इसलिए इन जगहों पर कुंभ मेले का आयोजन होता है।
कुंभ मेले लगने की तिथियां
बता दें कि कुंभ मेले का महत्व सिर्फ धार्मिक नहीं है बल्कि ज्योतिषीय आधार भी है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब सूर्य, चंद्रमा और गुरु बृहस्पति एक विशेष ज्योतिषीय स्थिति में होते हैं, तब इन स्थानों पर कुंभ मेले का आयोजन होता है। ऐसे सामान्य कुंभ मेला प्रत्येक 3 साल पर आयोजन होता है। वहीं अर्धकुंभ मेला 6 माह पर होता है और पूर्ण कुंभ मेला 12 साल पर आयोजित होता है। मान्यता है कि महाकुंभ मेला 144 वर्षों के बाद प्रयागराज में आयोजित होता है।
महाकुंभ मेले का महत्व
बता दें कि महाकुंभ मेला एक धार्मिकता, आस्था और संस्कृति का एक अनूठा संगम है। इस मेले में सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु आते हैं। महाकुंभ मेला आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक माना गया है। महाकुंभ मेले के दौरान लाखों-करोड़ों श्रद्धालु संगम में स्नान करने के लिए आते हैं। मान्यता है कि जो जातक महाकुंभ के दौरान पवित्र नदी में स्नान करते हैं उनके सारे पापों का नाश हो जाता है। इसके साथ ही उन्हें हर तरह की कठिनाइयों से भी मुक्ति मिल जाती है।