MDM New Rules: बिहार सरकार ने सरकारी स्कूलों में मिड डे मील (मध्याह्न भोजन) योजना के संचालन को लेकर बड़ी कार्रवाई की तैयारी कर ली है. शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने इस संबंध में सभी जिलाधिकारियों (DM) और जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों (DPO-MDM) को अलग-अलग पत्र भेजकर सख्त निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि अब केवल प्रधानाध्यापक नहीं. बल्कि जिला स्तर के अधिकारी भी जिम्मेदार माने जाएंगे.
डीएम को मिला आदेश
डॉ. सिद्धार्थ ने पत्र में स्पष्ट रूप से कहा है कि राज्य खाद्य निगम के माध्यम से चावल की समय पर आपूर्ति सुनिश्चित की जाए. ताकि मिड डे मील योजना सुचारु रूप से संचालित हो सके. उन्होंने यह भी कहा कि यदि भोजन वितरण में कोई अनियमितता पाई जाती है तो केवल स्कूल स्तर पर कार्रवाई न हो. बल्कि जिला कार्यक्रम प्रबंधक, डीपीओ (MDM), और प्रखंड या जिला साधनसेवी को भी जिम्मेदार ठहराते हुए कार्रवाई की जाए.
एमडीएम संचालन को लेकर मिल रही गंभीर शिकायतें
अपर मुख्य सचिव ने अपने पत्र में बताया कि विभाग को लगातार मिड डे मील योजना के संचालन में गड़बड़ियों की शिकायतें मिल रही हैं. इनमें शामिल हैं छात्रों की उपस्थिति में फर्जीवाड़ा, निर्धारित मेन्यू के अनुसार भोजन न देना, केंद्रीयकृत रसोईघर से खराब गुणवत्ता वाला खाना मिलना और कम संख्या में भोजन की आपूर्ति. उन्होंने कहा कि इस तरह की शिकायतें अत्यंत खेदजनक हैं और इन पर अब कड़ी नजर रखी जाएगी.
सिर्फ प्रधानाध्यापक नहीं, अब अधिकारी भी होंगे जवाबदेह
अब तक मिड डे मील की गड़बड़ियों पर केवल प्रधानाध्यापक या प्रधान शिक्षक पर ही कार्रवाई होती थी. लेकिन नए निर्देशों के अनुसार सिस्टम में शामिल सभी जिम्मेदार अधिकारी – चाहे वो DPO-MDM हों, जिला कार्यक्रम प्रबंधक या साधनसेवी, सभी को समान रूप से दोषी माना जाएगा. यदि कहीं योजना बाधित होती है, तो संबंधित अफसरों पर भी कार्रवाई अनिवार्य होगी.
पायलट स्कूलों में लागू हुआ नया मॉनिटरिंग सिस्टम
सरकार ने 13 मई से पायलट स्कूलों में नई निगरानी व्यवस्था लागू कर दी है. इसके तहत प्रभारी शिक्षक को मिड डे मील की पूरी जिम्मेदारी दी गई है.
- स्कूल खुलने के एक घंटे बाद, प्रभारी शिक्षक को विद्यार्थियों की उपस्थिति का फोटो लेना होगा.
- उसी आधार पर रसोइयों को खाद्य सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी.
- भोजन की गुणवत्ता और वितरण की निगरानी की जिम्मेदारी भी प्रभारी शिक्षक की होगी.
एक महीने की होगी समीक्षा, फिर होगा राज्यव्यापी विस्तार
13 मई से शुरू होकर 16 जून तक चलने वाला यह पायलट प्रोजेक्ट सफल रहा तो इसे पूरे राज्य में लागू किया जाएगा. इस दौरान हर पहलू की समीक्षा की जाएगी. ताकि भोजन की गुणवत्ता, पारदर्शिता और छात्रहित में कोई समझौता न हो. सरकार की कोशिश है कि हर बच्चे को समय पर पोषणयुक्त और तय मानक के अनुसार भोजन मिल सके.
पारदर्शिता और जवाबदेही की ओर बड़ा कदम
यह नया सिस्टम जहां एक ओर स्कूल स्तर पर पारदर्शिता सुनिश्चित करेगा, वहीं दूसरी ओर उच्चाधिकारियों की जवाबदेही भी तय करेगा. सरकार का मानना है कि सिर्फ नीचे के कर्मचारियों को दोष देना समाधान नहीं. बल्कि पूरे तंत्र को जवाबदेह बनाना जरूरी है. यह बदलाव राज्य में बच्चों के पोषण स्तर और शिक्षा में निरंतरता लाने की दिशा में एक अहम कदम है.